----उफ़्फ़ ! दर्दनाक । डरावना । मर्मान्तक । पीड़ादायी । भयानक ! बाप रे बाप !
-----क्यों ? क्या हो गया ? इतने सारे विशेषण एक साथ किसके लिए ?
----औरत है, चुड़ैल है या कोई डायन है ?
-----अरे बताओ तो, हुआ क्या है आखिर ?
-----कल वीडिओ नहीं देखा न्यूज़ में ?
------कौन सा वीडियो ?
------वही जिसमे बहू सास को पीट रही थी ।
------अच्छा वह ! हाँ देखा तो था । तो ?
------अरे तो क्या ? ऐसे मार रही थी बूढ़ी बीमार सास को कि कलेजा दहल गया । बताइये कोई औरत होकर ऐसा कर सकती है क्या ? मुझे तो शक है कि वह औरत के भेस में कोई चुड़ैल थी । ऐसा तो कोई पत्थर दिल ही ऐसा कर सकता है
------क्यों नहीं हो सकती वह औरत ? शत प्रतिशत औरत है वह । औरतों को भी अधिकार है पत्थर दिल होने का । वैसे भी चुड़ैलों के घरों में ऐसे सास - बहू के झगड़ों का कोई सबूत आज तक नहीं प्राप्त हुआ है ।
------देखा नहीं जा रहा था वह दृश्य । बार - बार आँखों के आगे आ रहा है ।
------तब भी आपने देखा होगा । बार - बार हर चैनल पर देखा होगा । चैनल तो नहीं बदल पाईं होंगी आप ? और मुझे तो यहाँ तक पता है कि न्यूज़ के बाद अपने फोन पर देखा होगा । सही कह रही हूँ ना ?
------हां । बुरा लग रहा था इसीलिये बार - बार देख रही थी ।
------जब इतना देखा आपने तो यह भी देखा होगा कि वह कितनी शालीन और संस्कारी बहू थी ।
-------क्या कह रही हैं आप ? इस मारने - पीटने को संस्कार कहती हैं आप ? धन्य हैं । तभी तो कहते हैं घोर कलयुग आ गया ।
-------आपने शायद गौर से नहीं देखा । पीटते समय भी बहू के सिर पर पल्ला जस का तस धरा हुआ था । इतनी पिटाई करने के बाद भी मज़ाल है जो ्पल्लू ज़रा भी इधर का उधर हुआ हो ।
--------ज़रा भी डर नहीं रह गया किसी को । न भगवान का न इंसान का ।
------तब तो -इतना देख कर भी तुमने ठीक से नहीं देखा । वह बार - बार खिड़की से बाहर झाँक भी तो रही थी । समाज से डरती थी । वरना उसे किसकी डर पडी थी ? वह उसकी सास, वह उसकी बहू । पूरा अधिकार था उसके पास । जैसे पति अपनी पत्नी को पीटता है वह भी पूरे अधिकार के साथ कि मेरी अपनी है, मैं चाहे जैसे भी रखूँ, मेरी मर्ज़ी,कोई बीच में पड़ने वाला कौन होता है ?
-------मेरा तो कलेजा अभी तक काँप रहा है ।
--------आपको उसके दर्द से कोई दर्द नहीं हो रहा । आपका कलेजा स्वयं के लिए काँप रहा है । आप, अपने - आप को उस बिस्तर पर देख कर दुखी हो रही हैं ।
-------मेरे साथ ऐसा क्यों होगा ? मेरा बेटा ऐसा नहीं है । उसके अंदर मेरे संस्कार हैं ।
--------हर बेटे के अंदर अपनी ही माँ के संस्कार होते हैं । लेकिन बहू के अंदर भी तो उसकी माँ और बाप के संस्कार होते होंगे । इसके अंदर शायद अपने बाप के संस्कार ज़्यादा मात्रा में पड़ गए होंगे ।
-------अगर उसकी बहू भी कल को उसके साथ ऐसा ही करे तो ?
---------क्या पता जो इस समय निरीह, बीमार, बिस्तर से लगी हुई दिख रही है, जिसके लिए आप दुबली हुई जा रहीं हैं, जिसमे आपको अपना भी भविष्य दिख रहा है, -हमने उस सास का ज़माना तो देखा ही नहीं । हो सकता है कि वह भी अपनी जवानी में बहू को ऐसे ही पीटती हो । या हो सकता है इससे भी ज़्यादा पीटती हो । तब घरों में सी सी टी वी कैमरे लगाने की सुविधा नहीं होती थी इसीलिये सासों की दबंगई सामने नहीं आ पाती थी ।
---------क्या मिलता होगा उसे बीमार सास को मार कर ?
-------इसका मतलब आपने देख कर भी कुछ नहीं देखा । असल में वह आनंद ले रही थी । पीटने का आनंद । उसे सास से छुटकारा नहीं चाहिए था । छुटकारा चाहती तो एक ही बार में गला दबा कर मार ही डालती । उस पर कोई शक भी नहीं करता क्यूंकि एक तो वह सुशील, साड़ी पहिनने और सिर पर पल्ला धरने वाली बहू थी और दूसरे सास बिस्तर से लगी हुई थी । लोग बीमार के लम्बे समय तक ज़िंदा रहने पर शक करते हैं, और उस अमरबूटी का नाम पूछने लगते हैं, जिसके कारण बीमार के प्राणों को निकलने का मार्ग नहीं मिल पाता । बेचारी बहू छह महीने से वह रोज़ थोड़ा - थोड़ा पीटने का आनंद ले रही थी । इसमें भी कोई शक नहीं कि वह सास की लम्बी उम्र के लिए रोज़ भगवान से प्रार्थना करती हो ताकि सास को पीटने का सुअवसर उसे लम्बे समय तक मिलता रहे । उसके लिए सास एक खिलौने से ज़्यादा कुछ नहीं थी मैं तो कहूँगी कि जब भी उसकी सास मरेगी तब वह सबसे ज़्यादा रोएगी और उसके दुःख दिखावटी भी नहीं होगा ।
-------- बीमार थी बुढ़िया । बीमार को कोई ऐसे मारता है क्या ?
--------आपका कहने का मतलब है कि अगर वह स्वस्थ होती तब मारती ? या अब उसके स्वस्थ होने का इंतज़ार करती, जो कि लगभग नामुमकिन सी बात है, और स्वस्थ होने पर सास क्या खुद को ऐसे पिटने देती ?
---------उसे डर नहीं लगा होगा क्या एक पल को भी ? अगर उसके साथ भी बुढ़ापे में ऐसा हो तब उसे कैसा लगेगा ?
-----------इसकी क्या गारंटी है कि अगर वह वर्तमान में अपनी बीमार सास की सेवा करती तो भविष्य में उसकी बहू उसकी पिटाई नहीं करेगी ? हो सकता है कि इस बीमार सास ने अपनी सास की भूतकाल में बहुत सेवा करी हो, लेकिन वर्तमान में तो वह अपनी बहू से पिट ही रही है ना ? यह तो कोई बात नहीं हुई कि बहू अपने बुढ़ापे की या अगले जन्म की चिंता करने में अपने वर्तमान के पिटाई करने के मज़े की तिलांजलि दे दे ।
-------------मैं कहती हूँ कि कितने दिन ज़िंदा रहती बुढ़िया ? थोड़ा सब्र कर लेती । मारने - पीटने की ज़रूरत ही नहीं रहती ।
--------------वाह ! क्या खूब कही आपने । मौत का क्या भरोसा ? कई बार बहुएं बूढ़ी हो जाती हैं सास के मरने का इंतज़ार करते - करते । कई बहुएं तो सास से पाहिले ही स्वर्गवासी हो जाती हैं और सास की पिटाई करने की अपने दिल की हसरत दिल में लिए हुए ही संसार से कूच करना कितना तकलीफदेह होता है, यह आप किसी बहू की अतृप्त आत्मा को प्लेनचिट या किसी अन्य तरीके से बुलवा कर पूछें तब पता चलेगा ।
--------------जो भी हो, आप कितना ही कुतर्क कर लें, मारना और पीटना नाजायज़ हरकत है इसे जायज़ ठहराने की कोशिश मत कीजिये ।
--------------आप जो अपनी कक्षा के बच्चों को रोज़ाना डंडे से पिटाई करती हैं, पहले पीरियड से लेकर आख़िरी तक लगातार आपका डंडा किसी न किसी के हाथ या पीठ या पैरों पर बरसता रहता है वह क्या जायज़ है ?
--------------वे लातों के भूत हैं।नंबर एक के उपद्रवी हैं और अभी बच्चे हैं । कितना ही मारो अगले दिन भूल जाते हैं। उनको पीटने और बुजुर्गों को पीटने में फर्क होता है ।
--------------क्या खूब कही आपने ! जवान पिटे तो जायज़, बुजुर्ग पिटे तो नाजायज़ । बहू पिटे तो जायज़, सास पिटे तो नाजायज़ । आदमी पिटे तो जायज़, औरत पिटे तो नाजायज़ । स्वस्थ पिटे तो जायज़, बीमार ---पिटे तो ना जायज़ । ,बच्चे पिटें तो जायज़ बुजुर्ग पिटे तो नाजायज़ ।
----------आपसे तो बात करना ही बेकार है । सोचा था किसी के आगे गुबार निकाल कर मन हल्का हो जाएगा , पर यह तो और भारी हो गया । निहायत ही इतना समय बर्बाद किया ।
ैंमैं समझ नहीं पा रहीहूँ कि मैंने ऐसा क्या कह दिया जिससे वह इस कदर नाराज़ होकर चली गयी ?