शनिवार, 15 जुलाई 2017

टॉप टेन बरसात के गाने और सन्दर्भ सहित व्याख्या ---


पिछले कई सालों से, जी हाँ भाइयों और बहनों ! नंबर एक पायदान पर विराजमान जो गाना है, वो है ----''तेरी दो टकिया की नौकरी में मेरा लाखों का सावन जाए ---''

गाना समर्पित है पति और पत्नी को | प्रस्तुत पंक्तिओं में पत्नी अपने पति को सम्बोधित करती हुई कहती है कि हे प्रियतम ! तुम्हारी नौकरी नौकरी चाहे लाखों की हो लेकिन मेरे लिए वह दो टके की भी नहीं है, अगर उस नौकरी से मैं सावन के महीने के दौरान लगने वाली सेल में बम्पर शॉपिंग न कर सकूं | जिस तरफ भी नज़र दौड़ाती हूँ सेल वाला बोर्ड टंगा हुआ पाती हूँ | हर शोरूम वाला मुझे हसरत भरी निगाह से देखता हुआ मालूम होता है | मेरी सारी सहेलियां इन दिनों बड़े - बड़े थैले लेकर बाज़ार से आती हैं, मेरे घर के आगे स्कूटी खड़ी करके ''पीं पीं करती हैं, मैं विवश होकर बाहर आती हूँ | मजबूरन उनकी शॉपिंग देखनी पड़ती है, दिल ही दिल में कुढ़न होती है लेकिन मुंह से '' बहुत सुन्दर ! वाओ ! कितना सस्ता और कितना बढ़िया ! कहती हूँ | दर्द भरे दिल से पत्नी, ''हाय हाय ये मजबूरी'' कहकर गाना पूर्ण करती है | 

पुराने से लेकर नए, सभी श्रोताओं ने जिस गाने को नंबर दो पर रखा है वह है भाइयों और बहनों ! -----''एक लड़की भीगी भागी सी, सोई रातों में जागी सी ---''

प्रस्तुत पंक्तियाँ एक नौजवान को ऑन द स्पॉट समर्पित हैं | इन पंक्तियों में नौजवान बता रहा है कि किस प्रकार से उसे घनघोर बारिश में एक लड़की मिली और उस लड़की ने मुस्कुराते हुए उसे देखा तो वह अति प्रसन्न हो गया और उसके दिल में सितार, गिटार जैसे यंत्र बजने लगे और पता नहीं कौन - कौन से फूल खिलने लगे | लड़की वैसे अमूमन किसी अजनबी को नहीं देखती है | लेकिन इस मौसम में वह मजबूर है क्योंकि उसे सड़क पार करवाने वाला कोई नहीं मिल रहा | सड़क में घुटनों तक पानी भरा हुआ है | लड़की लड़के से लिफ्ट लेती है और सड़क पार करने के बाद उतारते समय लड़के के हाथ में बीस का नोट यह कहकर रख देती है '' ये तो आपको लेने ही पड़ेंगे भैया '' | तबसे वह लड़का सदमे में है और सबसे यही पूछता फिर रहा है '' तुम ही कहो ये कोई बात है ?''

नंबर तीन पर जिस गाने को आप लोगों ने जगह बख्शी है, उसके बोल हैं , ''रिमझिम गिरे सावन, सुलग - सुलग जाए मन ---''

निम्न पंक्तियाँ बिजली विभाग के कर्मचारियों को समर्पित है | जबसे सरकार ने बिजली विभाग वालों के फोन नंबर सार्वजनिक किये हैं, और जिओ के सिम की बदौलत फोन करना मुफ्त हुआ है, जनता बिजली जाने के पांच मिनट के अंदर ही पचास - पचास कॉल करने लगी हैं | जनता खुद तो घर  अंदर बैठी - बैठी चाय - पकौड़ों का आनंद लेती है और उन्हें रात - बे रात कभी तार बदलने कभी ट्रांफॉर्मर बदलने तो कहीं पोल ठीक करने जाना पड़ता है | उनके कर्मचारी तुरंत मौके पर पहुंचकर तार बदलने पर मजबूर हैं | इस नाज़ुक मौके पर भी जनता उन्हें काम नहीं करने देती | चारों ओर से घेर कर खड़े हो जाते हैं और '' कितनी देर लगेगी ? ''कब तक ठीक हो जाएगा ''? ''रात तक तो ठीक हो ही जाएगी क्यों ''? का आलाप छेड़ते रहते हैं | बिजली वालों का मन इतना सुलग जाता है कि उनका मन करता है कि एक नंगा तार यहाँ खड़ी जनता को भी छुआ दे | 

अगली पायदान यानि कि चौथे नंबर पर जो गीत है, जी हाँ ! बिलकुल सही पहचाना, उस गाने के बोल हैं ------''बरसात में हमसे मिले तुम, सजन तुमसे मिले हम बरसात में ''

गाने की पंक्तियाँ समर्पित हैं ''बीन बजाते हुए सपेरे और उसके झोले में रहने वाली नागिन को | प्रस्तुत पंक्तियाँ बरसात के दौरान घर के अंदर घुस जाने वाले साँपों और उन्हें पकड़ने के लिए बुलाए गए संपेरों के आपसी संवाद पर आधारित हैं | संपेरा पहले दिन चुपके से रात के समय अपने झोले से अपनी पालतू नागिन को निकालता है फिर उसे गली में छोड़ देता है | दिन के समय सांप घर के लोगों को दिखता है | लोग उसी संपेरे को बुलाते हैं | वह आस - पास के इलाकों में साँप पकड़ने के लिए काफी प्रसिद्द है | वह अपनी प्यारी नागिन को ढूंढता है, पकड़ता है और फीस के रूप में २००० रुपया लेता है | वह यह बताना नहीं भूलता कि ''बहुत ही खतरनाक सांप है | इसका काटा पानी नहीं मांगता'' |  लोग सहम जाते हैं | अगले दिन दूसरे मुहल्ले में उसी सांप को छोड़ता है और वहां से भी उतना ही पैसा लेता है | बरसात के मौसम में वह और उसकी पालतू नागिन यह ड्युएट गाते पाए जाते हैं | | 

और भाइयों और बहिनों ! दिल थाम कर सुनिए | पांचवी पायदान पर कोई फ़िल्मी गाना नहीं है, बल्कि वह ग़ज़ल है, जिसे गाया है पंकज नाम के उदास आदमी ने --''आइये बारिशों का मौसम है इन दिनों चाहतों का मौसम है  ---''

उपरोक्त ग़ज़ल के बोल समर्पित हैं उस पत्नी को जो अपने पति से कह रही है, ''आइये और कपड़ों को छत में डाल कर आइये'' | पत्नी इन दिनों पति को आम दिनों की अपेक्षा अतिरिक्त मात्रा में चाह रही है और उसे धूप निकलते ही छत पर कपडे ले जाकर सुखाने के लिए कह रही है | बादलों के आते ही कपड़े उठाना फिर दोबारा धूप के आते ही छत की ओर दौड़ना, पति इस कवायद में थक चुका है | जैसे ही वह छत कपडे डाल कर आता है, बादल न जाने कहाँ से आ जाते हैं | जैसे ही वह कपड़ों को नीचे कमरे केअंदर बँधी हुई रस्सी में फैलाता है, सूरज उसे खिजाने के लिए पूरी ताकत से चमकने लगता है | पत्नी के लिए बरसात का दिन वह कसौटी हैं जिस पर वह अपने पति के प्यार को कस सकती है | 

अगली पायदान यानि की छठे स्थान पर जिस गाने ने अपनी जगह बनाने में कामयाबी हासिल की है वह है , ''सावन का महीना पवन करे शोर -------''

प्रस्तुत पंक्तियाँ एक चाय - पकौड़ा प्रेमी,  जिसका नाम पवन है, के पकौड़ा प्रेम को समर्पित है | सावन का महीना आते ही पवन हर घंटे में चाय - चाय चिल्लाता है और पत्नी से कभी आलू, कभी गोभी, कभी प्याज की पकौड़ियाँ बनाने को कहता है | पत्नी उसके चाय - पकौड़ों की डिमांड से त्रस्त हो गई है | उसका मन वन में जाने को करता है | वह नाचना चाहती है बारिश में मोर की तरह, लेकिन पवन, पकौड़ों के लिए इतना शोर करता है कि वह तंग आ गयी है | पत्नी अपने आप से कहती है कि कितनी भाग्यशाली हैं वे औरतें जिनके बलम बिदेश रहते हैं और एक वह है जिसका पकौड़ियों के आगे कोई जोर नहीं चल पाता है | 

दिल थाम कर सुनिए सातवीं पायदान पर जो गाना है उसे सुनकर किसी के भी होश उड़ सकते हैं | गाना है --''बादल यूँ गरजता है डर कुछ ऐसा लगता है ----''

ये डरावनी पंक्तियाँ समर्पित हैं पप्पू नामक बालक को | रात को चमकने वाली बिजली और माँ की चीख '' बेटा सारे घर के स्विच बंद कर दो फटाफट'' | ''सारे प्लग निकाल दो'' | ''बाहर जाकर मेन स्विच ऑफ करना मत भूलना '' ''बरामदे से चटाई उठा लेना ''| ''साइकिल को किनारे कर देना '' | पप्पू को गहरी नींद से उठने पर गुस्सा भी आता है और बिजली का कड़कना सुनकर डर भी लगता है और अँधेरे से सबसे ज़्यादा डर लगता है | पप्पू के पापा कच्ची पीकर जो सोते हैं तो फिर सुबह पत्नी की डाँट की आवाज़ से ही उठते हैं | पप्पू की माँ दुनिया में सबसे ज़्यादा करंट से डरती है और यह काम बेचारे पप्पू को करना पड़ता है | सारी बरसात वह आधा सोया और आधा जागा हुआ रहता है | 

गाना नंबर आठ जो है, भाइयों और बहिनों, वह जुड़ा हुआ है किसी की मीठी - मीठी यादों से | जी हाँ ! सही पहचाना | गाने के बोल हैं --''ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात'' 

ये रूमानी क्तियाँ समर्पित हैं कुमारी वर्षा को | रात के आठ बजे थे और कुमारी वर्षा ने ऐसे ही एक भीषण बरसात वाले दिन एक दूकान के नीचे शरण ले रखी थी | वर्षा बार - बार दुकानदार को परेशान नज़रों से देखती, फिर अपनी घडी देखती | दुकानदार को वर्षा पर तरस आ गया और उसने वर्षा को अपनी सबसे प्रिय वस्तु, अपनी शादी की छाता दे दी | वर्षा कुमारी ने आँखों में कृतज्ञता भरते हुए बार - बार धन्यवाद दिया और यह वादा किया कि कल सुबह सबसे पहले वह उनकी छाता वापिस करने आएगी | उस दिन के बाद कितने ही सावन - भादों आए और चले गए लेकिन न छाता दिखा न वर्षा कुमारी | शादी की छाता ऐसे ही किसी लड़की को पकड़ा देने पर हर साल पहली फुहार पड़ते ही पत्नी के तानों की फुहार भी उन्हें झेलनी पड़ती है | 

और नवीं पायदान पर जो गाना है वह है, बहनों और भाइयों --''बरसो रे मेघा - मेघा बरसो रे मेघा | कोसा है, कोसा है,  बारिश का बोसा है ----''

ये खूबसूरत पंक्तियाँ समर्पित हैं सड़क बनाने वाले ठेकेदार के श्री चरणों में | इन पंक्तियों में वह बादलों से से बरसने का अनुरोध कर रहा है | वह मनुहार कर रहा है  कि भले ही मैंने तुझे देर से आने के कारण कोसा हो लेकिन तू दिल पर मत ले | तू बस सड़कों पर बोसे बरसाती रहना | तेरे बोसो से ही सड़कों पर बड़े - बड़े गड्ढे पड़ते हैं, जिनसे मेरी ज़िंदगी आसानी से चलती रहती है | ठेकेदार की इच्छा है कि मेघ साल भर बरसते रहें और वह ऐसे ही सड़कें बनाता रहे | जनता उसे कोसती रहती है और शिकायत करती है कि ''क्या ठेकेदार साहब ! कैसी सड़क बनाई कि एक बरसात भी नहीं झेल पाई ''| ठेकेदार साहब लोगों के कोसने को खाने के बाद कुछ मीठे की तलब की तरह लेते हैं | 

और अब टॉप टेन समाप्ति की ओर है | जी हाँ ! अंतिम पायदान पर जो गाना है भाइयों और बहिनों ! उसके लिए दिल को थाम लीजिए | बड़ा ही मस्त गाना है | बिलकुल सही पहचाना -- ''टिप टिप बरसा पानी, पानी ने आग लगाई ----''

निम्न पंक्तियाँ नई बस्ती में रहने वाले बाबू राम के गले से कल रात निकलीं सो गाना उसे ही समर्पित है | बरसात में उसके कमरे में पानी भर गया है और करंट दौड़ने का खतरा हो गया है | कल ही उसके पड़ोस में रहने वाले जीवन की पानी में बहते करंट से मौत हो गयी है | जीवन के छोटे - छोटे चार बच्चे अनाथ और बीबी विधवा हो गयी है | उसकी बस्ती के लिए बरसात, न सावन है, न रिमझिम के गीत हैं और न ही छई छप्पा छई है | पानी उसके लिए और उस जैसे हज़ारों लोगों के लिए हर साल आग का रूप लेकर आती है | 

तो बहनों और भाइयों ! टॉप टेन गानों के बारे में अपनी राय देना मत भूलिएगा | 

14 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (16-07-2017) को "हिन्दुस्तानियत से जिन्दा है कश्मीरियत" (चर्चा अंक-2668) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. ये तो लाजवाब लिख दिया आपने. बहुत शुभकामनाएं.
    रामराम
    #हिन्दी_ब्लॉगिंग

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  3. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "सात साल पहले भारतीय मुद्रा को मिला था " ₹ " “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  4. तबसे वह लड़का सदमे में है और सबसे यही पूछता फिर रहा है '' तुम ही कहो ये कोई बात है ?''
    ....गज़ब का लिखा है पूरा का पूरा...सुपर!!

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  5. व्यंग चरम पर गीतों की फुहार में । सुन्दर प्रस्तुति ।

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  6. आपकी लिखी रचना  "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 19जुलाई 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  7. मजेदार टॉप टेन...
    बहुत सुन्दर...

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  8. रोचक व्यंगात्मक प्रस्तुति।

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