साथियों ...पिछले दिनों चुगलखोरी और महिलाओं को लेकर एक कार्टून हमारी आँखों के सामने से गुज़रा ..लगा तो हमें बहुत ही बुरा ..लेकिन जब हमने निष्पक्ष होकर इस विषय पर गहन चिंतन किया तो पाया ..कि क्या चुगलखोरी करना बुरा काम है ? क्या इसमें मेहनत नहीं लगती ? नहीं साथियों , यह कोई आसान काम नहीं है ...यह तो एक कला है .इसमें ,छोटी से छोटी बात को मिर्च मसाला लगाकर इस तरह से पेश करना होता है, जिससे परोसने वाले और खाने वाले दोनों को मज़ा आ जाए.
होस्टल चुगली करने वालों को बहुत उपयुक्त वातावरण प्रदान करता है यहाँ के वातावरण में काफी बहिनों की प्रतिभा पल्लवित और पुष्पित होती है ..हमें अच्छी तरह से याद है कि जब हम होस्टल में रहते थे ...बुराई और चुगली रूपी रस में सिर से लेकर पैर तक सराबोर रहते थे, कब सुबह से शाम हो जाती थी पता ही नहीं चलता था ..हम चारों रूममेट्स एक दूसरे की चुगली उतने ही समान भाव से करतीं थी ,जितनी अन्य बहिनों की आपस में .
चुगलखोर महिला एक बहुत अच्छी जीवन संगिनी साबित होती है , उसे कपड़े, जेवर और किसी भी भौतिक वस्तु का लालच नहीं होता है , चुगली रूपी जेवर उसका सबसे बड़ा आभूषण होता है , चुगली करने से चेहरे पर जो रौनक और चमक आती है , उसके आगे शहनाज़ का गोल्ड फेशिअल भी पानी भरता है ,
चुगलखोर बहिनें एकता और अखंडता की मिसाल होती हैं ,चाहे कैसी भी परिस्थिति इनके सामने आ जाए ,ये चुगली करना नहीं छोड़तीं हैं .मान लीजिए क ,ख , ग, घ,चार सहेलियाँ हैं.. देखिये क +ख =ग की चुगली , ख +ग =घ की चुगली, क +ग =ख की चुगली ,क +घ =ग की चुगली ...मज़े की बात ये है की चारों को इसकी जानकारी है ,फिर भी चारों एक दूजे की पक्की सहेलियां बनी रहती हैं ..ऐसी एकता तो एकता कपूर के 'क' नाम से शुरू होने वाले कम्पायमान करने वाले सीरियलों में भी नहीं होतीं .
चुगलखोर बहिनें बिलकुल फिजूलखर्च नहीं होतीं हैं , इनका सारा दिन चुगली करने में ही बीतता है ,इनको बाज़ार जाकर शोपिंग करने का मौका ही नहीं मिलता है
इनका हर घर में तहे दिल से स्वागत होता है , जब चुगलखोर बहिन के कदम किसी के घर में पड़ते हैं ,उसी क्षण से सारे घर भर में ऊर्जा का संचार होने लगता है ,उदास और मायूस चेहरों पर ताजगी आ जाती है .
इससे ये सिद्ध नहीं होता कि चुगली करना आसान काम है ,बल्कि इस काम में भी उतना ही जोखिम है जितना शेयर मार्केट में .चुगली करने वालों के अन्दर बहुत बड़ा जिगर चाहिए , वैसे तो चुगली करने वाली बहिनों की पोल कभी नहीं खुलती ...लेकिन कभी गलती से खुल जाए तो अपनी ही बात से मुकरना , और उस पर अड़े रहना पड़ता है चाहे लाख सुबूत ही क्यूँ ना सामने आ जाएं .भगवान् से लेकर माँ, बाप ,पति और अंतिम अस्त्र के रूप में बच्चों तक की कसम खाने को तैयार रहना पड़ता है
मेरी बहिनों को इस बात पर शर्म आने के बजाय, गर्व करना चाहिए कि उन्हें चुगलखोर कहा जाता है ...
बिल्कुल! हमारा तो गर्व से हाल बेहाल है। परन्तु गर्व है कि सम्भाले नहीं सम्भलता। यहाँ वहाँ बिखर रहा है। सहेजते सहेजते थक गए। आज की चुगली भी स्थगित करनी पड़ी।
जवाब देंहटाएंहमें तो दुख इस बात का है कि इस कार्टून को बनाने में इतनी देर क्यों करी गई। कुछ दिन पहले दिया होता तो हम यूँ ही पैट्रोल फूँक कर डाक्टर को पेट दर्द के लिए चढावा न दे आए होते। इतना सुन्दर, सरल व टिकाऊ उपाय तो हम घर बैठे ही कर लेते। खैर अगली बार से ध्यान रखेंगे।
घुघूती बासूती
तस्वीर को इस रुख से भी देखा जा सकता है, यह सोचा न था. रोचक!
जवाब देंहटाएंकितनी मेहनत का काम करती हो, थक गई होगी. अब कुछ दिन आराम कर फिर लिखना-ठीक है!!
जवाब देंहटाएंvery good.
जवाब देंहटाएंha...ha..ha..ha...
वाह!वाह!वाह!वाह!
जवाब देंहटाएंआप तो अपनी तारीफ करने में भी सिद्धहस्त हैं।
वैसे इस कला की कमी व्यावसायिक जीवन में बहुत सालती है।
बहुत बढिया....मज़ेदार
जवाब देंहटाएंचुगलखोरी की कथा रोचक है .
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया लिखा है .. सचमुच हम महिलाओं को अपने आपपे गर्व करना चाहिए !!
जवाब देंहटाएंक ख़ ग घ बहनो जैसे आप और सभी बहने चुगली करे और जीवन के सभी सुखों का उपभोग करें।वाह क्या गज़ब लिखा है।ढ बहन बता रही थी कि आप खुद नही लिखती,पैसे देकर लिखवाती हैं,वो बता रही थी कि आपकी बगल मे रहने वाली स बहन ने खुद देखा है और उन्हे बताया है।जैसे ही मुझे पता चला मै सीधे आपको ही बता रही हूं,वैसे अ ब स ड बहन भी इस मामले मे मुझसे पूछ रही थी।देखना बहन बात खुले तो मेरा नाम मत ले देना।
जवाब देंहटाएंचुगलखोरी के रंग वाह :) बहुत बढ़िया ..
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने. जितने परम आनंद की सहज प्राप्ति चुगली रस से होती है. चुगली रस पान करने से सहज ही समाधि जैसे आनंद और तनमयता की प्राप्ति हो जाती है. वहीं आप अगर योग समाधि आदि का अभ्यास करो तो जन्मों तक तन्मयता ही नही बनती और चुगली करने मे इतनी मगनता से मन लग जाता है कि सब दीन दुनियां की खबर ही भूल जाते हैं और परम आनंद की दशा प्राप्त सहज ही हो जाती है.
जवाब देंहटाएंबोलिये चुगली रस पानकर्ता भाई बहनों की जय.
रामराम.
चुगलखोरी को तो फिर कला का दर्जा दे ही देना चाहिए!!!!!!
जवाब देंहटाएंwaah aaj tak is kala kaa itnaa adbhut roop nahin dekhaa tha..kamaal hai..mehnat jaaree rahe..
जवाब देंहटाएंमजेदार ...वाह
जवाब देंहटाएंrochak he/ chugli karna bhi ek kalaa he. ese kalakaaro ko mera naman/
जवाब देंहटाएंमत पूछिए आपने दुखती राग पे हाथ रख दिया ...कितने प्रेम ...पनपने से पहले ही गर्ल्स होस्टल में कत्ल कर दिए गये .जहाँ लड़के का करेक्टर सर्टीविकेट जारी किया जाता ...ओर अगर एक लड़का शाम को किसी लड़की को प्रपोज़ कर देता .रात को उसकी फाइल खुलती ..ओर क्या क्या ठप्पे लगते......पूछिए मत
जवाब देंहटाएंबहुत मुश्किल काम... गर्व ्से कहो कि हम चुगलखोर है...
जवाब देंहटाएंवैसे सच बतलायें
जवाब देंहटाएंहमें आज पहली बार
अपने महिला न होने पर
शर्म महसूस हो रही है
वरना चुगली रस का
हम भी खूब आनंद लेते
देते, पर समझ नहीं आया
अब भी कि इस कला पर
महिलाओं का एकाधिकार
क्यों है, पुरुषों को भी
इसमें आरक्षण मिलना चाहिए।
शेफाली जी भई हमे तो अपने पर गर्व है हा हा हा
जवाब देंहटाएंनिःसंदेह चुगलखोरी एक बहुत महान कला है !
जवाब देंहटाएंहालांकि चुगली कला पर महिलाओं का वर्चस्व है किन्तु पुरुष भी
कुछ कम नहीं हैं ! चुगली करने वालों की यह अपार क्षमता होती है कि उसे मात्र चावल भर मिल जाए ... फिर देखिये .. तहरी या पुलाव बनाना तो उसके लिए चुटकी बजाने जैसा है !
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