बुधवार, 4 मार्च 2009

यू. पी. की विधानसभा में बम.......कोरी अफवाह नहीं थी

डरते, सहमते कांपते

गिरते पड़ते हाँफते

पहुंचा जब विधानसभा

काँटा सा दिल में चुभा

 

देखा जब उसने

माया का जैसा

प्रक्षेपास्त्र

मुलायम का जैसा

ब्रह्मास्त्र

समझ में उसको आ गयी

अपनी नन्हीं सी औकात

 

ऎटम, न्यूक्लिअर, हाइड्रोजन

जिनके आगे टिकते हों कम

देख के ऐसे -ऐसे बम

निकल गया था उसका दम

 

इनकी बातों में बारूद है

नस-नस में भरे हुए अंगार

ये जलते बिन तीली के

सामने हो जब कोई शिकार

 

हुआ शर्म से पानी-पानी

फिस्स हो गया बेचारा

आया था फट पड़ने को

ढेर हुआ किस्मत का मारा

बरसात

सरकार के माथे पे चिंता
रुआंसी हो गयी है जनता
पूस फीका, माघ रीता
फागुन सूखा बीता
क्यों बूँद न गिरी आसमान से
पूछती हूँ मैं भगवान से
हंसते-हंसते इन्द्र बोला
बारिश ने भी बदला चोला
जैसा होता है देश
वैसा धरता हूँ मैं भेष
बुश पे बरसे दुनिया के जूते
मुंबई में तड-तड गोलियां
साबरा और फिज़ा की तरसी जवानी
आँखों से जमके बरसी
चंद्रों की झूठी प्रेम कहानी
उल-जलूल बयानों की, ऐसी आई बाढ़
छोटे-छोटे तिलों का, बना बड़ा सा ताड़
धोखे बरसाए राम और राजुओं ने
नोट बरसाए वेतन-आयोग ने
मंदी ने बरसाए बेरोजगार
पेट्रोल डीज़ल हुए सस्ते
मोबाइल पे बातें बेशुमार
फूहड़ नाच, बेसुरे गाने
रियलिटी-शो के वारे-न्यारे
अनगिन वादों की बौछार
सूखा फिर भी रह गया
उसी ग़रीब का घर-बार
दीप न जल सका एक भी
मना न कोई भी त्यौहार
साधो! बारिश ने भी बदल लिए
नेता जैसे रूप हज़ार………………………………………शेफाली