बुधवार, 22 अप्रैल 2009

१८ अप्रेल की वो अविस्मरणीय शाम

१८ अप्रेल की शाम एक अविस्मरणीय शाम बन गयी ....क्यूंकि इस दिन हमने दिल्ली में अपनी ऑरकुट की एक कम्युनिटी के सदस्यों से वास्तविक मुलाक़ात की ..'.सृजन का सहयोग'....जिसको आभा जी चलती हैं ...एवं राजेश जी के संयुक्त प्रयासों से यह आयोजन सफल हो सका ...सभी लोग एक दुसरे से रूबरू हुए ....अपनी अपनी रचनाएँ सुनाईं गईं ...और अंत में एक शानदार रात्रि भोज का आयोजन किया गया ...सभी लोग एक दूसरे से मिल कर बहुत प्रसन्न हुए ... कभी सोचा भी नहीं था की इस तरह से हम लोग मिल पाएँगे ...