तुम बातों में गालियां, और गालियों में बात करते हो
राखी का अपमान करके खुश होते हो, माँ की कोख पर लात जड़ते हो ।
तुम्हारी .........
हर बात में
घूंसे में, लात में
हंसी में, मज़ाक में
दुःख में, विलाप में
मान में, अपमान में
ट्रैफिक के जाम में
जान में, पहचान में
दोस्ती में, दुश्मनी में
बिगड़ी में, बनी में
प्यार में, इकरार में
घर में, बाहर में
जीत में, हार में
स्कूटर में, कार में
गुस्से में, मार में
नशे में, होश में
जोश में, रोष में
गलियों में, चौबारों में
चबूतरों में, चौबारों में
रिश्तों में, नातों में
चुप्पी में, बातों में
धर्म में, जात में
पुण्य में, पाप में
ठन्डे में, गर्मी में
प्रेम में, नरमी में
झूठों में, सच्चों में
बूढों में, बच्चों में
नौकरी में, कारोबार में
नकद में, उधार में .......
तुम्हारी हर बात
माँ - बहिन के
बलात्कार से शुरू होकर
बलात्कार पर ख़त्म होती है
फिर एक बलात्कार पर आज
दुनिया इस तरह क्यूँ
होश खोती है ?
बहुत ख़ूब!
जवाब देंहटाएंशायद इसे पसन्द करें-
कवि तुम बाज़ी मार ले गये!
तुम्हारी हर बात
जवाब देंहटाएंमाँ - बहिन के
बलात्कार से शुरू होकर
बलात्कार पर ख़त्म होती है
फिर एक बलात्कार पर आज
दुनिया इस तरह क्यूँ
होश खोती है ?
kya baat hai shefali....bahut khoob.
dard hi dard haen shefali ham sab kae man mae bas aur kuchh nahin
जवाब देंहटाएंशानदार लेखन,
जवाब देंहटाएंजारी रहिये,
बधाई !!
सारगर्भित रचना , बधाई ......
जवाब देंहटाएंबिलकुल सच बात कही है...खासकर ग्रामीण परिवेश की स्त्रियों को घर की चाहरदीवारी में बंद होकर सहना होता है ये सब .
जवाब देंहटाएंकैफ़ी आज़मी ने कहा था-
होंठों को सी के देखिये पछताइयेगा आप
हंगामे जाग उठते है अक्सर घुटन के बाद
पर उनकी जुबां को बंद ही रह रह जाती है. ना घुटन मचती है ना शोर होता है .
सुन्दर लगी आपकी ये रचना.
बेहतरीन कविता
जवाब देंहटाएंसादर
तीखा कटाक्ष।
जवाब देंहटाएंसन्नाट रूप से सत्य बताती रचना।
जवाब देंहटाएंबडा सटीक सवाल उठाया गया है इस रचना में, चारों तरफ़ यही माहोल है, काश हम अपने नैतिक मूल्यों को वापस पा सके.
जवाब देंहटाएंरामराम
A very bitter truth of our society.
जवाब देंहटाएंबात में दम है लेकिन नक्कारखाने में तूती की आवाज कौन सुनता है ?
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