साल दो हज़ार दस .....
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साल दो हज़ार दस | विकास जस का तस | फला - फूला भ्रष्टाचार बस |
कोहरे का कोहराम | छलकाएं जाम | आइये घोटालों के नाम | इन बबालों के नाम |
टू जी स्पेक्ट्रम ...........
नए नए स्पेक्ट्रम | अपना - अपना दम - ख़म | अतीत का हर घोटाला, वर्तमान से निकले कम |
आगे आगे देखिये होता है क्या | दोषी होगा राजा | प्रजा को मिलेगी सजा |
ए. राजा .............
अंधेर नगरी चौपट राजा | करोड़ों की भाजी, अरबों का खाजा |
संचार क्रान्ति का तकाज़ा | बिन बारात बज गया बजा |
जे. पी. सी..........................
कारों से सड़क, नारों से संसद जाम | मनमोहन की फंस गई जान |
ट्रेफिक पुलिस हैरान, परेशान | कोई घूस ना आई काम |
सी. बी. आई............
आई रे आई | लानत पड़ी तो होश में आई |
छापों की कार्यवाही | खुशियाँ भ्रष्टन के घर छाई |
चिड़िया ने चुग लिया खेत | माल सारा निकल गया |
हाथ में आई रेत ही रेत |
विकीलीक्स ........
नए - नए खुलासे | अमेरिकी चाल | शातिर इरादे |
बगल में छुपा के खंजर | हाथ दोस्ती का सबसे आगे |
महिला सशक्तीकरण ........
राठोड़ों को मुस्कान | रुचिकाओं को शमशान |
खुलेआम बलात्कार | इज्ज़त तार - तार |
बैखौफ अपराधी | कैसे जिए आधी आबादी ?
ओबामा - सरकोजी भ्रमण ..................
कार्ला की खुशी | मिशेल का नाच | सबने मिलकर देखा ताज |
मेहमानों की आवभगत | पूरा देश हुआ नतमस्तक |
कृपादृष्टि पाने की जुगत | फिर झुनझुनों से निकला राग |
सावधान ! अब भारत गया है जाग |
लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ ..........................
पत्रकारिता शर्मसार | कलम की बिक गई धार |
जुड़े कहाँ - कहाँ थे तार | एक फोन से बंटाधार |
थे कल तक जो कलम के सिपाही |
पल में हो गए धराशाही |
लॉबी और कोर्पोरेट .........................
साथ हुआ चोली दामन | चुग्गे फेंको अति मनभावन |
कहता रुपया | मत करो वेट | धंधा हो एट एनी रेट |
कांग्रेस और भाजपा ..........................
शब्द युद्ध घमासान | वोट का जब देखें नुकसान | पलटें तुरत बयान |
बीते दिनों की इतनी कमाई | हर मुद्दे पर टांग खिंचाई |
महंगाई .................
मर गई दादी कहते - कहते | लहसुन - प्याज को करो नमस्ते |
कहती थी नानी | एक समय खाना | दूसरे समय पानी |
मत करो जीभ की कभी गुलामी |
जब आसमान पर पहुंचे दाम | तब निकला आख़िरी सलाम |
बिहार ....................
समोसे से निकला आलू | रहस्यमयी ताकत से हारे लालू |
रोड शो भी हुआ फ्लाप | विकास के सिर, फिर सज गया ताज |
नौटंकी और नाटक .........................
राजनीति की यह विसात | जिसने दी शह, मिली उसे ही मात |
कुर्सी बचाने का एकमात्र अस्त्र | फ़ौरन पद से त्यागपत्र |
कॉमनवेल्थ ..................
किसकी थी वेल्थ, किसकी बनी हेल्थ |
सबसे ज्यादा कीर्तिमान | कॉमनवेल्थ कंपनी के नाम |
बिना पदक रहे असली खिलाड़ी |
छिप गए तिनके | रह गई दाड़ी |
एक सुर से बोलो सब, जय हो श्री कलमाड़ी |
आदर्श सोसाइटी ................
शहीदों की चिताओं पर मेले हर बरस लगेंगे |
संभल कर चलना शहीदों की बेवाओं
कफ़न बेचने वाले,
यहाँ भी टैक्स वसूल लेंगे |
कुल मिलाकर साल रहा ..........................
दबंगों का, लफंगों का, छलियों का, बाहुबलियों का, काले धंधों, उजले वस्त्रों, गंदी चालों, नित नए घपलों का, घोटालों का, धर्म के मतवालों का, सफेदपोशों का, नकाबपोशों का, भ्रष्टों का घ्रिष्टों का, धृतराष्ट्रों का, नाम बड़े, दर्शन छोटे, बेपेंदी के लोटे, भड़काऊ बयानों, फूहड़ नाच, बेसुरे गानों, शर्मनाक कारनामों, बेशर्म मुस्कानों का, ज़हरीली ज़ुबानों का, अफज़ल गुरुओं, कसाबों का , झूठे - सच्चे वादों का, खौफनाक इरादों का, वंशवाद का, आतंकवाद का, नए नए भंडाफोड़ों का, नई नई तोड़ों का, बदमाशों का, पर्दाफाशों का, लीपापोती, पलटबयानी का, झूठी शानों, मिथ्या अभिमानों , सस्ती जानों का, बड़े - बड़े भाषण, महंगे राशन का, भितरघात, आस्तीन के साँपों का, संतों के पापों का, फोन के टेपों, दिग्गजों की झेंपों का, रिएलिटी शो, मनोरंजन गया खो, कुर्सियों की जंग, गिरगिटों के रंग, चोरी पे सीनाजोरी का , किसानों की अर्थी, रोती धरती का, बड़ी मछलियाँ, छोटे जाल, बहा आँसू मगरमच्छ हुए मालामाल |
अजब देश के गजब हैं हाल |