साथियों, ग्रह अच्छे पड़े हैं । लक्षण भी शुभ दिखाई दे रहे हैं । दो हज़ार चौदह में होने वाले लोक सेवा चुनाव के मद्देनज़र बयानबाजियों का शानदार आगाज़ हो गया है । पहले दीमक आया फिर तोता आया, उम्मीद है अंततः इंसान भी आ ही जाएगा । कुत्ता इस मामले में स्वयं को भाग्यशाली पशु माने । कई सारे जानवरों के बीच में उसका चुनाव कोई हंसी खेल नहीं था ।
मरने को तो गाड़ियों के नीचे आके आदमी तक मर जाता है और मरता भी आया है । मारने वाले को कई बार दुःख होता है कई बार नहीं भी होता । मारने वाले को यह कहने की सुविधा है अगर वह अपनी गाडी की स्पीड कम करता तो खुद उसकी जान को ख़तरा हो जाता । अब वह गाडी की स्पीड को मेन्टेन रखे या पिल्ले की जान बचाए । आदमी ठोक बजाकर बढ़िया गाड़ी खरीदता ही इसीलिये है कि उसकी गाडी की गति, ज़माने की गति से बराबरी कर सके, उसे टक्कर दे और मौका मिलते ही उससे आगे बढ़ जाए । ।
सवाल ये है की वे कौन से कुत्ते या पिल्ले हैं जो गाड़ियों के नीचे आते हैं ?
१--------- पुचकारने के लिए काम आने वाले कुत्ते ...
ये कुत्ते गाड़ियों में मालिक के बगल में बैठते हैं या मालकिन और उनके बच्चों की गोद में । सड़क पर चलती जनता उनको देख कभी अचंभित रह जाती है तो कभी कर आहें भरने लगती है । इनकी सूरत पर मुग्ध होकर इन्हें आप बड़े - बड़े शहरों से कई हज़ारों में खरीद कर लाते हैं । इनकी बुकिंग एडवांस में होती है । अक्सर इसकी शक्ल बहुत भयानक होती है । ये समाज में आपका रुतबा बढ़ाते हैं । इनकी खासियत यह है कि इनकी रखवाली आपको करनी पड़ती है । ज़रा सी नज़र बची या एक मिनट को भी खुला छोड़ दिया, कोई ना कोई पट्टा पकड़ कर खींच ले जाएगा । इस प्रकार के कुत्तों का दिल बहुत साफ़ होता है । बिना कोई प्रतिवाद किये ये अपने नए मालिक के पीछे - पीछे चल पड़ते हैं । नया मालिक इन्हें दूसरे को बेच देता है दूसरा तीसरे को । इस प्रकार इनकी हालत घर से भागी हुई गरीब लड़कियों की तरह हो जाती है ।
इन्हें अजनबियों को डराने और हो सके तो काटने के लिए बहुत अरमानों के साथ घर लाया जाता है । यह काटने के बजाय चाटने लगता है । मेहमानों के सामने इनकी पोल खुलने का डर बना रहता है । आप मेहमानों के सामने उसका पट्टा कस कर पकड़ लेते हैं और ऐसा नाटक करते हैं कि जैसे ही आपका हाथ छूटेगा , वह मेहमानों को फाड़ कर कच्चा चबा जाएगा । लोगों के सामने तरह -तरह के झूठे किस्से गढ़ने पड़ते हैं जिसमे उसे शेर सरीखा खतरनाक बताया जाता है । हकीकत में इस तरह के कुत्तों को उनके मालिक रोटी भी महीन - महीन टुकड़े करके आधा घंटा दूध में भिगा कर देते हैं । इनके दांत इतने कमज़ोर हो जाते हैं कि ये बोटी तक ठीक से चबा तक नहीं पाते । आप और आपके परिवार वालों को भले ही न मिले पर इनके लिए आप हर महीने कैल्शियम की गोलियां लाना नहीं भूलते । इनको छोड़कर आप बाहर घूमने नहीं जा सकते हैं । इनको अपने साथ ले जाना आपकी मजबूरी होती है ।
ये सड़क पर नहीं चलते हैं सो गाड़ियों के नीचे नहीं आ सकते ।
२-------------- दुत्कारने के लिए काम आने वाले कुत्ते ....
इस प्रकार के कुत्ते गाड़ियों के नीचे आने के काम आते हैं । ये आपको सिखाते हैं कि इंसान को ज्यादा संवेदनशील नहीं होना चाहिए । संवेदनाएं होना अच्छी बात है लेकिन कुत्ते के सन्दर्भ में नहीं । पहली बार जब आप किसी कुत्ते को कुचलते हैं, आप बहुत परेशान होते हैं । कई बार रो भी पड़ते हैं । कई दिन तक उसकी सड़क पर बिखरी हुई आंतें और खुली हुई आँखें आपका पीछा करती हैं । आप भगवान् के आगे जाकर हाथ जोड़कर अपने गुनाह की माफी भी मांगते हैं । उसके बाद दूसरा कुत्ता जब आपकी गाडी के नीचे आता है, आप थोड़े से दुखी होते हैं । उसके बाद आपकी गाड़ी चल पड़ती है । फिर आप आसानी से कहने की स्थिति में आ जाते हैं '' इसे कहते हैं कुत्ते की मौत ''। एक समय ऐसा भी आता है कि आप कुत्ते को कुचलने के बाद मज़ाक करने लगते हैं '' इसको सारी दुनिया में सुसाइड करने के लिए मेरी ही गाडी मिली थी क्या ? '' इस प्रकार के कुत्तों की लगातार मौतें हमें संवेगात्मक रूप से स्थिर बनाए रखने में सहायक होती हैं ।
इन पर कोई खर्च मत करो, सुबह का बचा हुआ बासी खाना नफरत के साथ इनके बर्तन में डाल दो, उसे ही खा कर ये प्रसन्न हो जाते हैं । जितना पेट में जाता है उससे कई गुना भौंकते हैं । आपकी अनुपस्थिति में खाली पेट रहकर भी आपके घर की रखवाली करते हैं । आप इनसे पीछा नहीं छुड़ा सकते । इनको आप कितनी भी दूर छोड़ के आएँ, वापिस आ जाते हैं । कई मीलों तक का सफ़र तय कर ले जाते हैं लेकिन आपके घर की बासी रोटी ही इन्हें अच्छी लगती है । और तो और दूसरे के घर से रोटी खा के भी ये रखवाली आपके ही घर की करते हैं । ये आपकी लात खाएंगे, डांट भी सहेंगे और प्यार से दुम भी हिलाएंगे ।
यूँ सड़क पर और भी जानवर पाए जाते हैं । गाय, बैल, सांड इत्यादि इत्यादि । इन्हें कुचले जाने का डर नहीं रहता । बिल्ली भी रास्ता पार कर ले जाती है । बल्कि बिल्ली को आप सादर रास्ता देते हैं । कितनी ही गति से गाडी चला रहे हों, बिल्ली को देखते ही धीमी कर देते हैं । वह शान से दाएं - बाएँ देखते हुए रास्ता पार कर ले जाती है । अंधविश्वास भी कई बार बहुत काम का निकलता है । इससे सिद्ध होता है कि सड़क पर आना ही है तो बिल्ली या सांड की तरह आएं, कुत्ते की तरह नहीं ।
यह कहना गलत है कि हमेशा कुत्ते ही गाड़ियों के नीचे आकर बेमौत मारे जाते हैं , कभी - कभी संवेगात्मक रूप से अस्थिर इंसान कुत्तों को बचाने के चक्कर में खुद कुत्ते की मौत मारे जाते हैं । मुझे बड़ी जिज्ञासा होती है कि उस दिन कुत्ते, इंसानों की लाशों को देखकर क्या मजाक करते होंगे ?