लाल बत्ती की अभिलाषा -
लड़ियों में गूँथा जाऊँ |
चाह नहीं शादी के मंडप में
लग कर झूठी शान बढ़ाऊँ |
चाह नहीं डार्क रूम में लग
फोटुओं को धुलवाऊँ |
चाह नहीं डी.जे.में फिट हो
हे हरि! सबको नाच नचाऊँ|
मुझे खोल लेना, छत से आली !
उस पथ पर देना फेंक
रेस कोर्स पर शीश नवाने
जिस पथ जाएं वी.आई.पी.अनेक | [ स्व. माखनलाल चतुर्वेदी से क्षमा प्रार्थना ]