tag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post629350723526562625..comments2024-02-14T14:23:49.866+05:30Comments on कुमाउँनी चेली: लघुकथा - आउटगोइंगशेफाली पाण्डेhttp://www.blogger.com/profile/14124428213096352833noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-55000054691128544112009-06-09T19:26:41.600+05:302009-06-09T19:26:41.600+05:30लाजवाब....!! सीधे सच्चे सब सामने रख दिया आपने....
...लाजवाब....!! सीधे सच्चे सब सामने रख दिया आपने....<br />स्नेह ममता परिवार आधुनिकता वगैरह वगैरह.....सबका सच....<br /><br />सार्थक कथा....काश यह दिल पर ऐसे लगे कि त्रासदी समाप्त हो...परिस्थितियां बदले...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-70543879886590359682009-06-09T15:01:29.392+05:302009-06-09T15:01:29.392+05:30शिफालीजी,
एक मार्मिक कथा, किन्तु अगर बुरा न माने त...शिफालीजी,<br />एक मार्मिक कथा, किन्तु अगर बुरा न माने तो एक छोटी सी कमी की तरफ ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा, कहानी की सुरुआत कहती है कि मा-बाप अनपढ़ है, और उन्हें मोबाइल ओंन- ऑफ करना सिखाकर फ़ोन दे दिया गया ! लेकिन कहानी के अंत में माँ फ़ोन मिलाकर बात करना चाहती है, जो कुछ अटपटा लगता है, बेहतर होगा कि आप यदि या तो कहानी के सुरु में अनपढ़ वाले वाक्य को हटा दे या फिर आखिर में शब्दों को थोडा एलाबोरेट कर दे जैसे कि माँ ने पास ही में खड़े एक गाँव के विद्यार्थी से फ़ोन मिलवाया..........अगर कुछ गलत कह दिया हो तो क्षमा ! <br /><br />शुभकामनावो सहित, <br />गोदियालपी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-72364579003364903172009-06-09T12:20:24.070+05:302009-06-09T12:20:24.070+05:30अरे! मेरी टिप्पणी कहाँ गायब हो गयी!?
वैसे इस बार ...अरे! मेरी टिप्पणी कहाँ गायब हो गयी!?<br /><br />वैसे इस बार मैं हमेशा की तरह वाह नहीं कह सकता :-(Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-6320492602456117082009-06-09T10:14:55.348+05:302009-06-09T10:14:55.348+05:30ये लघु-कथा नही है बल्कि हर गांव का सबसे बड़ा सच है।...ये लघु-कथा नही है बल्कि हर गांव का सबसे बड़ा सच है।इसे मैने भी महसूस किया है और बहुत पहले लिखा था कि गांव वृद्धाश्रम बनते जा रहे हैं।बहुत कड़ुवी सच्चाई सामने ला दी आपने।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-57726699743176488562009-06-09T09:05:11.852+05:302009-06-09T09:05:11.852+05:30बहुत सधी हुई कथा..बेहतरीन!!बहुत सधी हुई कथा..बेहतरीन!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-3772966518255789972009-06-09T08:02:12.488+05:302009-06-09T08:02:12.488+05:30बहुत सटीक और मार्मिक. अक्सर ऐसे ही हैं आजकल के हाल...बहुत सटीक और मार्मिक. अक्सर ऐसे ही हैं आजकल के हालात. क्या किया जाये? ऐसे बेटों को क्या कहें?<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-62336883375148750412009-06-09T07:26:59.830+05:302009-06-09T07:26:59.830+05:30ये वक्त -वक्त की बात है .ये वक्त -वक्त की बात है .डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-83367628507201850192009-06-08T23:29:52.896+05:302009-06-08T23:29:52.896+05:30एक बारगी जैसे पूरा वजूद सिहर उठा कहानी पढ़कर, मैम।
...एक बारगी जैसे पूरा वजूद सिहर उठा कहानी पढ़कर, मैम।<br />सच में, ऐसी ही तो है हमारी आज की ये पीढ़ी...the gen X Y और Z...गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-74143794502665491262009-06-08T22:58:26.552+05:302009-06-08T22:58:26.552+05:30..Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4617131179721652615.post-51722939143177973342009-06-08T22:31:37.301+05:302009-06-08T22:31:37.301+05:30kisne kaha inse mobail de do iza baboo ko are aajk...kisne kaha inse mobail de do iza baboo ko are aajkal to gaon gaon me PCO hainसुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.com