साठ की उम्र में माँ बनना और सास - बहू संवाद......
किया है तूने मुझे ज़िंदगी भर तंग
जी भर के अब बदले चुकाउंगी |
दादी और नानी तो मैं पहले ही से थी
माँ बन के तुझको फिर से दिखाउंगी |
डाल के तेरी गोद में ननद और देवर
क्लब और पार्टियों में मौज उड़ाउंगी |
कहा था मैंने एक दिन जब बहू !
हो गया है मुझको तो गठिया
तूने कहा था पागल तो पहले ही से थी
अब गई हो पूरी की पूरी सठिया
देख लेना जी भर के अब
शुगर और बी. पी. तेरा. कैसे मैं बढ़ाउंगी |
सोचा था तूने इकलौती हूँ बहू
जायदाद का मज़ा अकेले ही उड़ाउंगी |
अभी तो हूँ बहूरानी! साठ ही की
सत्तर पे आउंगी तो लाइन लगाउंगी |
रात भर करती हो चेटिंग
दिन भर भेजो तुम स्क्रेप |
तेरी उन सेटिंगों में
सेंध अब लगाउंगी |
तेरे बॉय फ्रेंडों को पटाकर
हालत पे तेरी एक ब्लॉग मैं बनाउंगी |
यह तो बहुत मजेदार कविता है...मम्मा ने पढ़कर सुनाई..खूब हंसी मैं. आप 'पाखी की दुनिया' में भी आइयेगा....अच्छा लगेगा.
जवाब देंहटाएंwaah , bahut khoob ...... mazedaar !!!
जवाब देंहटाएंव्यंग्य और हास्य समाज की टटका प्रवृत्तियों पर हों तो रचनात्मकता ने नए आयाम भी जुड़ते हैं और रस भी मिलता है।
जवाब देंहटाएंबिन्दास! मुझे यह काव्य जमा।
रात भर करती हो चेटिंग
जवाब देंहटाएंदिन भर भेजो तुम स्क्रेप |
तेरी उन सेटिंगों में
सेंध अब लगाउंगी |
तेरे बॉय फ्रेंडों को पटाकर
हालत पे तेरी एक ब्लॉग मैं बनाउंगी |
....... वाह यही है 'tit for tat'
बहुत अच्छी कुछ सोचने बाद गुदगुदाने वाली प्रस्तुति ....
आपको और आपके परिवार को नवरात्र के बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ
बाप रे बाप !
जवाब देंहटाएंबहुत लम्बी चौड़ी प्लानिंग है...............हा हा हा
वाह..खुबसूरत व्यंग है ......
जवाब देंहटाएंसेंध तक तो ठीक है पर यह माँ बनना ...बहुत मुश्किल है जी :):)
जवाब देंहटाएंबढ़िया व्यंग
बहुत खूब। ललकारती।
जवाब देंहटाएंरात भर करती हो चेटिंग
जवाब देंहटाएंदिन भर भेजो तुम स्क्रेप |
तेरी उन सेटिंगों में
सेंध अब लगाउंगी |
तेरे बॉय फ्रेंडों को पटाकर
हालत पे तेरी एक ब्लॉग मैं बनाउंगी |
हहाहाहाहा.... क्या बात है शेफ़ाली जी मज़ा आ गया.
अरे वाह, बहुत खूब... मज़ा आ गया ....हँसते हँसते पेट में बल पड़ गए हैं...
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता है और भाव मौलिक.
जवाब देंहटाएंha.ha.ha....boyfriends ko pata kar kitno ki line aur lagani hai ji?????
जवाब देंहटाएंmajedaar rachna.mind blowing.:):):)
रात भर करती हो चेटिंग
जवाब देंहटाएंदिन भर भेजो तुम स्क्रेप |
तेरी उन सेटिंगों में
सेंध अब लगाउंगी |
तेरे बॉय फ्रेंडों को पटाकर
हालत पे तेरी एक ब्लॉग मैं बनाउंगी |
:) :) bahut khoob.... majedar hai yeh plan to
आजकल का तो पता नहीं लेकिन आज से तीस साल पहले ऐसा होते ज़रूर देखा है ...मेरी मौसी जी और उनकी बहु दोनों ने लगभग एक ही साथ पुत्रियों को जन्म दिया था :-)...
जवाब देंहटाएंसुन्दर मनोरंजक रचना
बाप रे बाप ।
जवाब देंहटाएंसांस रोक दी सास ने तो..
जवाब देंहटाएंKavita ka level kuch unchha kero, avoid cheap matter
जवाब देंहटाएंशैफाली जी, बेहतरीन कविता...
जवाब देंहटाएंबड़े खतरनाक तेवर हैं सास के...ऐसा बदला...जाने कौन कौन सेंध में धरा जाये.. :)
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार!!
कहाँ कहाँ पहुँच जाती हो पता नहीं :)
जवाब देंहटाएं--------------------------------------
जवाब देंहटाएंसासू जी के इन गरम शोलों के जवाब में
बहू जी के ice cubes --
" न रुतबा कम हुआ होता ,
न कुछ भी घट गया होता |
जो गुस्से में कहा तुमने ,
वो हँस कर के कहा होता | "
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ha ha ha ha.
जवाब देंहटाएंwell done.
thanks.
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्हा हा हा …………मज़ा आ गया………………बहुत सुन्दर्।
जवाब देंहटाएंhahaahahahahahhaahahahahahaha
जवाब देंहटाएंpet me dard kar diya aapne to
वाह वाह मजा आ गया जी......क्या क्या सोच लेती हें आप। बधाई। सादर...उमेश यादव
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