हो रहा भारत निर्माण .........
कहीं सड़ रहा गोदामों में,
कहीं भीग रहा मैदानों में |
सुप्रीम कोर्ट की डांट से भी
जूं ना रेंगे कानों में |
अनाज का वितरण,
कठिन लग रहा ,
पैसे का आसान |
दूर कहीं दो रोटी की खातिर,
फिर नत्था ने छोड़े प्राण |
हो रहा भारत निर्माण .........
डूब गए हैं खेत घर,
डूब गए हैं गाँव - शहर |
नहीं थम रहा किसी तरह,
पानी का ऐसा कहर |
नुकसान करोड़ों का हुआ ,
अरबों के बनते प्रस्ताव |
किसी का आटा हुआ है गीला,
किसी का छप्पर गई है फाड़,
अबके बरस की बाढ़ |
हो रहा भारत निर्माण .........
ये है कॉमनवेल्थ का खेल,
मेहमानों की इस आवभगत को,
घोटालों की चली है रेल |
कहीं सड़ रहा गोदामों में,
कहीं भीग रहा मैदानों में |
सुप्रीम कोर्ट की डांट से भी
जूं ना रेंगे कानों में |
अनाज का वितरण,
कठिन लग रहा ,
पैसे का आसान |
दूर कहीं दो रोटी की खातिर,
फिर नत्था ने छोड़े प्राण |
हो रहा भारत निर्माण .........
डूब गए हैं खेत घर,
डूब गए हैं गाँव - शहर |
नहीं थम रहा किसी तरह,
पानी का ऐसा कहर |
नुकसान करोड़ों का हुआ ,
अरबों के बनते प्रस्ताव |
किसी का आटा हुआ है गीला,
किसी का छप्पर गई है फाड़,
अबके बरस की बाढ़ |
हो रहा भारत निर्माण .........
ये है कॉमनवेल्थ का खेल,
मेहमानों की इस आवभगत को,
घोटालों की चली है रेल |
खेल - खेल में इतना डकारा,
छोर मिला ना मिला किनारा |
खुल के खाओ, और खिलाओ,
है चारों तरफ तनी हुई
सरकारी पैसे की आड़ |
हो रहा भारत निर्माण .....
कैसी बनी हुई है यह धुन,
कैसा बना हुआ है गान ?
करोड़ों रुपया लेकर भी,
चढ़ पाई ना किसी ज़ुबान |
जिसकी धुन पर दुनिया नाचे,
कहाँ चूक गया वो रहमान ?
है चारों तरफ तनी हुई
सरकारी पैसे की आड़ |
हो रहा भारत निर्माण .....
कैसी बनी हुई है यह धुन,
कैसा बना हुआ है गान ?
करोड़ों रुपया लेकर भी,
चढ़ पाई ना किसी ज़ुबान |
जिसकी धुन पर दुनिया नाचे,
कहाँ चूक गया वो रहमान ?
कौन निकालेगा अब आकर
दिल्ली की छाती पर
बिंधे हुए ज़हरीले बाण ?
हो रहा भारत निर्माण......
भ्रष्टाचार की नींव तले |
करेले हैं ये नीम चढ़े |
सारे दावे हुए खोखले,
हमाम में सब नंगे मिले |
जनम- जनम के दुश्मन देखो,
कैसे हँस - हँस गले मिले |
विश्वास नहीं तिनकों का भी अब,
छिप जाते हैं बिन दाड़ |
हो रहा भारत निर्माण......
वाह क्या सटीक कटाक्ष है ....हर क्षणिका लाजवाब ..
जवाब देंहटाएंइंसानियत पे पैसा भारी है ,इस देश की सरकार पे दलाल और भ्रष्टाचारी भारी है ...
जवाब देंहटाएंदिल से आह भी निकली और वाह भी ....
जवाब देंहटाएंसटीक......बढ़िया...... लाजवाब।
जवाब देंहटाएंप्रमोद ताम्बट
भोपाल
www.vyangya.blog.co.in
http://vyangyalok.blogspot.com
रोका जाये यह निर्माण, नहीं तो आसमान फाड़कर निकल जायेगा।
जवाब देंहटाएंलिखती हो बढ़िया तुम लेख,
जवाब देंहटाएंअपनी इन अंधी आँखों से देख,
करता है दिल ये स्वीकार ,
व्यंग तुम्हारे उत्तम हर बार ।
बेहद बेहतरीन और पोल खोलते कटाक्ष के लिए बहुत-बहुत आभार.
जवाब देंहटाएंआम जन को ब्लॉग के माध्यम से जागरूक करने के आपके प्रयासों का मैं मुरीद हूँ.
बहुत-बहुत आभार.
धन्यवाद.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
.
जवाब देंहटाएंग़ज़्ज़ब.. ल्यौ, इनाम में
ई दुई लाइनें औरु धर लियो, मोर बहिनी
यों कोसो मत यह तो है ही कॅम-ऑन-वेल्थ
मौसम यही कि पहले देखो रुतबा पीछे हेल्थ
अब न्यूक्लियर पॉवर कहलाये हम
डोमेस्टिक पॉवर क्यों माँगते तुम
जवाब देंहटाएंमर्डरेशन !
यही तो लोचा है..
पसँद नहिं आवा तौ ?
खैर.. इनमवा त अब न वापिस लेब !
jo halaat apki rachana bayan karati hai us par afsos aur....... jis tarah bayan karati hai uske liye badhai... bahut achha kataksh
जवाब देंहटाएंहो रहा है इस तरह भारत का निर्माण ...
जवाब देंहटाएंव्यंग्य ही कर सकते हैं और क्या करें ...!
ये भी गजब की बाढ़ है।
जवाब देंहटाएंlikhte aap shandaar ho!!
जवाब देंहटाएंlekin bharat nirman to ho raha hai sach me
beshak uske sath, kuchh aur logo ke tijori ka nirman bhi ho ja raha hai........:)
अनाज का वितरण,
जवाब देंहटाएंकठिन लग रहा ,
पैसे का आसान |
दूर कहीं दो रोटी की खातिर,
फिर नत्था ने छोड़े प्राण |
bahut khoob
अनाज का वितरण,
जवाब देंहटाएंकठिन लग रहा ,
पैसे का आसान |
दूर कहीं दो रोटी की खातिर,
फिर नत्था ने छोड़े प्राण |
bahut khoob
अनाज का वितरण,
जवाब देंहटाएंकठिन लग रहा ,
पैसे का आसान |
दूर कहीं दो रोटी की खातिर,
फिर नत्था ने छोड़े प्राण |
bahut khoob
अनाज का वितरण,
जवाब देंहटाएंकठिन लग रहा ,
पैसे का आसान |
दूर कहीं दो रोटी की खातिर,
फिर नत्था ने छोड़े प्राण |
bahut khoob :)
व्यवस्था की बुराईयों पर तीखा प्रहार. बहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंwww.srijanshikhar.blogspot.com
निहायत ही सशक्त और श्रेष्ठतम व्यंग, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम
व्यवस्था की बुराईयों पर तीखा प्रहार. बहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंwww.srijanshikhar.blogspot.com
सत्यवचन महाराज.
जवाब देंहटाएंटी वी पर सुबह शाम आता रहता है कि हो रहा भारत निर्माण..
जवाब देंहटाएंसाठ साल से ज्यादा बीत गए और अभी तक निर्माण पूरा हुआ नहीं है.. पता नहीं और कितना लम्बा चलेगा. कही किसी सरकारी ठेकेदार को तो नहीं दे रखा है काम???
काश कि कोई गाना आये कि हो गया भारत निर्माण
बनते अंगरेजी के टीचर
जवाब देंहटाएंहिन्दी में ब्लॉग चलाते हैं
खींचते कान नेताओं के
बच्चों को नहीं पढ़ाते हैं
भारत है कितना विशाल यह
अंगरेजी टीचर क्या जानें
भूगोल मास्साब से पूछ
ठहरो हम अभी बताते हैं
सीमेंट और बालू का तो
मिश्रण डेली बनवाते हैं
पर बना हुआ निर्माण यहाँ
हम अगली सुबह न पाते हैं
रात में बराबर कर देते
जो कुछ भी मिलता है निर्मित
अब नाथ कौन इनको डाले
जो घूम रहे सैकड़ों साँड़
कैसे भारत का हो निर्माण ?
आपका ब्लॉग पढ़ना सार्थक हो जाता है...आपकी रचनाये पढ़ कर.
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक व्यंग्य
मंच पर जमाऊ रचना ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबस लग रहा है...इतनी जोर जोर ताली पीटूं आपकी इस रचना पर कि इन भारत निर्माताओं के कान फट जाएँ...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बहुत बहुत बेहतरीन....
एकदम सटीक !!!!
धारदार व्यंग्य।
जवाब देंहटाएं................
खूबसरत वादियों का जीव है ये....?
shaandar geet,
जवाब देंहटाएंbasie hame ab chahiye, apna rashtrageet badlakr
yahi gungunana chaihiye.....
bahut bahut sateek prahaar, mgar kisiko koi farq nhi bedu.....
Me bhi kuch gaunga ab..
"Hum gaate rahenge,
wo khate rahenge
janta roti rahegi
neta muskarate rahenge,
hum karte rahenge apna kam
wo karete rahenge apna kam
isi tarha ho raha bharat nirman"
bahu umda kavita hai badhai is tanz ka jawab nahin aadil rasheed
जवाब देंहटाएंhttp://www.aadil-rasheed-hindi.blogspot.com/
धारदार व्यंग्य। अच्छी प्रस्तुति। एकदम सटीक |
जवाब देंहटाएं"डूब गए हैं खेत घर,
डूब गए हैं गाँव - शहर"|
हो रहा भारत निर्माण .....................|
शेफाली जी
जवाब देंहटाएंनमस्ते !
अच्छा मंथन है , आप के ब्लॉग पे आना का ये पहला अवसर मिला है , अच्छा लगा .
अच्छी अभिव्यक्ति ,
बधाई !
साधुवाद !
ऐसा ही होता आया है ऐसा ही होता रहेगा ...होने दो होने दो ..?
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक...उम्दा !
जवाब देंहटाएंव्यंग्य से भरपूर...कटाक्षों से सुसज्जित...सुघड़ एवं पैनी धार लिए बहुत ही बढ़िया रचना
जवाब देंहटाएंsabhyta ke sath sarkaar par isase accha koi vayng ho hi nahi sakata......................jai ho aap ki aur is desh ki ....
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना, सटीक व्यंग्य, करारा प्रहार, हार्दिक बधाई ...
जवाब देंहटाएंपिछले महीने मैंने भी इसी शीर्षक से एक कविता लिखी थी ... कविता प्रेमी निचे दिए गए लिंक के माध्यम से अवलोकन कर सकते है..
http://www.kavyarachnaveer.blogspot.in/2013/06/blog-post.html