शनिवार, 31 अक्तूबर 2009
परीक्षाओं का मौसम
सोमवार, 26 अक्तूबर 2009
त्यौहार का दिन और गैस चोरी हो गई
शनिवार, 24 अक्तूबर 2009
सच कहते हैं बड़े - बुजुर्ग ज़माना बदल गया ...
मंगलवार, 20 अक्तूबर 2009
''ये त्यौहार ही हमारी मुनसिपेलिटी हैं''
बुधवार, 14 अक्तूबर 2009
इन्हें इंसान ही बने रहने दिया जाए
हमारे देश के लोगों की ख़ास आदत होती है कि किसी मुसीबत में फंसे हुए या दुर्घटना
में घायल , दम तोड़ते हुए इंसान की मदद को आगे आने के बजाय आँखें मूँद कर चुपचाप कन्नी काट लिया करते हैं, लेकिन किसी इंसान के शरीर में देवता का अवतरण हुआ है , यह सुनते हीबिना आगा - पीछा सोचे , उस घर की दिशा की ओर दौड़ पड़ते हैं, देखते ही देखते देवी के चरणों पर चढ़ावे का ढेर लगा देते हैं, जिसे देखकर इन लड़कियों के लिए इस दैवीय मकड़जाल से निकल पाना बहुत मुश्किल हो जाता है .
पाठ्यक्रम निर्धारित करने वाले बड़े - बड़े शिक्षाविद पाठ्यक्रम का निर्धारण करते समय अधिसंख्य ग्रामीण इलाकों के बच्चों के विषय में नहीं सोचते हैं, उनकी नीतियाँ शहरी क्षेत्रों के चंद सुविधासंपन्न बच्चों को फायदा पहुँचती हैं , शिक्षाविद यौन शिक्षा की जोर - शोर से वकालत करते हैं ,स्कूलों में कंडोम बांटने के बारे में विचार करते हैं , योग की कक्षाएं अनिवार्य कर देते हैं, नैतिक शिक्षा की बात करते हैं, मिड डे मील का मेनू सेट करते हैं, नंबरों की जगह ग्रेडिंग सिस्टम लागू कर देते हैं, लेकिन देश को सदियों पीछे ले जाते इस अंधविश्वास के निर्मूलन की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता.यह जानने की कोशिश कोई नहीं करता कि कितनी लडकियां देवी बनकर, पढ़ाई - लिखाई से दूर होकर अपने घर वालों के लिए सोने का अंडा देने वाली मुर्गियां बन गयी हैं, जहाँ से वापस लौटना अब उनके लिए संभव नहीं है .
शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2009
करवा चौथ ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकता है
बुधवार, 7 अक्तूबर 2009
करवा चौथ पर इन देवियों से मिलिए ...
शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2009
लो आया बचत का मौसम ....
बताओ चित्रगुप्त ! पृथ्वी पर क्या चल रहा है ?
चित्रगुप्त .....महाराज ! पृथ्वी तो मात्र चल रही है , लेकिन भारत वर्ष दौड़ रहा है।
ईश्वर ...वो कैसे ? पहेली मत बुझाओ, साफ़ साफ़ कहो।
चित्रगुप्त ...पूरा भारतवर्ष इस समय बचत की चपेट में है।
ईश्वर ....ये कौन सी नई बीमारी है ? हमने तो लेटेस्ट स्वाइन फ्लू भेजी थी , इसमें ज़रूर विदेशी ताकतों का हाथ है ।
.चित्रगुप्त ..महाराज इसके कीटाणु बहुत तेजी से फैलते हैं, इससे ग्रस्त होने पर इंसान के अन्दर बचत करने की भावनाएं जोर मारने लगती हैं।.
ईश्वर ...अच्छा !! इसका मतलब मैं ये समझूं कि मंत्रियों और नेताओं ने हवाई जहाज से उड़ना छोड़ दिया है?
चित्रगुप्त....नहीं महाराज, ये आपने कैसे सोच लिया ? भारत वर्ष में जो ज़मीन से जितना ऊपर उड़ान भरता है , उसकी जड़ें ज़मीन में उतनी गहरी होती जाती हैं। हाँ यह अवश्य हुआ है कि अब वे लोग आम इंसान यानि कि जानवर के साथ सफ़र करने में शर्मिन्दा नहीं हो रहे हैं । ये लोग उड़ भले ही हवा में रहे हों , लेकिन खाना ज़मीन पर, वो भी गरीब के घर खा रहे हैं । समाजवाद का समाजवाद , बचत की बचत ,पाँचों उंगलियां कढाई में और सिर हेंडपंप के नीचे।.
ईश्वर .....और कौन कौन बचत में सहयोग कर रहा है ?
चित्रगुप्त....सारी पार्टियां ....यथा ...भाजपा , और बसपा ..।.
ईश्वर .....क्या मायावती ने चंदा माँगना और हीरे ज़वाहरात, बंगले खरीदने बंद कर दिए हैं ?और भाजपा ने कुर्सी का मोह त्याग दिया है ?
चित्रगुप्त .....महाराज ! मायावती ने एक मूर्ति कंस्ट्रक्शन कंपनी खोल ली है , जिसमे सिर्फ उसकी ही मूर्तियाँ बनाईं जाएँगी। अब जनता अपनी फरियाद लेकर अपने गली और मोहल्ले की मूर्ति के पास चली जाया करेगी , इससे मायावती के अनमोल समय की बचत होगी। परिणामस्वरूप वह
अपने जन्मदिन का सेलिब्रेशन धूम - धाम से कर सकेगी ।
ईश्वर... युवा शक्ति क्या कर रही है इस अभियान में?
चित्रगुप्त .... महाराज जवान लड़के और लडकियां भी इस बचत अभियान में बराबर सहयोग प्रदान कर रही हैं।
ईश्वर .....क्या वाकई ? क्या नवजवानों ने शादी - विवाह में होने वाला दान- दहेज़ , बैंड - बाजा दिखावा , और आडम्बर बंद कर दिए हैं ?
चित्रगुप्त ....इन्होने तो बैंड का ही बाजा बजा दिया . अब नवजवान लिव - इन यानी कि बिना विवाह किये साथ रह रहे हैं , जो इनसे महरूम रह गए वे समलैंगिक हो गए हैं .ना होगी शादी , ना बजेगा बैंड , बचत ही बचत ...{ ईश्वर अपनी कुर्सी से गिरते - गिरते बचे }
ईश्वर ....वहां सुप्रीम कोर्ट नामक एक संस्था भी तो है , जो हर फ़टे में अपनी टांग अडाती है , उसने इसका विरोध नहीं किया ?
चित्रगुप्त .....दरअसल सुप्रीम कोर्ट के कई वकील अपनी पत्नियों से त्रस्त हैं , वे अक्सर सरेआम कहते हैं कि पत्नी के चरणों में ही स्वर्ग जान लेना चाहिए .उन्हीं के अथक प्रयासों से यह संभव हो पाया।
ईश्वर ....और कौन कौन इस कार्यक्रम में शामिल हैं ?राखी सावंत का नाम आजकल सुनने में नहीं आ रहा ?क्या उस भारतीय नारी की शादी करके बोलती बंद हो गयी है ?
चित्रगुप्त ....शादी का तो पता नहीं , लेकिन आजकल वह बच्चे पालना सीख रही है , ताकि बाद में क्रेच का एवं नौकर का खर्चा बच सके .पहले कपडों की बचत करती थी अब पैसों की कर रही है ।
ईश्वर ...और मातृ शक्ति ? वह इस कार्यक्रम पीछे क्यों है ?
चित्रगुप्त .....महाराज , महिलाएं अपनी तरह से योगदान दे रही है यथा एक स्वाइन फ्लू वाला नकाब लगाकर वे लिपस्टिक , पाउडर, फेशिअल , क्रीम इत्यादि नाना प्रकार के सौंदर्य प्रसाधनों पर होने वाला खर्चा बचा रही हैं ।
ईश्वर ....शिक्षा के मंदिरों यानि स्कूलों में इस दिशा में क्या चल रहा है ?
चित्रगुप्त .....वहां सी. बी. एस. सी. ने नम्बरों की बचत करके ग्रेडिंग सिस्टम लागू कर दिया है। अब कोई फेल नहीं होगा
ईश्वर ...अरे वाह ! तो अब से कोई बच्चा फेल होने की वजह से आत्महत्या नहीं करेगा ।
चित्रगुप्त ...हाँ महाराज ! अब बच्चे फ़ेल होने की वजह से नहीं बल्कि ग्रेडिंग कम होने की वजह से आत्महत्या कर सकेंग। इससे फेल होने पर भी आत्महत्या का स्टेंडर्ड मेंटेन रहता है ।
ईश्वर ...और चित्रगुप्त , समाज के ठेकेदार ....कवि और साहित्यकार इस दिशा में क्या कर रहे हैं ?
चित्रगुप्त .....महाराज , कवि गण मंचों पर फूहड़ चुटकुले सुनाकर कविताओं की बचत कर रहे है , लेखक लोग मुद्दों की बचत कर रहे हैं ..स्त्री शरीर ...और स्त्री - पुरुष के जटिल संबंधों के अलावा और कुछ नहीं लिख रहे हैं ।
ईश्वर ....और बुद्धू बक्सा ?
चित्रगुप्त ....महाराज ! यहाँ बचत की बहुत संभावना है , आजकल एक बड़ा सा खेत और चार - पांच लड़कियों को एकत्र कर लिया जाता है , एक ही कहानी को अलग - अलग तरीके से फिल्माया जाता है ,या कभी उब गए तो टेस्ट बदलने को ८ - १० तथाकथिक मशहूर लोगों को एक कमरे में बंद करके एक दूसरे पर छोड़ दिया जाता है , इसमें न हींग लगती है ना फिटकरी और रंग चोखा ही चोखा। डायलोग, स्क्रिप्ट ,ऐक्टिंग सबकी बचत।. इसमें सिर्फ साउंड का खर्चा आता है, कार्यक्रम की सफलता ज्यादा से ज्यादा ढोल - नगाडों की आवाज़ पर निर्भर करती है।
ईश्वर ...और मास्टर ? समाज का निर्माता , उसका क्या योगदान है ?उसने बच्चों का मिड डे मील खाना छोड़ा या नहीं ?
चित्रगुप्त ...महाराज ! हमने हर संभव उपाय किये , कभी मेंढक तो कभी साँप खाने में डाले ,लेकिन यह पता नहीं किस मिटटी का बना है इस पर किसी का कुछ असर नहीं हुआ। बचत के नाम पर पेन बच्चों से मांगता है । बीड़ी तक शेयर करके पीता है। इसे समय की बचत में महारथ हासिल है । कक्षा में १० मिनट देरी से जाता है । १० मिनट पहले आ जाता है । भरी बस में कंडक्टर के द्बारा बेइज्ज्ती करने पर भी आधा ही टिकट देता है।
ईश्वर ... और इधर ब्लागर नाम की एक नई प्रजाति विकसित हुई है , जो स्वयं को बहुत फन्ने खां समझती है। उन्होंने कुछ किया या हमेशा की तरह सिर - फुटव्वल में ही वक्त गुजार दिया ?
चित्रगुप्त ....महाराज ! ब्लागर पोस्ट की बचत कर रहे हैं , वे टिप्पणियों पर नज़र रखते हैं ,और टिप्पणियों पर ही पोस्ट लिख रहे हैं.
ईश्वर ...और आम आदमी ? क्या वह अभी भी दो वक्त का खाना खा रहा है ?
चित्रगुप्त .....उसके तो अंदाज़ हे अनोखे हैं। पानी में हल्दी घोल कर दाल समझ कर पी जाता है। बड़े - बड़े लोग कहते है कि एक घंटा बत्ती बंद करनी चाहिए तो वह गर्मी की रातें मच्छरों के बीच गुजार देता है। वे कहते है पानी बचाओ , तो वह नहाना बंद कर देता है। वे कहते हैं कि पर्यावरण बचाओ तो वह डर के मारे सारा जीवन टूटी साइकिल से स्कूटर पर नहीं आ पाता।
और क्या बताऊं, बुड्ढे लोगों के भी मुँह में मास्क लगे हुए हैं ताकि खाने को देखकर उनके मुँह में लार ना टपकने लग जाए , बुढ़िया औरतें किसी ना किसी बहाने से हफ्ते में चार दिन व्रत - उपवास रख रही हैं।
ईश्वर .... चित्रगुप्त, तुमने तो मेरी आँखें ही खोल दीं ..अब हमें भी बचत करनी चाहिए ...मैं अभी आदेश पंजिका में बचत करने के आदेश निकलवाता हूँ .आज से सारे नाच गाने , मौज मस्ती बंद।
चित्रगुप्त फ़ाइलें और अपना मुंह लटकाये हुये बाहर आते हैं। सभी देवतागण उनको घेरकर उनके खिलाफ़ नारे लगाने लगते हैं कि इतना भी सच बताने की क्या जरूरत थी। धर्मराज ने अपने काम का अपहरण चित्रगुप्त द्वारा किये जाने की बात कहकर उनके खिलाफ़ मानहानि का मुकदमा ठोक दिया है।