डरते, सहमते कांपते
गिरते पड़ते हाँफते
पहुंचा जब विधानसभा
काँटा सा दिल में चुभा
देखा जब उसने
माया का जैसा
प्रक्षेपास्त्र
मुलायम का जैसा
ब्रह्मास्त्र
समझ में उसको आ गयी
अपनी नन्हीं सी औकात
ऎटम, न्यूक्लिअर, हाइड्रोजन
जिनके आगे टिकते हों कम
देख के ऐसे -ऐसे बम
निकल गया था उसका दम
इनकी बातों में बारूद है
नस-नस में भरे हुए अंगार
ये जलते बिन तीली के
सामने हो जब कोई शिकार
हुआ शर्म से पानी-पानी
फिस्स हो गया बेचारा
आया था फट पड़ने को
ढेर हुआ किस्मत का मारा