बुधवार, 24 जून 2009

बहुत दिनों बाद .........फिर से.कुछ क्षणिकाएँ .......

.अपने दाँत का दर्द कुछ कम है  
इसीलिए फिर से क्षणिकाओं का  
मौसम गर्म है ....................
 
जड़ें ...............१
 
राजनीति की
अजब सी यह
परिपाटी है ,
दूसरों की
जड़ों को
जितना खोदो
उतना ,
अपनी गहरी
होती जाती हैं
 
जड़ ..........२
 
वे ,
नित नए
दाँव पेचों
से
विरोधियों के
पैरों तले
ज़मीन
खिसका
जाते हैं
इसीलिए ,
स्वयं
ज़मीन से
जुड़े हुए
रह पाते हैं
 
जड़ ............३
 
उनहोंने ,
खुद को सदा 
ज़मीन से 
जुड़ा हुआ
नेता बताया
कितनी ज़मीन
जोड़ ली
पूछा तो ,
गिनना  ही
नहीं आया
केलकुलेटर से
हिसाब लगाया ...
 
 
 
 
 

8 टिप्‍पणियां:

  1. आपके दांत का
    मेरी दाढ़ में
    समा गया है
    दर्द बड़ा बेदर्द।

    ऐसे लगता है
    जैसे सभी नेता
    अपने तलवों में
    गोंद लगाते हैं

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  2. COMMENT LIKHA PADH PA RAHA HU.
    KISI KISI BLOG KE AKSHAR NAHI DIKHTE
    SIMPLE O O O O O O O O O DIKHAI DETE H
    KSISI NE BHI KOI HAL NAHI BATAYA.
    YADI AAP MADAD KAR PAYE TO M PAPPKA BLOG PADH SAKTA HU.
    blog par jo comment likha hua h wah padha ja raha h ji


    PLEASE
    RAMESH SACHCEVA
    hpsshergarh@gmail.com

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  3. बेहतरीन क्षणिकायें एक ही विषय पर...अच्छा है दाँत का दर्द कम हुआ. कुछ पढ़ने मिला.

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  4. जैसे ही ,
    डाक्टर ने
    शेफाली जी का,
    दांत उखाड़ के ,
    उनके हाथों में पकडाया,
    उन्होंने पूरे,
    राजकीय सम्मान से,
    उसे जमीन में दबाया.
    तभी उन्हें जमीन,
    पर ये सुन्दर सुन्दर,
    ख्याल आया.

    वाह वाह क्या खूब पढ़वाया .

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