जिस दिन तुमसे मिलकर लौटी
मैं कविता में ढलने लगी थी|
विचारों को मिल गए थे पंख
चाय की हर चुस्की के साथ
तुम्हारी कुछ पंक्तियाँ
याद आ गई थीं|
आटे में कुछ गीत चुपके से
आकर गुँथ गए थे|
नमक मिर्च हल्दी के साथ
चटपटे, रंगीन एहसास
सब्जी की कटोरी में
घुल गए थे|
बेशर्म से एहसासों को
झाड़ू से बुहार दिया था|
बिस्तर पर बिछाकर
असंख्य शब्दों की चादर
अनुभूतियों के साथ ही अभिसार
कर लिया था|
इस तरह मैंने भी
तुम्हें बिना बताए
तुमसे प्यार कर लिया था|
अच्छी रचना...
जवाब देंहटाएंयह तो अजब प्यार की गजब कहानी हुई शेफाली जी। बहुत सुन्दर भाव और शब्द संयोजन। वाह।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
दैनिक जीवन और प्रेम अच्छा ताना बाना बुना है आपने ..........
जवाब देंहटाएंएक बार कन्फ्यूजिया गया था के हमारी मास्टरनी जी आज किस मूड में है ......पर यकीन मानिए आपका ये मूड बहुत भाया.....सच में ....
जवाब देंहटाएंएक बात साबित हुई...के अच्छा लिखने वाला ही अच्छा व्यंग्य रच सकता है ....
दैनिक जीवन और प्रेम अच्छा ताना बाना बाना बुना है आपने......
जवाब देंहटाएंनमक मिर्च हल्दी के साथ
जवाब देंहटाएंचटपटे, रंगीन एहसास
सब्जी की कटोरी में
घुल गए थे|
और फिर उस सब्जी का स्वाद ...
बहुत सुन्दर
बेहतरीन शब्द संयोजन के साथ भावों की आकर्षक प्रस्तुति......
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना .....धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंइस तरह मैंने भी
जवाब देंहटाएंतुम्हें बिना बताए
तुमसे प्यार कर लिया था
-गजब!! वाह!!!
व्यंग्य जितनी ही सुंदर व प्रभावी रचना.
जवाब देंहटाएंकोमल अहसासों की लजीली सजीली और किंचित मुखर अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंवाह....बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति...कोमल से एहसास से सजी हुई....
जवाब देंहटाएंमास्टरनी जी ..........क्या बात है ...आजतो चटपटी कविता परोसी है एकदम मजा आ गया
जवाब देंहटाएंअगर आप उर्दू सीख लें तो आप के कलम का कोई जवाब नहीं है . वैसे अब भी सुंदर शब्द योजना है . बधाई . http://vedquran.blogspot.com/2010/05/adams-family.html
जवाब देंहटाएंवाह! कमाल कि पंक्तियाँ है!
जवाब देंहटाएंअति-उत्तम.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
कोई चुपके से आके,
जवाब देंहटाएंसपने सुलाके मुझको जगाके,
बोले कि मैं आ रहा हूं,
कौन आए ये मैं कैसे जानूं,
कोई चुपके से आके...
जय हिंद...
क्या बात है ...
जवाब देंहटाएंआज बिलकुल अलग अंदाज़ ...
होता है कभी कभी ऐसा भी होता है ...:)
अच्छा है ये भी ...
दैनिक जीवन और प्रेम अच्छा ताना बाना बाना बुना है आपने
जवाब देंहटाएंरसोई ..आटा...सब्जी....और प्यार! एकदम मस्त आइडिया..!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर ,रोचक और ...और भी बहुत कुछ ...///पिछली रचनाएं जरूर पढना चाहूँगा
जवाब देंहटाएंkalpana aur yathaarth ka khoobsoorat sangam !
जवाब देंहटाएंप्रेम की सहज व्यापकता का सजीव चित्रण ।
जवाब देंहटाएंशेफाली जी . बहुत बोधगम्य रचना ।
वाह!शानदार.
जवाब देंहटाएंबेशर्म से एहसासों को
जवाब देंहटाएंझाड़ू से बुहार दिया था|
bahut bahut behad sundar abhivyakti
badhai
आईये, मन की शांति का उपाय धारण करें!
जवाब देंहटाएंआचार्य जी
बेहद अनूठी भावाव्यक्ति है आपकी कविता की..........बहुत अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंरचना
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा है
सचमुच
एक कविता की तरह ही ....
वाह !
आटे में कुछ गीत चुपके से
जवाब देंहटाएंआकर गुँथ गए थे|
नमक मिर्च हल्दी के साथ
चटपटे, रंगीन एहसास
सब्जी की कटोरी में
घुल गए थे|
मास्टरनी जी कविता पढ़ के सचमुच आनंद आ गया
आपकी कविता पुदीने और धनिये की तरह महकती रहे रसोई में भी
रचना के लिए धन्यवाद
ati sundara
जवाब देंहटाएंदिनचर्या इतनी रचनात्मक हो सकती है .......बहुत ही सुन्दर उपमाएं, रचना रस से सराबोर.......
जवाब देंहटाएंबधाई!
बिस्तर पर बिछाकर
जवाब देंहटाएंअसंख्य शब्दों की चादर
अनुभूतियों के साथ ही अभिसार
कर लिया था|
शेफाली जी आपने कितनी सहजता से यह बात कह दी । सचमुच एक चमत्कार पैदा करती है आपकी कविता। बाकी पोस्ट आपकी नहीं देखी। पहली बार ही आना हुआ। पर अब आपके फालोअर बनकर जा रहे हैं। शुभकामनाएं।
बिस्तर पर बिछाकर
जवाब देंहटाएंअसंख्य शब्दों की चादर
अनुभूतियों के साथ ही अभिसार
कर लिया था|
इस तरह मैंने भी
तुम्हें बिना बताए
तुमसे प्यार कर लिया था|
शेफाली
bahut dinon bad ek ghatak aur marak rachna se roobaroo hua hoon ...
aapke hi shabdon mein kahoon to..
आटे में कुछ गीत चुपके से
आकर गुँथ गए....
नमक मिर्च हल्दी के साथ
चटपटे, रंगीन एहसास
सब्जी की कटोरी में
घुल गए......
बहुत ही सुन्दर ,रोचक और बेहद अनूठी भावाव्यक्ति है कविता की
जवाब देंहटाएंसुन्दर,सुन्दर,सुन्दर हृदयस्पर्शी.....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया...अजब प्रेम की गजब कहानी
जवाब देंहटाएंbahut sundar...umda abhivyakti...
जवाब देंहटाएंवाह...वाह ....वाह...अनूठी अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंअद्वितीय कविता,जिसका रस सहज ही पाठक ह्रदय तक स्थानांतरित हो जाए...
बहुत बहुत सुन्दर लगी आपकी यह अप्रतिम रचना...