शनिवार, 1 अगस्त 2009

आम आदमी हो या अम्बानी ....गैस याद दिला देती है नानी

साथियों .....इन दिनों व्यस्तता की वजह से, और लैपटॉप खराब होने की वजह से  ब्लॉग से दूर रहना पड़ा....एक बार फिर से मैं हाज़िर हूँ .....अम्बानी बंधुओं के बीच गैस की बदबू फ़ैली हुई है ....वैसे ये गैस होती ही बड़ी नामुराद है ....देखिये इसके जलवे ...... 
 
 
गैस
 
जब अमीर आदमी की
संपत्ति बन जाती है
दुनिया की नज़रों में चढ़ जाती है
भाई - भाई में डालती है फूट
झगड़े की जड़ बन जाती है
 
गैस
 
जब गरीब आदमी के घर
पहली बार जाती है
खुशियों का अम्बार लग जाता है
धरती से लेकर आकाश तक
मंद - मंद मुस्कुराता है 
बिन त्यौहार के
छा जाती हैं खुशियाँ 
सारा मोहल्ला नाचता , गाता 
जश्न मनाता है 
 
गैस 
 
जब आम आदमी के घर 
ख़त्म हो जाती है 
सुबह से शाम तक 
लाइन में खड़े रहने के बाद भी 
मिल नहीं पाती है 
उसकी उम्मीदों की तरह ही 
धुँआ बनकर जाने कहाँ 
उड़ जाती है 
 
गैस 
 
जब काले बाज़ार में 
उजाले फैलती है 
गरीब के घर फिर से 
जल उठते हैं चूल्हे और स्टोव 
वह लम्बी - लम्बी कारों की 
गोद में जाकर चुपके से 
सो जाती है 
 
गैस  
 
जब पेट में भर जाती है
लाखों उपाय करने के बाद भी
बाहर नहीं निकल पाती है
दिल में चढ़कर
डाक्टरों से लड़कर
जान लिए बिना नहीं जाती है
 
गैस
 
जब एकज़ाम में नहीं लगता है
विद्यार्थियों का दिल डूब जाता है
साल भर की भाग - दौड़
बिलकुल बेकार हो जाती है
बंधी - बंधाई उम्मीदों पर
तुषारापात हो जाता है
 
गैस
 
करो - "कौन हूँ मैं "
कहता है जब पति परमेश्वर
फोन पर आवाज़ बदलकर
या कभी चुपके से पीछे आकर
आँखों को बंद कर जाता है
पुराने प्रेमियों का नाम लेने पर
तलाक तक हो जाता है
बिना पोलीग्राफ मशीन के
सच का सामना हो जाता है
 
गैस
 
कम दहेज़ लाने पर
अपने आप खुल जाती है
फटने पर हमेशा से  
बहू ही मारी जाती है
 
इसीलिये
 
साथियों ......................
इस मुई गैस का
बहिष्कार करना चाहिए
इसको दिलो - दिमाग और
घर - बार से
बेघरबार कर देना चाहिए
यह गैस ही है जो
आम आदमी हो या
अम्बानी
याद दिला देती है
नानी
क्यूँ ना जलाओ फिर से
घरों में चूल्हे
जिसकी नर्म आंच के
पास बैठकर गर्म रोटी खाने से
रिश्तों में पसरी ठंडक
दूर हो जाती है
एक बार फिर से 
माँ  
अपने बच्चों  के
बेहद  करीब आ जाती है