रोना ...........
रोज़ सुबह जब
छः बजे की बस पकड़कर
काम पर जाती हूँ
तुम्हारा नन्हा सा मुँह
अपनी छाती से और
बंद मुट्ठी से आँचल छुड़ाती हूँ
तुमसे ज्यादा मैं रोती हूँ
बिटिया ! मैं बिलकुल सच कहती हूँ ....
सजावटी घास बनती तो
बाहों के झूले में झूलती
धूप, बारिश से बची रहती
बराबर खाद पड़ती
सुबह - शाम
पानी से तर रहती
पर यह क्या?
नन्हीं - नन्हीं जड़ों ने
इनकार किया
अपना रास्ता आप चुनना
स्वीकार किया
झरोखों से बाहर
निकल आई
दीवार भी उन्हें
रोक ना पाई
उसने हाथ फैलाए
तो सूरज बेकरार होकर
उतर आया आगोश में
तारों ने बिछा दी
मखमली रात की चादर
चंद्रमा बन गया
सिरहाना
धरती की ख़ुशी का
न रहा कोई ठिकाना
रात भर उसको भींचे
सोयी रही
अच्छा हुआ
जो चुन लिया उसने
जंगली घास बन जाना
मैंने उगली आग
मुझे
मर्दों के खिलाफ़
आग उगलनी थी
स्त्री विमर्श पर
थीसिस लिखनी थी
पिता ने मुझको
किताबें लाकर दीं
भाई ने इन्टरनेट
खंगाल दिया
बूढ़े ससुर ने
गृहस्थी संभाल ली
पति ने देर रात तक
जाग कर
पन्ने टाइप किए
बहुत थक गयी तो
बेटे ने पैर दबा दिए
मैं गहरी नींद सो गयी
मर्दों के खिलाफ़
सोचते सोचते
[अ] मंगलसूत्र ......
यह
जो मेरे गले में
काला नाग बना
डसता रहा
जिससे
ना मैं बंधी
ना तू जुड़ा
तेरा भी मंगल नहीं
ना मेरा हुआ भला
यह घोर अमंगल
का प्रतीक, यह सूत्र
फांस बना चुभता रहा
तोड़ना इसको फिर भी
काम सबसे कठिन रहा.
आपको महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं....
जवाब देंहटाएंपोस्ट बहुत अच्छी लगी..
बहुत ही अच्छी कविताएँ। शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंप्रमोद ताम्बट
भोपाल
www.vyangya.blog.co.in
www.vyangyalok.blogspot.com
क्या बात है शेफ़ाली बहना...
जवाब देंहटाएंहफ्ते भर की इतनी बढ़िया खुराक एक ही पोस्ट में...चश्मेबद्दूर
जय हिंद...
महिला दिवस की शुभकामनाएं। बहुत ही अच्छी कविताएं, मन को छू गयी। बधाई।
जवाब देंहटाएंसब की सब असरदार हैं... लेकिन पहली वाली अपनी मासूमियत लिए ह्रदय पर टंकित हो गयी और मंगलसूत्र तो ....
जवाब देंहटाएंहे भारतीय नारी !
महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं..
जवाब देंहटाएंsundar abhivyakti.
मनाइए की महिला आरक्षण विल पास हो जाए .....लालू और मुलायम की चलेगी तो सिर्फ बैगन का भुरता ही बनता रहेगा.शेफाली !आपकी कविताओं ने मन मोह लिया ....सघन अनुभूतियों मे पगी हैं ...हार्दिक बधाई .
जवाब देंहटाएंआदरणीया,
जवाब देंहटाएंतुमसे ज्यादा मैं रोती हूँ
बिटिया ! मैं बिलकुल सच कहती हूँ ....
कामकाजी महिलाओं का ये दर्द वाकई काबिले गौर है .....ह्रदय स्पर्शी रचना का आभार .......अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की बधाई
रोज़ सुबह जब
जवाब देंहटाएंछः बजे की बस पकड़कर
काम पर जाती हूँ
तुम्हारा नन्हा सा मुँह
अपनी छाती से और
बंद मुट्ठी से आँचल छुड़ाती हूँ
तुमसे ज्यादा मैं रोती हूँ
बिटिया ! मैं बिलकुल सच कहती हूँ ....
कामकाजी महिला का दर्द दिल को छू गया
बहुत थक गयी तो
बेटे ने पैर दबा दिए
मैं गहरी नींद सो गयी
मर्दों के खिलाफ़
सोचते सोचते
बहुत गहरी बात कह दी शेफाली जी। निशब्द हूँ इस अनुभूति पर सब से अच्छी लगी ये कविता।
और मंगल सूत्र भी बहुत अच्छी अभिव्यक्ति है नारी के विभिन्न रूप विभिन्न अनुभूतियां दिखाती रचनायें गहरे तक दिल को छू गयी। महिला दिवस की बहुत बहुत बधाई।
बहुत शानदार और गहन अर्थों वाली कविताएं. बहुत शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
शेफाली जी कहाँ से भावों की मोती लाती हैं,जितनी तारीफ करूं कम है.
जवाब देंहटाएंआप में बहुत विविधता है,बहुत बधाई.
One of your best post.
जवाब देंहटाएंसशक्त अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंनारी-दिवस पर मातृ-शक्ति को नमन!
happy woman day.
जवाब देंहटाएंWWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
Behatreen post sari kavitae apane aap me kamal hai...Happy Women's Day !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर शब्द चित्र है यह ,, साकार होते हुए ।
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार और गहन अर्थों वाली कविताएं. बहुत शुभकामनाएं.
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