शुक्रवार, 24 अप्रैल 2009

दो चुनावी क्षणिकाएं ....

साथियों ....चुनावी मौसम में ....चुनावी क्षणिकाएं .......
जगदीश टर्रटर्र
 
वो
जब अदालत में आते हैं
धुँआधार आंसू
बहाते हैं
उनका रोना देख
मुकदमा करने वाले
खुद को
अपराधी पाते हैं
 
 
जन सेवा
 
उन्होंने 
जन सेवा का
व्रत लिया है
आज तक
मंत्री से कम
कोई पद
नहीं लिया है
 

15 टिप्‍पणियां:

  1. उन्होंने
    जन सेवा का
    व्रत लिया है
    आज तक
    मंत्री से कम
    कोई पद
    नहीं लिया है


    अद्भूत !!

    जवाब देंहटाएं
  2. उनका रोना देख
    मुकदमा करने वाले
    खुद को
    अपराधी पाते हैं

    क्या ये मगरमच्छ के आँसू हैं?

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर प्रस्तुति।

    जन सेवा का व्रत लिया सेवा करेगा कौन।
    निज सेवा करके सदा सेवक होते मौन।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
    कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

    जवाब देंहटाएं
  4. ऐसी जनसेवा करने का मौका ईश्वर सबको दे!!

    जवाब देंहटाएं
  5. प्रिय मित्र,
    अच्छी पठनीय रचनाओं के लिए आभार।
    अखिलेश शुक्ल
    pl visit us
    http://katha-chakra.blogspot.com
    http://rich-maker.blogspot.com
    http://world-visitor.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  6. नेता और अपराधियों की खोल दी है पोल

    खोली नहीं सिर्फ पोल बल्कि पीटा है ढोल

    जवाब देंहटाएं
  7. सामयिक और पोल खोलने वाली सटीक क्षणिकाएं।

    जवाब देंहटाएं
  8. शेफाली जी सामयिक हैं .
    सत्य कहा आपने .
    - विजय

    जवाब देंहटाएं