tag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post5071308281781872838..comments2024-02-14T14:23:49.866+05:30Comments on कुमाउँनी चेली: अप्प्लम चप्प्लम चप्पल[आई रे].......शेफाली पाण्डेhttp://www.blogger.com/profile/14124428213096352833noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-15430407127524410822009-03-21T22:45:00.000+05:302009-03-21T22:45:00.000+05:30वाह एकदम मस्तमजा आ गयाऔर जब एक व्यंग्यकार को मज...वाह एकदम मस्त<BR/><BR/>मजा आ गया<BR/><BR/>और जब एक व्यंग्यकार को मजा आ जाए<BR/><BR/>तो .......<BR/><BR/>समझ लेना कि उस व्यंग्य में प्रस्तुत उपमाओं का <BR/>कोई सानी नहीं, कोई तोड़ नहीं<BR/><BR/>बेतोड़ उपमाएं व्यंजनाएं उपजाई हैं आपने<BR/>शब्दों और भावों की इस संरचना में।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.com