शनिवार, 24 अप्रैल 2010

इन दिनों की बात | मेरे अंदाज़ में एक साथ ........

इन दिनों की बात | मेरे अंदाज़ में एक साथ ........
 
हवाएं गर्म हैं | मोदी शर्म है | सरकार नर्म है | आई.पी.एल.धर्म है |
 
शशि अस्त है | थरूर पस्त है | सुनंदा त्रस्त है | मीडिया बेहद व्यस्त है | 
 
 ट्विटर पर ट्वीट | चिड़िया ने कर दी बीट |  खुल गयी बड़ी - बड़ी पोल | दूर के सदा सुहाने ढोल |
 
 आपा के तेवर | पन्द्रह  करोड़ का मेहर | नोटों का जौहर | सानिया को मुबारक  शौहर |
 
भाषण का जोश | गडकरी बेहोश | सुषमा को रोष | सरकार को दोष |
 
अप्रैल  में लू | साजिश की बू | प्रकृति से छेडछाड | विकास की भेडचाल |
 
टैक्स  का ज़िक्र | सेविंग की फ़िक्र | करचोर बेफिक्र |
 
 सरकार के कड़े फैसले | आतंक के बढे हौसले |
 
जेसिका को इन्साफ | गर्मी में ठंडक का एहसास |
 
जंगलों में आग | ११४१ बचे हैं बाघ |
 
पेड़ों में अमिया | सूख गयी नदियाँ |
 
त्वचा रूखी | ज़ुबान सूखी |
 
दिमागों में  गर्मी | बातों में बेशर्मी |
 
 गालियों में बात | बात बात में लात |
 
इनवर्टर  चुके  |  जेनरेटर फुके |
 
पानी की किल्लत | ज़िदगी बनी जिल्लत |
 
नरक झेलते लोग | फैलते हुए रोग |
 
तरणताल गुलज़ार | सुनसान बाज़ार |
 
पहाड़ों में भीड़ | रोजगार की रीढ़ |
 
पानी के बिन | शर्बतों के दिन |
 
ज्वालामुखी सक्रिय | आदमी  निष्क्रिय |
 
लाइफ   टाइम लिमिटेड | टॉक टाइम अनलिमिटेड |  
 
 महंगाई कमरतोड़ | फेविकोल का मजबूत जोड़ |
 
मोटी फीस का जाल | माँ - बाप कंगाल |
 
धार्मिक उन्माद | कुछ ब्लोगों  का पानी खाद |
 
इन दिनों की बात | मेरे अंदाज़ में एक साथ