गुरुवार, 4 मार्च 2010

अगले जन्म मोहे ब्लोगर का पति ना कीजो .........

पुराने पन्नों से  ......मंगलवार, २४ मार्च २००९

अगले जन्म मोहे ब्लोगर का पति ना कीजो .........

मैं कपड़े धोता

छप छप छप

तुम की बोर्ड पे करती   

खट खट खट

 

मैं अपनी किस्मत फोडूं  

सूखी रोटी रोज़ तोडूं

तुम लो बातों के चटखारे  

मैं देखूं दिन में तारे

 

दाल में मेरी नमक नहीं

चावल भी खाऊं मैं कच्चा  

कपड़े बिखरे जहाँ तहाँ

बच्चे फिरते यहाँ वहाँ

सारी दुनिया झूठी प्रिये!

एक तेरा ब्लॉग है सच्चा

 

टिप्पणियाँ तुम देती हो दिन भर  

मैं जो कर दूँ एक भी तुम पर

आँखों से बह जाए गंगा जमुना

उठ जाता है घर सिर पर

 

मेहमान भी जो घर पे आते

अपनी चाय आप बनाते

कहते हैं वो हंस हंस कर

भगवान् बचाए उसको

जिसकी बीबी हो ब्लोगर

 

याद है मुझको वह काला दिन

जब तुमको मैंने नेट सिखाया

पटके ज़मीन में बच्चे तुमने

गोदी में लैपटॉप बिठाया

 

फूल सूख गए गमलों में सारे

ताजा गुलाब तेरा चेहरा

पीले पड़ गए मैं और बच्चे

तेरे होंठों का रंग हुआ गहरा

 

दीवाली में छाया अँधेरा

होली में नहीं उड़ा गुलाल

त्यौहार सारे फीके हुए

तेरा ब्लॉग हुआ गुलज़ार

 

एक्सेप्ट और रिजेक्ट के

तेरे इस खेल में

मोडरेट हो गया मैं बेचारा

अपनी डाली आप ही काटी

कालिदास हूँ किस्मत का मारा

 

हे प्रभु! करुणानिधान

करना बस तुम इतना काम

अगला जन्म जब मुझको देना

ये दौलत भी लेना

ये शौहरत भी लेना

छीन लेना मुझसे मेरी जवानी

मगर मुझको लौटा देना

वो प्यारी सी पत्नी

वो मीठी कहानी