tag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post3374610029150360392..comments2024-02-14T14:23:49.866+05:30Comments on कुमाउँनी चेली: परिवर्तन की सुखद बयारशेफाली पाण्डेhttp://www.blogger.com/profile/14124428213096352833noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-17041009688509554652010-01-25T14:42:36.841+05:302010-01-25T14:42:36.841+05:30अच्छी शुरुआत है .... कितना अच्छा हो युवा वर्ग या क...अच्छी शुरुआत है .... कितना अच्छा हो युवा वर्ग या कोई भी वर्ग, संस्था ......हर शहर में ऐसी शुरुआत करे .......दिगम्बर नासवाhttp://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-10107541663911068952010-01-25T11:24:02.975+05:302010-01-25T11:24:02.975+05:30लेख प्रेरक जरूर है मगर कहीं न कहीं ये सवाल खुला छो...लेख प्रेरक जरूर है मगर कहीं न कहीं ये सवाल खुला छोड़ के जाता है कि आखिरकार समाधान क्या है ! क्योंकि मैं भी कुछ ऐसे कार्य में पिछले ३ वर्षों से लगा हुआ हूँ जहां छोटा सा सामाजिक परिवर्तन लाने कि जद्दोजहद चल रही है !खैर एक शब्द प्रयोग करना चाहूँगा वह है "individual social responsibility " यानी "व्यक्तिगत सामाजिक जवाबदेही" . बहुत आसान है किसी के कार्य की प्रशंसा करना मगर कितना मुश्किल है इस जिम्मेदारी को खुद के कन्धों पर उठाना ?<br><br>मैं जानता हूँ हर एक माध्यम वर्गीय गृहस्थ का सपना होता ही है कि अपनी कार हो ,कार खरीद कर अब आप अपने सपनों को साकार तो कर लेते हैं मगर पर्यावरण के साथ गैर जिम्मेदारी कर डालते हैं .."सार्वजनिक परिवहन " का उपयोग करने वाले ६० लोग जितना पर्यावरण को दूषित करते हैं कार वाले भाई साहब उसका ४५ गुना ज्यादा ! किन्ही भाई साहब ने कोमोंवेअल्थ गेम्स का नाम लिया ! मैं बता दूं कि दिल्ली में सड़को को जितनी जल्दी चौड़ा किया जाता है उससे ३ गुने तेजी से गाड़ियां यानी कार बढ़ जाते हैं सडकों पर ! १० किमी का रास्ता तय करने में कम से डेड़ घंटा लगना आसान सी बात है और उस डेड़ घंटे में डेड़ सौ गालियाँ सरकार को देना भी मुनासिब समझा जाता है !किसी लाल बत्ती पर अगर जाम है तो ३०० कर और उसमे बैठे ५०० लोग होंगे और १५ गाड़ियां और उसमे बैठे ९०० लोग ! कुछ अखरती सी है ये बात ,क्यों, कौन जिम्मेदार है अब ? एक उधाहरण देखिये ..<br>http://www.rideforclimate.com/journals/?p=92<br>http://archive.wri.org/page.cfm?id=880&z=<br><br>मेरा बस ये कहना है कि ये पानी ,हवा ,पेड़ ,ईधन ,पैट्रोल,सड़कें,परिवहन ,बिजली ये सब संसाधन व्यक्तिगत नहीं हैं सामाजिक और राष्ट्रीय सम्पति हैं इनका उपयोग और दुरूपयोग हमारे ऊपर निर्भर है !<br><br>http://pulzinponderland.wordpress.com/2009/03/22/tips-for-an-envrionment-friendly-living/<br><br> "परिवर्तन" नाम से एक और संस्था दिल्ली में भी कार्यरत है ,मैग्सेसे विजेता, RTI activist और पूर्व सिविल सर्विस अधिकारी ,प्रख्यात श्री अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व में ! कई लोग लगे हुए हैं इस दुनिया को बेहतर बनाने में मगर जब तक हर इंसान "individual social responsibility " को नहीं समझेगा ये मोर्चा सागर में एक बूँद सामान होगा ! <br><br>इस लेख द्वारा जानकारी देने के लिए शुक्रिया !! <br><br> Darshan Mehra<br>"Happiness is a Decision !! "<br>http://darshanmehra.blogspot.com"Darshan"http://www.blogger.com/profile/10062999962877720229noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-58175845201578048582010-01-25T08:38:34.244+05:302010-01-25T08:38:34.244+05:30शेफाली बहना, परिवर्तन जैसी मुहिम की देश के हर शहर ...शेफाली बहना, <br>परिवर्तन जैसी मुहिम की देश के हर शहर को सख्त ज़रूरत है...खास तौर पर कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले दिल्ली को...<br>इस तरह के परिवर्तन होते हैं तो हर कोई बदलता है...और ये बदलाव ही जीवन है...<br><br>जय हिंद...खुशदीप सहगलhttp://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-39835581872234924102010-01-25T05:32:54.072+05:302010-01-25T05:32:54.072+05:30बहुत अच्छा लगा परिवर्तन संस्था के बारे में जानकर. ...बहुत अच्छा लगा परिवर्तन संस्था के बारे में जानकर. बहुत सार्थक कार्य.<br><br>बताने के लिए आपका आभार!!Udan Tashtarihttp://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-34245405522392456122010-01-24T23:14:49.135+05:302010-01-24T23:14:49.135+05:30bahut badhiyaa likhaa hain aapne.kaash aisaa saare...bahut badhiyaa likhaa hain aapne.<br>kaash aisaa saare desh bhar main saare shahero main ho.<br>thanks.<br>www.chanderksoni.blogspot.comचन्द्र कुमार सोनीhttp://www.blogger.com/profile/13890668378567100301noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-78466873358298483612010-01-24T21:29:54.586+05:302010-01-24T21:29:54.586+05:30यह तो अच्छी खबर है.....यह तो अच्छी खबर है.....डॉ. मनोज मिश्रhttp://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-76727415913773216232010-01-24T19:55:10.337+05:302010-01-24T19:55:10.337+05:30बड़ी अच्छी बात पता चली और एक अच्छी शुरुआत है ये .बड़ी अच्छी बात पता चली और एक अच्छी शुरुआत है ये .अनिल कान्त :http://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-86739463088633756362010-01-24T19:48:15.562+05:302010-01-24T19:48:15.562+05:30अच्छा लेख ।। मजबूरी यह होती है कि बहुत सी जिम्मेदा...अच्छा लेख ।। मजबूरी यह होती है कि बहुत सी जिम्मेदारियाँ उठाने की आजादी आम आदमी को नहीं है, इसलिए सामूहिकता का जबरदस्त हास होता जा रहा है, जिम्मेदारी का भाव लगातार कम होता जा रहा है। फिर इसलिए सामाजिक कामों को कानपुर और परिवर्तन के लोग बधाई के पात्र हैं।<br><br>प्रमोद ताम्बट<br>भोपाल<br>www.vyangya.blog.co.inप्रमोद ताम्बटhttp://www.blogger.com/profile/03951685009971991305noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-59097671151952991432010-01-24T17:11:21.877+05:302010-01-24T17:11:21.877+05:30मास्टरनी जी, अति उत्तम लेख। लोग मिल बैठ कर चाह लें...मास्टरनी जी, अति उत्तम लेख। लोग मिल बैठ कर चाह लें तो क्या नहीं हो सकता !गिरिजेश रावhttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-47654350638800271462010-01-24T16:54:00.319+05:302010-01-24T16:54:00.319+05:30अच्छा लगा पढ़ कर!काश ऐसा ही परिवर्तन अन्य शहरों में...अच्छा लगा पढ़ कर!काश ऐसा ही परिवर्तन अन्य शहरों में भी आये!इस संस्था के बारे में कुछ और जानकारी देने का प्रयास करें..RAJNISH PARIHARhttp://www.blogger.com/profile/07508458991873192568noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-31968101525819019322010-01-24T15:52:38.263+05:302010-01-24T15:52:38.263+05:30हां...... हर नागरिक को अपनी ज़िम्मेदारी खुद समझनी ...हां...... हर नागरिक को अपनी ज़िम्मेदारी खुद समझनी चैहिये.... बहुत अच्छी लगी आपकी पोस्ट....महफूज़ अलीhttp://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-55311922850382011952010-01-24T14:17:39.817+05:302010-01-24T14:17:39.817+05:30मैं भविष्य के प्रति आशा से भर जाती हूँ, और कल...मैं भविष्य के प्रति आशा से भर जाती हूँ, और कल्पना करती हूँ उस दिन की जब देश का हर नागरिक अपनी समस्याओं के लिए किसी को भी कोसने के बजाय अपने शहर और देश के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी को समझेगा और आने वाली पीढ़ी को एक स्वस्थ और स्वच्छ सन्देश देगा|<br>"काश ऐसे हो" शिक्षाप्रद और सन्देश युक्त आलेख के लिए आभार और धन्यवाद्.ह्रदय पुष्पhttp://www.blogger.com/profile/01112995466253583704noreply@blogger.com