गुरुवार, 8 मार्च 2012

क्यूँ हार गए खंडूरी जी ......एक विश्लेषण

ना होते अगर ज़रूरी 
श्रीमान खंडूरी 
तो जीत गए होते |
नाकाम होते षड्यंत्र, और  
विश्वासघाती, भितरघाती  
उनके पैरों तले बिछ गए होते | 

चलिए, उनके हारने की 
तह तक जाते हैं 
और हार के कारणों का 
पता लगाते हैं | 

वोटरों ने बताया कि 
ज़रूरी चीज़ों से वे 
बहुत ज्यादा घबराते हैं 
उनके सिर्फ़ ख्याल ही 
दिन रात रुला जाते हैं |

राशन, पानी, बिजली 
गैस की लम्बी कतार 
महंगाई की मार  
सोते - जागते सताते हैं |

इसीलिये अब 
गैर ज़रूरी चीज़ें 
हमें भाने लगी हैं 
मॉल, मोबाइल,  
बर्गर पीज़ा की दुनिया 
रास आने लगी हैं |

हाईकमान 
के गलत निकले अनुमान 
चीज़ ज़रूरी हो तो 
मन को अच्छी नहीं लगती हैं |
और बैठक कोई भी हो, 
सजावटी, नकली और बेकार 
की वस्तुओं से ही सजती है |