मंगलवार, 21 मई 2013

श्रीसंतों का कैसा हो बसंत ?

श्रीसंतों का कैसा हो बसंत ? 
 
आ रही सट्टालय से पुकार 
है बुकी गरजता बार - बार 
कर फिक्सिंग तू बटोर नोट अपार  
सब कुछ मिले है तुरंत - फुरंत ।
 
श्रीसंतों का कैसा हो बसंत ?  
 
फिक्सिंग स्पोटों में भर गया रंग 
धन लेकर आ पहुंचा भदन्त 
मुदित, प्रमुदित, पुलकित अंग - अंग 
भरे चोर देश में किन्तु अनंत । 
 
श्रीसंतों का कैसा हो बसंत ?
 
भर रही कॉलगर्ल इधर तान 
दलाल की सूख रही इधर जान 
है रन और धन का विधान 
होटल में आई है छिपते छिपंत । 
 
श्रीसंतों का कैसा हो बसंत ?
 
कर दे अब तू अश्रुपात 
आंसुओं से लगा दे आग 
ऐ रन क्षेत्र में लगे दाग, जाग 
बतला अपने अनुभव अनंत । 
 
श्रीसंतों का कैसा हो बसंत ?
 
भज्जी पाजी के शिकार संत 
ऐ मुर्ग, सुरा चढ़ा के आकंठ 
कर नाच इस कदर प्रचंड, 
पर सबसे पहले कर खिड़कियाँ बंद 
 
श्रीसंतों का कैसा हो बसंत ?
 
अब कोक अथवा पेप्सी के स्टंट नहीं
कर लो कुछ भी, पर स्टिंग नहीं
है बॉल बंधी अब स्वच्छंद नहीं 
फिर आई पी एल में जाए कौन हन्त ?
 
श्रीसंतों का कैसा हो बसंत ?
 
 

10 टिप्‍पणियां:

  1. डूबे हैं सब धन परंत,
    धन पशुओं का क्या बसंत।

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (22-05-2013) के कितनी कटुता लिखे .......हर तरफ बबाल ही बबाल --- बुधवारीय चर्चा -1252 पर भी होगी!
    सादर...!

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  3. शेफ़ाली का कैसा हो बंसत,
    भीषण गर्मी में पूछ रही हंत,
    कभी घोटाले पर लेख लिखें
    कभी मंहगाई पे कविता अनंत।

    शेफ़ाली पांडे का कैसा हो बंसत।

    कभी बकरे काटे मामा हलाल,
    चीनी भाई का लिख दिया हाल,
    क्यूं मानवाधिकार की बात करी,
    अब इस एक्ट लगाये कौन कंत।

    मास्टरनीजी का कैसा हो बसंत।

    कभी मुंबई की कुंज गली घूमें,
    कभी रेल जेल का हाल कहें,
    रामसिंह को तो निपटा डाल,
    जमाई के किस्सों का कहां अंत,

    कुमायूंनी चेली का है ऐसा बंसत।

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  4. ऐ मुर्ग, सुरा चढ़ा के आकंठ
    कर नाच इस कदर प्रचंड,
    पर सबसे पहले कर खिड़कियाँ बंद .
    !
    खिड़की बंद कर देते तो आपको हमको पता कैसे लगता की मुर्गे के साथ कुछ और कर रहा है

    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    latest postअनुभूति : विविधा
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  5. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन खुद को बचाएँ हीट स्ट्रोक से - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  6. फिक्सिंग स्पोटों में भर गया रंग
    धन लेकर आ पहुंचा भदन्त.....सही

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  7. बहुत ही व्यावहारिक रचना। आनंद आ गया। मेरे ब्लॉग पर आप सादर आमंत्रित हैं। पसंद आनेपर सदस्य के रूप में शामिल होकर अपना स्नेह अवश्य दें। सादर

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  8. आजकल के संतों के अनुरूप ही हैं ये संत भी ...
    बहुत खूब लताड़!

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