सांच को आंच क्या ?
पैरों के तले कांच क्या
एक बार जो बना जमाई
उस राजा की फिर जांच क्या ?
टीम केजरी का नाच क्या
घोटालों के आकाश में
नित नए पर्दाफाश में
एक और खुलासे पर तीन - पांच क्या ?
उनका देश, उनकी सरकार
उनका राजा, उनके सिपासालार
सब उनके अपने हैं,
अपनों में बन्दर -बाँट क्या ?
उनका तराजू, उनका बाट
उनके कांटे, उनका ठाठ
गोल -मोल है नाप -तोल,
तोल में इस झोल की काट क्या ?
उनका घर, उनकी ताक
उनका चेहरा, उनकी नाक
रख दी ताक पर कटी नाक
अब घर की अटरिया पर तांक - झाँक क्या ?
अपनी रचना के माध्यम से बहुत जबरदस्त कटाक्ष किया है आपने !!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंवाह...!
जवाब देंहटाएंबहुत सही कहा आपने ...सबकुछ तो उनका है जनता का राज तो कहने भर को है ...
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सटीक व्यंग.
जवाब देंहटाएंरामराम.
.रोचक जबरदस्त कटाक्ष आभार ''शालिनी''करवाए रु-ब-रु नर को उसका अक्स दिखाकर . .महिलाओं के लिए एक नयी सौगात WOMAN ABOUT MAN
जवाब देंहटाएं.रोचक जबरदस्त कटाक्ष .आभार ''शालिनी''करवाए रु-ब-रु नर को उसका अक्स दिखाकर . .महिलाओं के लिए एक नयी सौगात WOMAN ABOUT MAN
जवाब देंहटाएंसन्नाट व्यंग
जवाब देंहटाएंये तो खूब जोड़-तोड़ कविता है। सुन्दर व्यंग्य गठबंधन!
जवाब देंहटाएंसुचना ****सूचना **** सुचना
जवाब देंहटाएंसभी लेखक-लेखिकाओं के लिए एक महत्वपूर्ण सुचना सदबुद्धी यज्ञ
(माफ़ी चाहता हूँ समय की किल्लत की वजह से आपकी पोस्ट पर कोई टिप्पणी नहीं दे सकता।)
बेहतरीन व्यंग...
जवाब देंहटाएंपहली बार दस्तक है आपके दरबार में। प्रणाम। कैसे हैं? देश के हालात पर अत्यन्त पारदर्शी व्यंग्य।
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