tag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post2776037305491821220..comments2024-02-14T14:23:49.866+05:30Comments on कुमाउँनी चेली: क्यूँ मक्खी ? क्या समझ के आई थीशेफाली पाण्डेhttp://www.blogger.com/profile/14124428213096352833noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-11820391439910829302009-06-21T22:53:44.845+05:302009-06-21T22:53:44.845+05:30aapko bhut bhut badhai ,bhut hi acha hi acha vygy ...aapko bhut bhut badhai ,bhut hi acha hi acha vygy hai.sach batau mhilaye vygy kam hi likhti hai isliye aapko dabal badhai .<br />mai aapke blog par phli bar hi aai hu lekin ab hmesha aana hoga kyoki aapki likhne ki shaili aur vishay dono ache lge .शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-37758094663718144082009-06-21T21:21:59.979+05:302009-06-21T21:21:59.979+05:30बेचारी मक्खियां... और इतने सारे शिकारी।बेचारी मक्खियां... और इतने सारे शिकारी।विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-70775957619426271772009-06-21T20:03:58.605+05:302009-06-21T20:03:58.605+05:30बहुत बधाई.
रामराम.बहुत बधाई.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-9247272181725723542009-06-21T18:18:06.782+05:302009-06-21T18:18:06.782+05:30मख्खियाँ न सही मै तो आपको रोचक आलेख पर बधाई दे देत...मख्खियाँ न सही मै तो आपको रोचक आलेख पर बधाई दे देता हूँसमयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-18580983414597682322009-06-21T14:09:50.866+05:302009-06-21T14:09:50.866+05:30दस मक्खियां आपकी ब्लागिंग को दुआयें दे रही होंगी।दस मक्खियां आपकी ब्लागिंग को दुआयें दे रही होंगी।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-33979273240540276592009-06-21T12:25:16.476+05:302009-06-21T12:25:16.476+05:30इसे कहते है ...क्रिटिक दृष्टि...जीवन ज्ञान....जीवन...इसे कहते है ...क्रिटिक दृष्टि...जीवन ज्ञान....जीवन सार....क्या कहूँ....इमोशनल हो रहा हूँ...आखिर में लगाये गए सुरक्षा नोट के बारे में खबर है ...रिश्वत खाकर ओरिजनल सप्लाई नहीं है...फ़ौरन बदल डाले ...डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-10228963556335048682009-06-21T10:54:02.473+05:302009-06-21T10:54:02.473+05:30वर्ग विभाजित समाज व्यवस्था में मक्खी को इसलिए रखता...वर्ग विभाजित समाज व्यवस्था में मक्खी को इसलिए रखता है ताकि व्यवस्था के विरुद्ध विद्रोह को टाला जा सके। इस व्यवस्था में जनता को तो पिसना ही है। इस में मक्खी का दोष क्या है। आप ने व्यंग्य के लिए गलत विषय चुन लिया। व्यंग्य करना था तो प्रणाली पर करते। आप के व्यंग्य ने व्यवस्था के नंगे सच को ढ़क दिया है। और दलालो को निशाना बनाया है।<br />देश के मक्खी की कुल संख्या में से आधे से अधिक की आय तो साधारण क्लर्क से अधिक नहीं है। वे हास्य का विषय हो सकते हैं व्यंग्य का नहीं। <br />आप का आलेख मक्खी बिरादरी के लिए बहुत ही अपमान जनक है। यह तो अभी हिन्दी ब्लाग जगत में मक्खी पाठक इने गिने ही हैं और वे भी मित्र ही हैं। मैं ने भी आप के इस आलेख का किसी दलाल मित्र से उल्लेख नहीं किया है। इस आलेख के आधार पर कोई भी सिरफिरा मक्खी मीडिया में सुर्खियाँ प्राप्त करने के चक्कर में आप के विरुद्ध देश की किसी भी अदालत में फौजदारी मुकदमा कर सकता है। मौजूदा कानूनों के अंतर्गत इस मुकदमे में सजा भी हो सकती है। ऐसा हो जाने पर यह हो सकता है, कि हम पूरी कोशिश कर के उस में कोई बचाव का मार्ग निकाल लें, लेकिन वह तो मुकदमे के दौरान ही निकलेगा। जैसी हमारी न्याय व्यवस्था है उस में मुकदमा कितने बरस में समाप्त होगा कहा नहीं जा सकता। मुकदमा लड़ने की प्रक्रिया इतनी कष्ट दायक है कि कभी-कभी सजा भुगत लेना बेहतर लगने लगता है। <br /><br />एक दोस्त और बड़े भाई और दोस्त की हैसियत से इतना निवेदन कर रहा हूँ कि कम से कम इस पोस्ट को हटा लें। जिस से आगे कोई इसे सबूत बना कर व्यर्थ परेशानी खड़ा न करे।<br /><br />आप का यह आलेख व्यंग्य भी नहीं है, आलोचना है, जो तथ्य परक नहीं। यह मक्खी समुदाय के प्रति अपमानकारक भी है। मैं अपने व्यक्तिगत जीवन में बहुत लोगों को परेशान होते देख चुका हूँ। प्रभाष जोशी पिछले साल तक कोटा पेशियों पर आते रहे, करीब दस साल तक। पर वे व्यवसायिक पत्रकार हैं। उन्हें आय की या खर्चे की कोई परेशानी नहीं हुई। मामला आपसी राजीनामे से निपटा। मुझे लगा कि आप यह लक्जरी नहीं भुगत सकते। <br />अधिक कुछ कहने की स्थिति में नहीं हूँ।दिनेश की रायnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-55564400253072035512009-06-21T10:16:23.318+05:302009-06-21T10:16:23.318+05:30सही है नही तो नाना पाटेकर फ़िर किसी फ़िल्म मे आकर बड़...सही है नही तो नाना पाटेकर फ़िर किसी फ़िल्म मे आकर बड़बड़ाता,एक मक्खी,साली एक मक्खी आदमी को……………। <br /><br />मस्त लिखा आपने।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-19257436479386806182009-06-21T08:58:56.158+05:302009-06-21T08:58:56.158+05:30ये नोट लगा कर मज़ा किरकिरा कर दिया .ये नोट लगा कर मज़ा किरकिरा कर दिया .डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-5662394896313732092009-06-21T02:47:05.823+05:302009-06-21T02:47:05.823+05:30आखिरी मे सुरक्षा कवच नोट सही लगा दिया वरना माहौल ठ...आखिरी मे सुरक्षा कवच नोट सही लगा दिया वरना माहौल ठीक नहीं चल रहा है. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com