शुक्रवार, 30 अप्रैल 2010

जन्म एक कविता का...

जबड़े कस जाते हैं
मुट्ठी भिंच जाती है
माथे पर असंख्य सिकुड़नें 
तैर जाती हैं 
शिराओं में रक्त की जगह 
बैचेनियाँ दौड़ने लगती हैं 
तब कहीं जाकर 
जन्म लेती है 
एक अदद कविता. 

13 टिप्‍पणियां:

  1. वाकई कविता का जन्म
    इतना भी
    आसान नहीं है
    वह क्या कविता रचेगा
    जो किसी के दर्द
    किसी की पीड़ा
    किसी के टूटन से
    परेशान नहीं है

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  2. शिराओं में रक्त की जगह
    बैचेनियाँ दौड़ने लगती हैं
    तब कहीं जाकर
    जन्म लेती है
    एक अदद कविता....बहुत खूब ! शेफाली जी आप जैसे लोग ही इन्टरनेट के जरिये कुछ बदलाव ला सकते है ..आगे भी यु ही लिखते रहे ..धन्यवाद

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  3. कविता की व्यथा को तो एक कवि या कवियत्री ही समझ सकती है।

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  4. माफ़ कीजियेगा ये कविता कौन है???

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  5. arre ye to aapne bataayaa hi nahi ki--"kavitaa kaa birthday kab aataa hain??????"
    wish bhi to karnaa hain.
    thanks.
    WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM

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  6. आक्रोश से जन्म ली कविता ही क्रांति लाती है...

    जय हिंद...

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  7. कविता के जन्म की स्थितियाँ देश काल के अनुसार है ।
    रचना की सँरचना के लिए बधाई ।

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  8. मास्टरनी जी,
    क्या कविता लिखी है.... वाकई आक्रोश और विचारों के मंथन से ही कालजयी रचना जन्म लेती है...

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  9. कभी हंसते हंसते भी कवि्ता जन्म लेती है

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