पैरोडी -------
राजनीति के रैम्प पे
चलना संभल-संभल के
ये स्टेज है तुम्हारा
एक्टर तुम्हीं हो कल के ।
वोटर के ताने सहना
और कुछ ना मुंह से कहना
सिर को झुका-झुका के
गाली को सुनते रहना ।
रख दोगे एक दिन तुम
श्रीराम को कमल पे ।
साइकिल कोई चलाए
या राह में हाथी आए
देखो कमल तुम्हारा
हरगिज़ न मुरझा पाए ।
युवराज जो रोके रास्ता
चलना राह बदल के ।
मोदी के सिर पे
दिल्ली का ताज रखना
दल को बदल जो आए
दरवाज़ा खुला रखना ।
गोटी नई बिछेगी
मोदी बिसात चलके । [मास्टरनी]
बहुत सुन्दर !!
जवाब देंहटाएंक्या घुमा के दिया है वाह ।
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन जलियाँवाला बाग़ हत्याकाण्ड की ९५ वीं बरसी - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंवाह, चाल चलनी शेष है।
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