कभी कभी मन करता है कि इन अस्पतालों की समझदारी पर बलिहारी जाऊं , इनकी प्रशंसा में स्तुतियाँ लिखूं , आरती गाऊं. इनकी समझदारी तो देखिये, जैसे ही किसी शातिर ...प्रकार अपनी { सुविधानुसार या हिम्मातानुसार} जोड़ सकते हैं, के ऊपर कोई गंभीर आरोप लगने वाला होता है, , उसे ये बीमार घोषित कर देते हैं, गोया कह रहे हों "बन्धु ! चिंता मत करो, हमारे होते हुए तुम्हारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता , वहां अदालत में बड़का भाई कानून तुम्हारी रक्षा करने के लिए है, यहाँ हम तुम्हारी देखभाल करने के लिए चौबीसों घंटे तैनात हैं''.
भविष्य में इन माननीयों को किसी किस्म की कोई दिक्कत न हो इसके लिए सरकार को कुछ सुझाव .....
एम्स और अपोलो की तर्ज़ पर देश में एक ऐसा अत्याधुनिक सुविधाओं से लेस अस्पताल का निर्माण करवाया जाए ,जहाँ सिर्फ मुक़दमे की संभावना वाले गणमान्य ? लोग ही प्रवेश पा सकें , जैसे ही हवा में इनके बारे में तरह - तरह की अफवाहें तैरने लगें, वैसे ही इन्हें आदर सहित एम्बुलेंस पर डालकर अस्पताल में भर्ती कर लिया जाए.
बीमारी को डाईग्नोस करने के लिए डॉक्टरों को बीमारी की एक लिस्ट थमा दी जाए , जिसकी ज़ुबान पब्लिक में शहद - शहद और और काम नीम - नीम हो उसे डाईबिटीज़ का रोगी घोषित कर दिया जाए, जिसका नाम भर सुन लेने से पब्लिक की ऊपर की सांस ऊपर, नीचे की सांस नीचे रह जाए, उस मान्यवर को सांस लेने में तकलीफ का प्रमाणपत्र, जिसने आम जनता की खून - पसीने की कमी को हाई - हाई जगहों में जाकर उडाने में तनिक भी हिचकिचाहट ना दिखाई हो उसे हाई ब्लड - प्रेशर का मरीज़ का सम्मान पत्र दे दिया जाए . मानव अंगों का कारोबार करने वालों को बेहिचक किडनी की बीमारी दिखाई जा सकती है
बलात्कार के आरोपियों के लिए बिस्तर का विशेष ख्याल किया जाए, उनके आस पास लेडी डॉक्टर्स और नर्सों की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए .
पकिस्तान से अपनी जान को जोखिम में डालकर आए हुए अपराधियों ? की खातिरदारी में कोई कोर - कसर ना छोडी जाए, इन भाइयों के लिए विशेष डाइट चार्ट का निर्माण किया जाए , उन्हें चिकन, मटन, कबाब की निर्बाध आपूर्ति होती रहे. जितना ज्यादा जोखिम उतनी तगडी खुराक, इस सिद्धांत का पूर्णतः पालन हो, उनके लिए अस्पताल में एक विशेष मोबाइल टावर भी बनवाना चाहिए जिससे सीमा पार की खबरें उन तक बिना व्यवधान के बराबर पहुँचती रहें.
हिन्दुस्तानी भाइयों के लिए बाबा रामदेव से मेनू सेट करवाकर सुबह से शाम तक लौकी के व्यंजन बनवाए जाएं .
घूस खाने के शौकीनों के लिए भविष्य में कब, कैसे और कितनी मात्रा में घूस खानी चाहिए इस विषय से सम्बंधित सेमिनारों की व्यवस्था अस्पताल के परिसर के अन्दर ही करवाई जाए , इसमें देश - विदेश के नामी - गिरामी घूसखोरों , जो आज तक किसी की पकड़ में नहीं आ पाए, ऐसे शूरवीरों को ससम्मान बुलवाया जाए, , उनसे परामर्श लिया जाए, अकेले घूस खाने वाले मनोरोगियों के लिए समुचित काउंसिलिग की व्यवस्था हो, ताकि भविष्य में अकेले खाने की वजह से उनका और उन्हें अकेले खाता देखकर और किसी
का हाजमा खराब न होने पाए.
अस्पताल में समय बिताने की वजह से इनके दिमाग में कोई मानसिक आघात ना पहुंचे और इनका सुनहरा भविष्य बर्बाद ना होने पाए, इसके लिए मनोवैज्ञानिकों को नियुक्त किया जाए, प्रवचन बेचने वाले बाबाओं के द्वारा आध्यात्मिक काउंसिलिंग की व्यवस्था करवाना भी इस दिशा में कारगर सिद्ध हो सकता है .
Aaapne bahut hi karaara vyang kiya hai..,.. aaj hi hamare lucknow ke paper mein tha ki IRCTC Railways ke Chirman jo 70, 000 ghoos lete huye dharaa gaye they..... unko chest mein pain hone ke kaaran hospital mein admit karna pada hai...... aur unke parijan hospital mein ghar ka bnaa hua khana leke aaye they....
जवाब देंहटाएंबहुत ही तीखा...एक लय में बहता हुआ व्यंग्य... बधाई...बहुत...बहुत...बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंमजा आ गया।
जवाब देंहटाएंबिना माँगे उल्टे सीधे फतवे देने वालों के लिए भी कुछ इंतजाम होना चाहिए। ...रामदेव तो उनसे मिल ही गए हैं। घरेलू विभाग के मंत्री जी भी मंच शेयर किए। ..
बड़ा डेडली कम्बीनेशन था।
wah kya thappad mara hai..jordar...maja aa gaya.
जवाब देंहटाएंवाह जी वाह मजा आ गया आपका ये सुझाव पढकर ...
जवाब देंहटाएंअध्यापन से चिकित्साध्यापन की ओर बढ़ते दमदार कदम।
जवाब देंहटाएंदावे के साथ कहता हूँ सब के सब अपनी सूजन की सिकाई करवा रहे होगे.......आपने मारे ही इतने भीगो - भीगो के है बिचारे और करे भी क्या ??
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया व्यंग्य!
बहुत धारदार लिखा है जी!
जवाब देंहटाएंबधाई!
डॉ शेफाली बहना को नेताओं का मर्ज सही डाइग्नोस करने के लिए चिकित्सा शास्त्र का ब्लॉगर्स नोबल दिया जाता है...
जवाब देंहटाएंजय हिंद
समझदार होते अस्पतालों को बहुत बेहतर सुझाव दे दिए हैं आपने ...शानदार ...धारदार ...व्यंग्य ...!!
जवाब देंहटाएंअब एक ऐसा अस्पताल खुलवा ही दो मास्टरनीजी। जय हो।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत लाजवाब व्यंग, आपको इस विधा में महारत हासिल है.
जवाब देंहटाएंरामराम.
:-)Aapka vyangya bahut sundar saamaayik aur manoranjak laga...orkut ब्लॉग की sidebar में
जवाब देंहटाएंसटीक।
जवाब देंहटाएंमैं तो आपके नज़रिए की कायल हूँ.......क्या अवलोकन करती हैं !
जवाब देंहटाएंइतना सुंदर व्यंग्य लिखा .. पर आपको मेरे ही साथ अन्याय करना था .. मैं आपकी स्थायी पाठिका हूं .. उस अस्पताल में एक ज्योतिषी की आवश्यकता क्यूं नहीं ??
जवाब देंहटाएंदरअसल संगीता जी ,
जवाब देंहटाएंजहाँ शनि राहू केतु आकर
एक जगह मिल जाते हैं
उस जगह सारे ज्योतिषी
फ़ेल हो जाते हैं
रहने दीजिये पहले ही डिप्रेशन में हूँ.....कौडा की संपत्ति सुन के .....वैसे अस्पताल में भरती होते वक़्त उनके एक्सप्रेशन उन्हें बेस्ट फिल्मफेयर का एवार्ड्स दिला सकते है.....
जवाब देंहटाएंनई पद्धति के अस्पताल- विचार अच्छा है
जवाब देंहटाएंachha sujhav hai
जवाब देंहटाएंak sujhav imandar ko kabhi asptal na dikhaye
bimaar to poora desh hai
जवाब देंहटाएंbut kaphi achchha likha hai
please see my blog
शीघ्र ही स्वास्थ्य मंत्रालय को आपके सुझाव भिजवाने की व्यवस्था की जाये । अगले पाँच सालो मे मुमकिन न हो तो उसके अगले पाँच सालो मे । तब तक नये स्वास्थ्य मंत्री आ ही जायेंगे । फिर नयेसिरे से आप लिखे और फिर भिजवाने की व्यवस्था के जाये ... ।
जवाब देंहटाएंकलयुग मे जो ना हो गनीमत है
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया लिखा है
atulniya blog! kumaun ka naam roshan karti rahein! aspatalon ka to kya kehna :)
जवाब देंहटाएंbadiya vyang
जवाब देंहटाएंbadiya vyang
जवाब देंहटाएंपतली गली ने देश का बेडा गर्क कर दिया है.. हर जगह मिल जाएगी ये
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