बुधवार, 13 मई 2009

और जब मतदान रुक गया था ...

इस साल तो हम चुनाव ड्यूटी से बच गए , लेकिन पिछले साल की ड्यूटी नहीं भूलती ,जब नगरपालिका के चुनाव के दौरान मतदान एक घंटा रुका रहा .मुस्लिम बहुल इलाके में ड्यूटी थी , पर्दानशीनों की पहचान हम बखूबी कर रहे थे ..तभी एक पर्दानशीं का आगमन हुआ , हमने हाथ में उसका फोटो पहचान  पत्र लिया और नियमानुसार कहा "पर्दा उठाइए "हम चूँकि मतदान कर्मी थे तो अपने को किसी मजिस्ट्रेट  से कम नहीं समझ रहे थे ,इससे पहिले एक प्रत्याशी को वापिस भेज चुके थे ,उसके एजेंटों के ये कहने पर भी की ये तो खुद प्रत्याशी हैं ,इनको पहचान पत्र की क्या ज़रूरत , जब हम कह रहे हैं तो इनको वोट डालने दीजिए ...,लेकिन हमने साफ़ शब्दों में  कह दिया की  जब ये पहचान का सुबूत दिखाएँगे तभी वोट दे पाएंगे ,हमारे अफसरी  तेवर देखकर वो वापिस चला गया और फिर पहचान पत्र लेकर  शाम को ही अपना वोट देने आया. हां ... तो उस पर्दानशीं की और से जवाब आया "ज़रूरी है क्या "..हम पूरी  अकड़ के साथ बोले "जी हाँ ज़रूरी है ,हमें इसीलिए सरकार ने यहाँ बिठाया है"
उसने पर्दा उठाया तो हमारी नज़रें उसके चेहरे पर चिपक गईं ,उसकी खूबसूरती देखकर बेहोश होते होते बचे ,ऐश्वर्या ,केटरीना इसके आगे क्या बेचेंगे ?हमने सोचा ,हाय ! हसीना तुम अपने चेहरे पर क्या लगाती हो ?. फिल्मों में क्यों नहीं ट्राई करतीं ?..पूछना चाहा लेकिन शब्द गले में ही अटक गए ..
"देख लिया ?"उसने पूछा तो मैंने बहाना बनाया "अभी रुक जाओ ",हमने जबरदस्ती उसे रोकने की कोशिश में फिजूल के सवाल पूछने शुरू किये ,
"ये कब की फोटो है ?अंदाज़ नहीं आ रहा है कि तुम्हारी ही है या किसी और की "?हांलाकि उसमे वो बिलकुल साफ़ साफ़ नज़र आ रही थी .
"पिछले साल की है "
" आपके कितने भाई बहिन हैं ?" उसके चेहरे पर से नज़रें नहीं हट पा रहीं थीं."
"क्यूँ "?
"फर्जी मतदान रोकने के लिए सरकार ने कहा है पूछने के लिए "
"चार"
"नाम बताइए"? हम यूँ ही सवाल पे सवाल दागे जा रहे थे .. 
 वो नाम बताते गयी ,हम खामोश होकर उसे देखते रहे .
"अब उम्र बताइए सबकी "
वो परेशान हो रही थी ,फिर भी हमें सरकारी कारिन्दा  समझ कर हमें  हर प्रश्न का जवाब देती गयी.
फिर हमने सोचा की हमारे साथ बैठे पुरुष मतदान कर्मियों ने  हमारा क्या बिगाड़ा ,जो उन्हें इस अप्रतिम सौंदर्य के दर्शनों से महरूम रखें  ...बेचारों ने रात भर बैठकर मतपत्र मिलाए हैं ,और हमने हमेशा की तरह महिला होने का फायदा उठाया .... हमारी रोनी सी सूरत देखकर उन्हें कहना पड़ा ..
"आप जाइये मैडम ...हम लोग कर लेंगे ,आपके घर में बच्च्चों को परेशानी हो रही होगी "
हम धन्यवाद कहकर आराम से घर में सोने चले गए थे ..और सुबह उठकर  सबके लिए पूरी सब्जी बना लाए ...वे बेचारे रात भर के जगे , भूखे- प्यासे गर्मागर्म पूरियां देखकर हमारे अहसानों के बोझ तले दब गए थे .बेचारे ! 
"ज़रा देखिये तो सर! ...ये इन्हीं की फोटो है क्या ?मुझे शक हो रहा है .." हमने  साथ बैठे मतदान कर्मी से कहा...
"देखूं" कहकर उन्होंने सिर उठाया तो वे भी जड़ रह  गए ,जब उन्हें होश आया तो उन्होंने पीठासीन से पूछा .पीठासीन भी अपनी पीठ पर मानो चिपक से गए .अब तक काफी देर हो गयी थी और वोटर पीछे से हल्ला मचाने लगे ...और हम सभी के मन में कमोबेश यही विचार उठ रहा था कि ये ही सारे वोट डाल दे ..शाम तक इसी बूथ पर खड़ी रहे ,  मन कर रहा था की बाकी लोगों से कह दें ..की आप लोग कहीं और जाकर वोट डाल आइये ...ये बूथ तो इनके नाम बुक हो गया ...अफ़सोस ऐसा कहने की हिम्मत किसी में नहीं थी ..लिहाजा उसे वोट दिलवाना  पड़ा.लेकिन फिर उसके जाने के बाद किसी का मन काम में नहीं लगा ..अधूरे मन से मतदान की प्रक्रिया पूरी करवाई ..'काश एक बार पता  ही पूछ लेती...कुछ ब्यूटी टिप्स ले लेती ' मन ही मन खुद को कोसा ...
मतदान ख़त्म होने के बाद अपनी अपनी मत पेटियां जमा करने की बारी आई ,इसमें भी देरी लगने का अंदेशा था ..क्यूंकि अभी हमारे मतपत्रों का मिलान नहीं हुआ था ..उस हसीं चेहरे की बदौलत हिसाब किताब रखने में बहुत गडबडी हो गयी थी ..कम से कम सुबह के चार तो  बज ही जाते ...हमने फिर एक बार रोनी सूरत का  बर्ह्मास्त्र फेंका और आराम करने  घर चले गए ...जबकि हमारे साथी लोग बैठे रहे. जोड़ तोड़ करके हिसाब मिलाने में लगे रहे .आज भी जब मतदान में ड्यूटी लगती है तो हम उसी चेहरे को ढूंढ़ते हैं ..काश एक बार वह और दिख जाए ...