तुम बातों में गालियां, और गालियों में बात करते हो
राखी का अपमान करके खुश होते हो, माँ की कोख पर लात जड़ते हो ।
तुम्हारी .........
हर बात में
घूंसे में, लात में
हंसी में, मज़ाक में
दुःख में, विलाप में
मान में, अपमान में
ट्रैफिक के जाम में
जान में, पहचान में
दोस्ती में, दुश्मनी में
बिगड़ी में, बनी में
प्यार में, इकरार में
घर में, बाहर में
जीत में, हार में
स्कूटर में, कार में
गुस्से में, मार में
नशे में, होश में
जोश में, रोष में
गलियों में, चौबारों में
चबूतरों में, चौबारों में
रिश्तों में, नातों में
चुप्पी में, बातों में
धर्म में, जात में
पुण्य में, पाप में
ठन्डे में, गर्मी में
प्रेम में, नरमी में
झूठों में, सच्चों में
बूढों में, बच्चों में
नौकरी में, कारोबार में
नकद में, उधार में .......
तुम्हारी हर बात
माँ - बहिन के
बलात्कार से शुरू होकर
बलात्कार पर ख़त्म होती है
फिर एक बलात्कार पर आज
दुनिया इस तरह क्यूँ
होश खोती है ?