सोमवार, 22 दिसंबर 2008
गुरुवार, 11 दिसंबर 2008
नव्या (मेरे जीवन की डोर) के पाँचवे जन्मदिन (२५ नवम्बर, २००८) के उपलक्ष्य पर
ये हंस दें तो झरने बहने लगते हैं
मुस्कुरा दें तो सूरज चमकने लगते हैं
जिनकी बातों में उतरते हैं सात सुर
इनके आगे इन्द्रधनुष फीके लगते हैं
क्यूँ न इनके जीवन से यह नागफनियाँ हटा दें
'गुड', 'बैड', 'नीट', 'क्लीन' को मिटा दें
हथेलियों पे उतार दें चाँद-तारे
फूल-पत्ती व पंखों से बस्ते सजा दें
फ़िर देखना क़ायनात शरमा जायेगी
रात को गहरी नींद आ जायेगी
होंठो पे उतरेगी भोर की लाली
हर तरफ़ ------ की खुमारी छा जाएगी
चन्द्रमोहन और अनुराधा
सोहनी की मटकी फूटी, निकली बाहर अनुराधा,
देखे मजनूँ 'चंदू' को, मेरा भूत कहाँ से आया?
कहती वो, हमारा मिलन है जन्मों का वादा,
उसके नाम से 'मोहन' जुड़ा, मेरे नाम से 'राधा',
हम से पूछो हम बताएँ
'रा' निकालो अनुराधा से, 'ह' निकालो मोहन से,
'ऊ' की मात्रा जोड़ जो आए, वही हो तुम कसम से.
राधा के प्यार से टक्कर लोगी, नए ज़माने की तुम नार.
इतनी बड़ी वकील हो, तर्क भी सब के सब हैं बेकार.
पर इतना तो दुनिया जानती है
राधा ने ना धर्म बदला, ना तोड़ा कोई घर बार.........शेफाली
रविवार, 7 दिसंबर 2008
तीन बयानों का मिश्रण
फूटे जो मुंबई में बम,
नेताओं का दिमाग ही हिल गया
और हम जैसे निठल्लों को,
घर बैठे ही मसाला मिल गया
तीनों के बयानों को जोड़ दिया
तो देखिए
मुफ्त का हमको कैसे मज़ा मिल गया
बयान --------------------------------
बड़े-बड़े शहरों की छोटी-छोटी सी ये बातें
इनपे गौर फरमाएं तो गज़ब ही हो जाएगा
महिलाएं जो ना पोतें मुँह पे लिपिस्टिक और पाउडर
कुत्ता भी इनके घर भोंकने को नहीं जाएगा
और घर पर जाएगा जब वो मिनिस्टर
दरवाज़ा खोलेगी बीबी तो पहिचान नहीं पाएगा
बंद हो जाएगा गर इनका प्रोडक्शन
बाज़ार आधा खाली हो जाएगा
काँप उठेगा अर्थतंत्र, हिल जाएगा प्रशासन
बचा खुचा सेंसेक्स भी धड़ाम हो जाएगा
इसलिए महिलाओं की ये मजबूरी है
अर्थव्यवस्था के लिए मेकअप ज़रूरी है
जश्न मनाइए.....
चुप हैं क्यूँ, अब तो नाचिए, गाइए, जश्न मनाइए
मुरझाये हुए चेहरों पे हँसी तो ज़रा लाइए
क्या हुआ जो राशन न हुआ सस्ता
पेट्रोल में पूरी तलिए, डीज़ल में सब्जी पकाइए