उठो 'शाह' अब आँखें खोलो
मात मिली है अब मुंह धो लो ।
कैसी बात 'कमल' सब भूले
उसके ऊपर 'लालटेन' झूले ।
नैया डूब गयी लहरों पर
किया भरोसा अति 'मांझी' पर।
मिस्टर कुमार पर लाली छाई
तीसरी बार जो कुर्सी पाई ।
घोर अनर्थ 'कुशासन ' फिर आया
जन - मानस को बिहारी भाया ।
असली - नकली सब देत दिखाई
चुनाव ख़त्म, जनता मुस्काई
इस कदर नफरत न बोओ
'साहेब' प्यारे अब मत सोओ।
बहुत खूब :)
जवाब देंहटाएंबढ़िया
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