अच्छा है इन दिनों.......
तहलका, हल्का हो गया । तेजपाल का तेज निकल गया । एक ज़रा सी की थी गलती , कोई और सज़ा देगा क्या ? क़ुबूल कर लिया गुनाह अपना, छह महीने की ले ली छुट्टी , इतनी सजा कम है क्या ?
''आप'' ने कर दिए आप से, ढेर सारे चुनावी वादे । ख़त्म होगा भ्रष्टाचार अब जड़ से , बिजली, पानी के बिल होंगे आधे ।
चेले की रफ़्तार से, चंदे की भरमार से, अन्ना जी नाराज़ हैं, सिक्कों की छनकार से । हिसाब मांग रहे पाई -पाई । अब जाकर सरकार को कुछ राहत आई । सांस में अटकी सांस वापिस लौट के आई ।
दक्षिण में हेलेन के तूफ़ान की आहट है । उत्तर में रामदेव की आफत है । एक दिन में मुक़दमे इक्यासी, इसको कहते योग सियासी ।
जिनको सम्मन चाहिए, उनको सम्मान मिल गया । जेल से भी लड़ सकेंगे चुनाव मान्यवर, अब ऐसा वरदान मिल गया ।
मुम्बई में शुरू हो गया महिलाओं का बैंक पहला । ए. टी. एम. के अंदर हुआ बंगलुरु में हमला ।
जासूसी में टूट गए रिकॉर्ड सारे अगले - पिछले । ये साहेब तो छुपे हुए रुस्तम निकले ।
शुक्र है ! फिर से क्रिकेट को, मिल गया अपना भगवान् । उनका जाना था, इनका आना था । बिन भक्तों के एक भी दिन, रह न सके करुणानिधान ।
रैलियों के दिन आ गए । एक - दूसरे के बैरियों के दिन आ गए । आँखें टी वी पर चिपकाए हुए हम, ज़ुबानी जंग देखेंगे । लोकतंत्र के नित नए, निराले रंग देखेंगे । [ मास्टरनी ]