सोमवार, 23 मार्च 2009

काले जादू पर कुछ काले अक्षर ...

 

 

बहिनों, इससे ज्यादा शर्मनाक तो कुछ हो ही नहीं सकता कि आज हम पर यह इल्जाम लगे कि हम काला जादू करतीं हैं, हांलाकि प्राचीन काल से ही समय - समय पर हम पर यह आरोप लगता रहा है. हर युग की सास ने अपनी बहू पर यह इल्जाम लगाया है कि 'कलमुंही ने काला जादू करके मेरे बेटे को अपने वश में कर लिया है, यह बात दीगर है कि पहिले से काली  महिलाओं का जादू मर्दों पर कम चला करता था,परन्तु शुक्र है इस कॉस्मेटिक युग का कि काली बहिनों ने तरह तरह की लवली- लवली क्रीमें लगाकर खुद को गोरा कर लिया है और जादू के इस मैदान में वे गोरियों को बराबर की टक्कर दे रही हैं  और आज लानत है हम पर कि हमको यह कला सीखनी पड़ रही है क्यूंकि आज ना तो हमारे पास काला जादू करने वाले वो लम्बे काले बाल रहे,ना वो जादुई आँखें, जिनको नचा नचा कर हम किसी भी मर्द को अपने वश में कर लिया करती थीं, वो गिड़गिडाता भी रहता था 'जादू भरी आँखों वाली सुनो तुम ऐसे मुझे देखा ना करो',लेकिन हमने उस पर कभी भी तरस नहीं खाया.और वो जुल्फें जिनको नागिन के समान दर्जा मिला था,उनको छोटा करने में हमने पुरुषों को कड़ी टक्कर दे रखी है, और उन पर अनेकों रंग,मसलन भूरा, काला,लाल ,पीला,सुनहरा और जिसमें सर्वप्रथम स्थान ले गया है मेहंदी का रंग,चढ़ा चढ़ा कर हमने ये कहावत को भी झूठा सिद्ध कर दिया है कि काले पर कोई दूसरा रंग नहीं चढ़ सकता है ,मेहंदी की बेवफाई का आलम इन दो पंक्तियों में सुनिए -

ये हिना भी देखिये कितने रंग बदलती रहती है

कभी हाथों में रचा करती थी, अब सिर पे लगी रहती है

 और आँखों का तो पूछिए मत,तरह - तरह के कांटेक्ट लेंस लगाकर हमने बुरा हाल कर डाला है, तभी तो आजकल मर्दों पे हमारा जादू चलना कम हो गया है, रही सही कसर मेरी बहिनें बड़े - बड़े सन ग्लास लगाकर पूरी कर देतीं हैं,जिनको मेरी बहिनें ना जाने किस मजबूरीवश सन के अस्त होने पर कड़कडाती सर्दी हो या बरसात,सुबह से लेकर रात तक आँखों में चढाए रहतीं हैं.

याद करें वो पुराना दौर, जब हम अपने ओरिजनल रंग रूप में जादू चलाया करतीं थीं,मजाल थी कि कोई पति इधर उधर ताक झाँक कर ले,और आज नौबत ये आ गयी है कि शादी के दिन से ही अपनी नवविवाहिता को छोड़कर अगल बगल खड़ी तितली जैसी इठलाती कन्याओं को ताड़ने लगता है

ऑफिसों में भी अब हमारा जादू चलने में दिक्कत होने लगी है, पहिले की तरह देर से आना और जल्दी चला जाना मुश्किल हो गया है , महिला अधिकारियों पर तो हमारा जादू कभी भी नहीं चला, उल्टे लौट कर हमीं पे आ जाता था,

अपनी इस बदहाली की बहिनों हम खुद ही जिम्मेदार हैं

कब आएगा वोह दिन जब इमरान हाशमी की तरह सारे मर्द ख़ुशी ख़ुशी यह गाएंगे ';काला जादू करें,लम्बे बाल तेरे'