किसी के
बारिश की
टूट गयी
सारी हदों से,
तो ,
किसी के
बाढ़ राहत
कोष के लिए
आई
करोणों की
मददों से
इस बार फिर से
छप्पर फट गए
कृपा पानी की
नर से इस तरह
वे नारायण हो गए ...
आम बजट ........
वह
जो बनता है
तो आम के लिए है
लेकिन उसको
ख़ास चूस जाता है
आम के लिए बस
गुठली ही छोड़
जाता है
आम बजट
कहलाता है ......
इसलिए आम बजट
जवाब देंहटाएंआम के माफिक
महंगा होता जाता है।
यह सब नारायण
ही तो करवाता है
।
बजट को आम बजट नही कहेंगे तो भी मर-मर कर जियेगा आम आदमी।
जवाब देंहटाएंबहुत लाजवाब.
जवाब देंहटाएंरामराम.
आम की जगह इसे धडाम बजट कहें तो चलेगा न...क्या क्षणिकाएं हैं..बिलकुल स्थाईकायें लग रही हैं...वाह वाह ..
जवाब देंहटाएंgaagar main saagar hain ,kshnikaayen ,Mubaarak .veeubhai1947.blogspot.com(virendra sharma)veerubhai1947@gmail.com
जवाब देंहटाएंगहरी बात..बहुत सही!!
जवाब देंहटाएंबहुत सही अंकन .
जवाब देंहटाएं:-)
जवाब देंहटाएंbahut gahari vyatha
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सही कहा आपने
जवाब देंहटाएंBahut bahut sahi....
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