शैफाली जी,बड़े ही अच्छे मौके पर दागा है प्रश्न नेता बगलें झांक रहे, गुरू खड़े हैं सन्नइस अबूझ पहेली का कोई हल ना पाया हाथ कटा हरबार जो ठप्पा ठोंक आयाबहुत ही अच्छी रचना है. बधाईयाँ.मुकेश कुमार तिवारी
Prashan bahut gahra hai jabaab sabke paas hai .... Aam aadmi
शैफाली जी,एक प्रश्न पर हैं सब मौन ...... रचना से जाहिर है कि जनता का ही हाथ कटता है सदाबाकी के तो मौज उडाते हैं;कटता है जिसका हाथ सदा वह आखिर है कौन?- विजय
sach hai...
बिल्कुल सही ...
शैफाली जी,
जवाब देंहटाएंबड़े ही अच्छे मौके पर दागा है प्रश्न
नेता बगलें झांक रहे, गुरू खड़े हैं सन्न
इस अबूझ पहेली का कोई हल ना पाया
हाथ कटा हरबार जो ठप्पा ठोंक आया
बहुत ही अच्छी रचना है. बधाईयाँ.
मुकेश कुमार तिवारी
Prashan bahut gahra hai jabaab sabke paas hai .... Aam aadmi
जवाब देंहटाएंशैफाली जी,
जवाब देंहटाएंएक प्रश्न पर हैं सब मौन ...... रचना से जाहिर है कि
जनता का ही हाथ कटता है सदा
बाकी के तो मौज उडाते हैं;
कटता है जिसका हाथ सदा
वह आखिर है कौन?
- विजय
sach hai...
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही ...
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