शनिवार, 22 अक्तूबर 2011

दिग्भ्रमित सिंह का एक और पत्र अन्ना के नाम ......

 
दिग्भ्रमित सिंह का  एक और पत्र अन्ना के नाम ......
 
प्रिय अन्ना हजारे जी, 
                               वैसे तो प्रिय कहलाने का हक़ आपने खो दिया है,  फिर भी चिट्ठी - पत्री की भी संसद की तरह  कुछ मर्यादाएं होती हैं, , जिन्हें निभाना आवश्यक होता  है | हांलाकि संसद की मर्यादाएं  हमें कभी भी सीमा में नहीं बाँध सकीं, तो चिट्ठी पत्री किस खेत की मूली है ?
 
आपसे  मेरी सबसे पहले यह शिकायत है कि आपने लड़ने के लिए भ्रष्टाचार जैसा विषय ही क्यूँ चुना, जबकि आपके पास लड़ने के अनेकों बहाने थे | हमने जनता को कई मुद्दे दिए थे, जिन पर आप आंदोलित हो सकते थे | इससे यह साबित होता  है  जब कोई खुद खाने  में असमर्थ होता है तभी उसे दूसरे का निवाला चुभता है |  हमने जनता को कमरतोड़ महंगाई दी, पेट्रोल डीज़ल को नई उंचाइयां प्रदान की, कसाब  और अफज़ल को बिरयानी दी | हर संभव और असंभव वस्तु पर घोटाले किये जा सकते हैं, यह दुनिया को बताया , जिसकी वजह से आज दुनिया हमारा लोहा मान रही है, और आप उसी लोहे की हथकड़ी हमें पहनाने की फिराक में लगे हैं |
 
अन्ना जी, आप यह  ना समझे कि हर बार आप अनशन  करेंगे और हर बार हम आपकी मांगों के आगे झुक जाएंगे | इस बार हमारे समीकरण ज़रा बिगड़ गए थे | अगली बार आपके अनशन के लिए हमने अभी से तैयारियां कर ली हैं | आपकी लीला रामलीला मैदान में दुनिया ने देखी, अब आप हमारी  लीला देखेंगे | हमने अपने नौजवानों को ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया है कि कैसे और कब आपके बारे में अफवाहें फैलानी हैं  | आपके अनशन शुरू करते ही ये नौजवान  जनता को बताएँगे कि आपने अपने बढ़े हुए वजन को कम  करने के लिए अनशन का सहारा लिया है, ताकि आपको अपने घुटनों का ऑपरेशन ना करवाना पड़े | हम उस डॉक्टर का इंटरव्यू  सभी चैनलों  में प्रसारित करवाएंगे जो कहेगा जब - जब आपका मोटापा बढ़ता है आप किसी ना किसी मुद्दे को लेकर अनशन करने बैठ जाते हैं |
 
आपके समर्थन में आए लोगों के बीच में हमारे आदमी मौजूद रहेंगे जो मीडिया को यहाँ बताएँगे कि वे यहाँ घूमने और अपने रिश्तेदारों से मिलने या टी. वी के किसी भी चैनल पर उनका हो सके तो  थोबड़ा नहीं तो नाक, कान, गर्दन या शरीर का कोई भी हिस्सा  दिख जाए, इसलिए  आए हैं | आपकी टीम के सभी लोगों की कुण्डली हमने निकाल ली है, उन पर राहु - केतु कब और कैसे बिठाने हैं, इसकी  तैयारियां  पूर्ण कर ली गई हैं | विकास के कार्यों में हमने विगत वर्षों में इतनी तेजी कभी नहीं दिखाई  जितनी इस कार्य में दिखा रहे हैं |
 
आपके समर्थन  में आए हुए हर इंसान के बारे में जांच की जाएगी | कोई ना कोई किसी ना किसी राजनैतिक दल का समर्थक निकल ही आएगा | किसी न किसी ने बचपन से लेकर जवानी तक कभी न कभी भ्रष्टाचार का अचार चखा ही होगा | हमसे गलती यह हुई कि हमने उसे सब्जी की तरह खा लिया | आपसे सभी समर्थकों के साथ  आपके घनिष्ठ रिश्तों के विषय में जांच करवाई  जाएगी |  अभी तो सिर्फ़ आपके और  संघ से नाते के विषय में ही पता लगा पाए हैं | निकट भविष्य में सौ - पचास दलों के साथ आपकी सांठ  - गाँठ  संबंधी खुलासों का इंतज़ार कीजिये |
 
अनशन के दौरान आप जो पानी पियेंगे, उसके बारे में हमारी  टीम यह प्रचारित  करवाएगी कि इस पानी में तमाम तरह के मिनरल्स घुले हुए हैं, जो इंसान को बिना कुछ  खाए ना केवल ज़िन्दा बल्कि स्वस्थ रखते हैं तथा यह पानी आपको पड़ोसी मुल्कों से सप्लाई किया जा रहा है | पड़ोसी मुल्क का नाम नहीं बताएँगे, क्यूंकि वह हमें भी नही पता होगा | लोग स्वयं अंदाज़ा लगा लेंगे |  इस मिनरल वाले  पानी को  पीकर आप ताकतवर हुए, जिससे हम कमज़ोर हुए |  
 
आप इतने दिनों तक सिर्फ़ इसीलिये अनशन कर सके क्यूंकि हम देशवासियों  को दिखाना चाहते थे कि हमारे देश का एक बुज़ुर्ग तक बिना खाए हुए दस दिन तक ज़िन्दा रह सकता है | लोग हमारी आलोचना करते हैं कि हम गेहूँ को गोदामों में सड़ने देते हैं और कहीं किसान आत्महत्या कर लेते हैं | गेहूँ का सड़ना हमारी सम्पन्नता की निशानी है | हम बताना चाहते हैं कि हमारे देश में किसान आत्महत्याएं अपने व्यक्तिगत या घरेलू कारणों से करते हैं ना कि सरकारी नीतियों के कारण |
 
अन्ना जी,  हमारी पार्टी के एक नेता ने आपके विषय में सच कहा था कि आप सर से लेकर पैर तक भ्रष्टाचार में डूबे हैं | हमारी सरकार आश्चर्यचकित हैं कि आपके बैंक  खाते में सढ़सठ हज़ार रूपये कैसे बचे हैं ? जबकि हमने आम आदमी को इस लायक नहीं छोड़ा कि उसके खाते में एक पैसा भी बच पाए, ऐसे में आप इतना रुपया बचा पाने में कैसे कामयाब हो गए ?  एक भ्रष्टाचारी ही इतना रुपया जमा कर सकता है | हमारी सरकार इस बात पर  भी इन्क्वायरी बैठाने वाली है |
 
वैसे अन्ना जी  मंदिरों की संपत्ति के विषय में अब जनता अनजान नहीं रही | आप मंदिरों को ही अपने निवास के लिए क्यूँ चुनते हैं, इस बात की गहराई से जांच की जा रही है | आप सोचते हैं कि वह मंदिर जहाँ आप निवास करते हैं, वहाँ वास्तु दोष  है | दरअसल यह वास्तु नहीं वरन  हर उस वस्तु का  दोष है, जो आपसे  जुडी हैं |  आपके मंदिर की वाल में लीकेज निकली, आभूषण खोटे निकले, जो सूरज आपके मंदिर तक रोशनी  पहुँचाता  था, उसकी किरणें धुंधली  निकलीं |  
 
आपके कारण मुझ पर लगातार हमले हो रहे हैं, आए दिन मेरी आलोचना हो रही हैं | मेरी हर बात का गलत मतलब निकाला जा रहा है |मेरे बयानों को तोड़ - मरोड़ कर पेश किया जा रहा है | तंग आकर मुझे मानहानि का दवा करना पड़ा, ताकि लोगों  एहसास हो सके कि मेरा अभी भी  कुछ मान शेष है, जिसकी हानि हुई है |  
 
आपका स्वास्थ्य ख़राब हो गया है और आप दुखी होकर अनिश्चित कालीन मौन पर चले गए हैं | वैसे  जनता और मेरी सरकार के कई लोगों का यह दृढ़  विश्वास  है कि मुझे भी बड़े भाई की तरह  मौन व्रत सदा के लिए ले लेना चाहिए, ताकि पार्टी , आलाकमान और देश की सेहत ठीक रहे | 
 
ऐसा नहीं है कि हमारी पार्टी में भ्रष्टाचार को लेकर तनाव  नहीं है | हम इसे लेकर बहुत चिंतित हैं | हमने बहुत मंथन किया और यह निष्कर्ष निकाला कि लोगों का नैतिक चरित्र का पतन हो गया है | हमें लोगों को नैतिक रूप से मज़बूत करना होगा | इसके लिए सिब्बल  जी ने यह सुझाव दिया है कि स्कूली पाठ्यक्रम , जिसकी उन्होंने  पहले से ही चूलें हिला रखी  हैं, में  आमूल चूल बदलाव किया जाएगा | किताबों में नैतिकता के पाठों की प्रधानता रहेगी | हर राज्य में नैतिक अफसरों की फौज नियुक्त करी जाएगी | संसद के शून्य काल को नैतिक काल में बदल दिया जाएगा | इस दौरान श्री श्री रविशंकर और भय्यु जी महाराज के नैतिक प्रवचनों की व्यवस्था की जाएगी | इससे  समाज में नैतिकतावाद की स्थापना को बल मिलेगा |
 
यूँ मैं आपको ई. मेल या एस. एम्. एस. भी  कर सकता था परन्तु अगर में ऐसा करता तो जनता को कैसे पता चलता | यह भी क्या बात हुई कि टाइप करो और फटाक से सेंड कर दो |  चार लोगों ने देखा ना पढ़ा  ना बहस हुई तो फायदा ही क्या ? इसके अलावा  जितनी देर एक एस. एम् .एस. टाइप करने में  लगती, उतनी देर में  कई टी. वी. चैनलों  को इंटरव्यू  दे सकता हूँ | और फिर  आज भी जो मिठास चिट्ठी - पत्री में है वह इन आधुनिक तरीकों में कहाँ ? चिट्ठी को सिरहाने रखकर सो सकते हैं, उसके हर शब्द पर मनन कर सकते हैं | और फिर अलावा मुझे यह अच्छे  तरह से ज्ञात है कि मेरे द्वारा आपको मेल भेजते ही मेल शरमा कर  स्वयं स्पैम में चली जाएगी |
 
जब तक अनिश्चितकालीन मौन व्रत पर हैं, मैं आपको रोज़ एक चिट्ठी भेजूंगा |  ..... आप पढेंगे, तिलमिलायेंगे, कुढ़ेंगे, लेकिन मुंह से कुछ नहीं बोल पाएंगे  |