सुना है आज से फार्मूला वन रेस शुरू होने जा रही है .....इसमें कौन सी बड़ी बात है ? मेरे शहर में तो रोज़ ही इस तरह के मुकाबले देखने को मिलते हैं ।हाल ही में एक कार वाले से टक्कर खाकर यह कविता उत्पन्न हुई है ।
हल्द्वानी में ........
ज़िंदगी हर कदम
एक नई जंग है
बाज़ार में सड़कें
बेहद तंग हैं
खरीदारी के अनेक रंग हैं
कभी कभी लगता है जैसे
सबने पी रखी भंग है ।
हल्द्वानी के ...........
ये भाई, ज़रा ना देख के चलें
आगे भी नहीं, पीछे भी नहीं
दाएं भी नहीं, बाएँ भी नहीं
ऊपर भी नहीं, नीचे भी नहीं
ये भाई ...........................
यहाँ
सड़क , सड़क नहीं
फार्मूला वन रेस का ट्रेक है
जो सही दिशा में चलता है
उसी पर होता अटैक है ।
यहाँ
हेलमेट लगाना
फैशन के विरुद्ध है
कट गया चालान कभी तो
महाभारत का युद्ध है ।
यहाँ
माँ, बहिन की गाली है
एक हाथ से बजती ताली है
इंश्योरेंस, लाइसेंस जाली हैं
पटरी पर आएगी कभी व्यवस्था
ये पुलाव तो ख्याली है ।
यहाँ
हल्की सड़क पर
वाहन भारी है
बीच सड़क पर ही
निभती यारी है
और
मना हो जहाँ पर
वहीं पार्किंग की बीमारी है ।
यहाँ
हर नियम का तोड़ है
हर गली में एक मोड़ है
निकल जाऊं मैं आगे किसी तरह से
मची हुई एक होड़ है।
यहाँ
जो जाम है
आम आदमी से भी
ज्यादा आम है
और जिसके पास है कार
बस उसी का सम्मान है ।
यहाँ
फोन पर बेखटके बतियाते हैं
चलते - चलते झटके से
ऑटो रुक जाते हैं
क्या कहना इनकी हिम्मत का
अपनी गल्ती पर
सामने वाले को गरियाते हैं।
ये
मेरे शहर वाले हैं
रोके से भी नहीं रुकने वाले हैं
जंग - ऐ ट्रैफिक के मतवाले हैं
परेशान इनसे सबसे ज्यादा
ट्रैफिक और पुलिस वाले हैं ।
अरे ओ ........
सेल फोन के दीवानों
रफ़्तार के परवानों
नशे में चूर मस्तानों
तुमने बसाना था
यंगिस्तान
बसा दिया
कब्रिस्तान ।
आज बेशक मेरी यह बात तुम्हें
अखरती होगी
लेकिन सोचो
तुम्हारी अर्थी को देख
जिसने तुम्हें जन्म दिया
उस माँ पर क्या गुज़रती होगी ?