tag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post8700252229582792691..comments2024-02-14T14:23:49.866+05:30Comments on कुमाउँनी चेली: मार्केट वैल्यूशेफाली पाण्डेhttp://www.blogger.com/profile/14124428213096352833noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-46915619620130235172009-04-06T21:42:00.000+05:302009-04-06T21:42:00.000+05:30"मार्केट वैल्यू" पढ़कर मैं सन १९७७ की स्मृतियो...<B> "मार्केट वैल्यू" पढ़कर मैं सन १९७७ की स्मृतियों में पहुँच गया जब मैं अपनी बहन के रिश्ते के लिए भटक रहा था, और लड़के वालों के आसमान तकते व्यवहार को गले नहीं उतार प् रहा था.<BR/> वाकई लड़की वालों kee कितनी निरीह स्थिति और लड़के वालों की अकड़पन की स्थिति होती है,<BR/>लड़के वाले तो अपने लड़के को पुत्र नहीं ब्लेंक चेक समझते हैं.<BR/> लेकिन आज बदलाव आया भी ये ख़ुशी है.<BR/>- विजय <BR/><BR/> <BR/></B>विजय तिवारी " किसलय "https://www.blogger.com/profile/14892334297524350346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-75253858480544326042009-04-04T19:01:00.000+05:302009-04-04T19:01:00.000+05:30सच है ..क्या क्या सोचते हैं लोग - बाग !!सच है ..क्या क्या सोचते हैं लोग - बाग !!लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-35385478651942447082009-04-04T16:44:00.000+05:302009-04-04T16:44:00.000+05:30aise dheron kisse hain bahut se gharon keaise dheron kisse hain bahut se gharon keअनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-63701222494920149562009-04-04T15:09:00.000+05:302009-04-04T15:09:00.000+05:30जिस देश में 1000 लडकों पर 923 लडकियां हों वहां क्...जिस देश में 1000 लडकों पर 923 लडकियां हों <BR/><BR/>वहां क्या ऐसा भी हो सकता है <BR/><BR/><BR/>ये सोचकर अजीब लग रहा है <BR/><BR/>चिंता न कीजिए <BR/><BR/>थोडे दिनों की बात है जब ऐसे ही लोग लडकी वाले के दरवाजे पर खडे होकर लडकी के हां करने का इंतजार करते नजर आएंगेराजीव जैनhttps://www.blogger.com/profile/07241456869337929788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-77081110117500812252009-04-04T06:35:00.000+05:302009-04-04T06:35:00.000+05:30"तुम्हारी अक्ल घास चरने तो नहीं चली गयी. याद नहीं,..."तुम्हारी अक्ल घास चरने तो नहीं चली गयी. याद नहीं, पिछले साल बड़ी जिठानी जी का लड़का, जो मामूली सा क्लर्क है, उसके लिए पचास से अधिक लड़कियों की जन्म-पत्रियाँ व फ़ोटो आयी थीं. कैसे चिढ़ा रही थीं वो मुझे. अब मेरी बारी है. जब तक दो या ढाई सौ प्रस्ताव न आ जाएँ, मुझे चैन नहीं आएगा. आख़िर मेरा बेटा इंजीनीयर है, उसकी मार्केट वैल्यू ज्यादा होनी चाहिए या नहीं?"<BR/><BR/>दूल्हों के बाजार सज रहे हैं। बोलियाँ लग रही हैं।<BR/>इसी लिए बेटियाँ पैदा करना विडम्बना बनता जा रहा है। <BR/>दूल्हे बेचने वालों का सामाजिक रूप से बहिष्कार होना चाहिए। <BR/>तभी बेटियों का मान होगा और उनकी अभिवृद्धि भी।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-7399963652320463892009-04-04T00:03:00.000+05:302009-04-04T00:03:00.000+05:30यह सिर्फ कहानी नहीं, ऐसी दो महिलाओं को मैं भी जानत...यह सिर्फ कहानी नहीं, ऐसी दो महिलाओं को मैं भी जानता हूँ।Anil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/06680189239008360541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-30834583584256186922009-04-03T21:02:00.000+05:302009-04-03T21:02:00.000+05:30मनोज मिश्र जीहाल नहीं हलाहल हैजो समाज मेंभीतर तक ह...मनोज मिश्र जी<BR/>हाल नहीं <BR/>हलाहल है<BR/>जो समाज में<BR/>भीतर तक है भरा<BR/>इसे निकालना होगा।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-74322222134745737302009-04-03T20:40:00.000+05:302009-04-03T20:40:00.000+05:30यही हाल है .यही हाल है .डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-46964485546345690682009-04-03T19:57:00.000+05:302009-04-03T19:57:00.000+05:30हे भगवान यह कैसी लड़के के माँ होने की मानसिकता है ...हे भगवान यह कैसी लड़के के माँ होने की मानसिकता है ...वैसे कही आपने बात सच्ची है ..अब तक इस तरह की बातों का मुझे भी अनुभव हो चुका है ...गरूर कई जगह देखा है यूँ इस तरह का ...रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.com