रविवार, 21 मई 2017

व्यंग्य की जुगलबंदी ३२ - हवाई चप्पल

हवाई चप्पल ----

एक राम किशोर हैं | अस्सी साल से ऊपर के रिटायर्ड मास्टर | झुकी हुई कमर | कमज़ोर नज़रें | दुबले इतने कि ज़ीरो फिगर वाली लड़कियां शर्मा जाएं | वे इंसान के खाली बैठने को दुनिया का सबसे बड़ा पाप मानते है | 

राम किशोर की आवश्यकताएं बेहद सीमित हैं | रोटी, कपड़ा और मकान के बाद सबसे आवश्यक जिसको मानते हैं वह है हवाई चप्पल | अगर घर के अंदर कोई नंगे पैर चलता दिख जाए तो उसकी शामत आ गयी समझो | पहले उससे नंगे पैर चलने का कारण पूछा जाएगा | अगर उसके मुंह से ' चप्पल नहीं मिल रही ' जैसा कुछ निकल गया तो टॉर्च लेकर चप्पा - चप्पा छान मारेंगे | किसी की चप्पलें खो जाएं तो उनका चेहरा खिल जाता है | खोई हुई चप्पलों को ढूंढने के लिए खाना - पीना छोड़ तक छोड़ देते हैं | चप्पल खोज के सघन अभियान के दौरान बीच - बीच में आकर लेटेस्ट अपडेट भी देते रहते हैं  -

''सारा घर छान मारा'' | 
''हर कोने में देख लिया''
''बिस्तर के नीचे डंडा डालकर भी देखा'' | 
''सोफे के नीचे तक ढूंढ लिया'' | 
''कहीं नहीं मिली''|  
''आकाश - पाताल एक कर दिया''|  

कई घंटों की मशक्कत के बाद अंततः उन्हें चप्पल ढूंढो अभियान में सफलता मिल ही जाती है | चप्पलें शू रैक में करीने से लगी हुई बरामद होती हैं | ऐसा कभी कभार ही होता है कि चप्पलें अपनी निर्धारित जगह पर रखी हुई हों | 

कभी उनकी चप्पल इधर - उधर हो गयी तो भौंहों में बल डालकर गुस्से में कहते हैं ''लगता है कोई उठा ले गया | घर में कौन - कौन आया था'' ?

बच्चे-----
''ही ही ही,  पापा आपकी चप्पल कौन उठाएगा''?
''आपकी चप्पलों की हालत देखकर तो उसका मन करेगा कि आत्महत्या कर ले'' | 
''अगर आत्महत्या नहीं कर पाया तो अपनी चप्पल छोड़ कर खुद नंगे पैर चला जाएगा'' |
''ग्लानि से भर कर चोरी ही छोड़ देगा'' |  
पत्नी -----
''सब चोर ही आते हैं इस घर में '' 

तरह - तरह के मज़ाक भी उन्हें उनके उद्देश्य से विचलित नहीं कर पाते | 

राम किशोर की चप्पल भी इतनी जबरदस्त होती है कि देखने वाला देखते रह जाए | घिसते - घिसते असली रंग दिखने लगता है | फीते टूट जाते हैं तो पहले खुद फीतों को सिलने की कोशिश करते हैं | मोटी सुई और धागा माँगा जाता है | घंटों तक जद्दोजहद करने के बाद जब किसी भी तरह से सिल नहीं पाते तो मोची का पता पूछते हैं |  

बच्चे ----
'' पापा मोची ने मना कर रखा है कि इस चप्पल को लेकर मत आना ''| 
''अगर आप इस चप्पल को लेकर गए तो वह अपने आपको आपको गोली मार देगा | 
'' वह अपना धंधा छोड़ देगा ''| 
पत्नी -----
'' क्या हो गया है आपको ? कितने दिन चलेंगी ये ?नई चप्पलें क्यों नहीं खरीद लेते''?

राम किशोर हार नहीं मानते,'' तुम लोग बहाने बनाते हो | सब के सब निकम्मे हो | मैं खुद ही ले जाऊँगा अपनी चप्पल ''| 

वे झुकी हुई पीठ और टूटी हुई चप्पलों को लेकर नुक्कड़ के मोची के पास जाते हैं | लौटते समय उनकी चाल में गज़ब की अकड़ आ जाती है | झुकी हुई पीठ सीधी हो जाती है | बहती हुई बीमार आँखों में चमक देखते ही बनती है |
   
''तुम लोग झूठ बोलते थे | मोची ने फटाफट दूसरे फीते डाल दिए | उसने कहा कि टाँके नहीं लग पाएंगे तब मैंने कहा कि अगर ऐसा है तो फिर फीते ही बदल दो | वह तो बहुत ही भला इंसान निकला | उसने बस दस ही रूपये लिए | कहने लगा ''आजकल हवाई चप्पलों में फीते डलवाता ही कौन है ? महीने में एक - आध बार ही ऐसे ग्राहक आते हैं ''| 

बच्चे ---
''आपको सम्मानित नहीं किया उसने''?
'' ऐसा कहकर वह आपकी मज़ाक बना रहा था''| 
'' आपका फोटो खींचकर सोशल मीडिया में अपलोड करेगा ''| 
पत्नी --
'' पता नहीं क्या सुख मिलता है इन्हें लोगों को ऐसा दिखाकर'' | 

असंख्य टाँके लगने और दो - तीन बार फीते बदलने के बाद जब तला इतना घिस जाता है कि चप्पल आधी रह जाती है तब वे दानवीर कर्ण बनकर उन्हें बाहर रख देते हैं ''कोई गरीब ले जाएगा ''| 

बच्चे ----

''बिना तले की चप्पलें पहिनने वाला गरीब इस दुनिया में एक ही है'' |
''उसे चप्पल मत कहिये पापा'' |
''लोग मज़ाक उड़ाते हैं पापा'' | 
पत्नी -----
''तेरे पापा शौक है अपने को गरीब दिखाने का'' |

''मैं क्या किसी की मज़ाक से डरता हूँ ? और चप्पल बिलकुल ठीक है अभी | आराम से छह महीने और चल सकती है | तुम्हारे जैसे लोगों की फ़िज़ूलख़र्ची ने देश को बर्बाद कर दिया है'' |  

ऐसा नहीं है कि राम किशोर अपनी उन हद दर्ज़े तक घिसी चप्पलों से फिसलते नहीं हैं | फिसलते हैं और तुरंत सम्भल जाते हैं | इकहरे शरीर और पैंतालीस किलो वजन वाले अपने शरीर पर उनको काफी घमंड है | उनको फिसलता देखकर घरवालों की लॉटरी लग जाती है | 

बच्चे ----
'और पहनो घिसी चप्पल ''| 
''अशर्फियों पर लूट और कोयलों पर मुहर ''| 
''किसके लिए बचा रहे हैं पैसा ''?
''अभी कुछ हो जाता तो हज़ारों की चपत लग जाती'' | 
पत्नी ------
''इनसे तो कुछ कहना ही बेकार है ''

वे तुरंत बचाव की मुद्रा अख्तियार कर लेते हैं ''कमज़ोरी के कारण चक्कर आ गया था | चप्पल में कोई खराबी नहीं है''| 

उनकी पत्नी हर छह महीने में शोरूम से नई चप्पल खरीदती है | चल कर भी देखती है | अजीब सी बात है कि कोई भी नई चप्पल एक या दो बार ही पहिन पाती है | 

''अच्छी नहीं है, बेकार है, जबरदस्ती भिड़ा दी दुकानदार ने | शोरूम की तड़क - भड़क के चक्कर में आ गए | आगे से चुभ भी रही है, दुकान में तो ठीक ही लग रही थी, घर आकर पता नहीं क्या हो गया '', कहकर काम वाली को दे देती है | उनके पैरों में नई चप्पलें देखकर काम वाली समझ जाती है कि एक - दो हफ्ते के अंदर उसे फिर से नई चप्पलें मिलने वाली हैं | 

पत्नी नई से नई चप्पलों में भी फिसल जाती है | दो बार एड़ी में बाल आ चुका है | ऐसे में वे खुद पर गर्व करते हैं, ''देखा तुमने ! मैं हमेशा कहता हूँ कि सारा खेल दिमाग का है | दिमाग संतुलित रहे तो चप्पलें भी संतुलित रहती हैं, चप्पलों के घिस जाने का फिसलने से कोई ताल्लुक नहीं है ''| 
 
लाख दलीलों के बावजूद पत्नी की आँखों में खटकती हैं उनकी हवाई चप्पलें | गुस्से की मात्रा जब बहुत बढ़ जाती है तो वे पति के लिए नई ब्रांडेड चप्पलें खरीद कर ले आती है | राम किशोर गंदा सा चेहरा बनाकर उन्हें अलमारी के ऊपर रख देते हैं | 

''मैंने क्या करना है नई चप्पलें पहिनकर | बेटा पहिनेगा | जब आता है चप्पलें ढूंढता रहता है'' | अपने लिए आई हुई सारी नई चीज़ें और उपहार वे अलमारी के ऊपर रख देते हैं | बनियान, रूमाल, मोज़े, शर्ट, कुर्ते, स्वेटर सब | 

ब्रांडेड पहिनने वाला बेटा उस ओर नज़र भी नहीं डालता | सालों साल वे वस्तुएं उसी अवस्था में पडी रहती हैं | 

चप्पलों के मामले में बेटा उनका भी उस्ताद है | जो चप्पल उसके लिए रखी जाती है उसे छोड़कर सब में पैर डाल लेता है | दो अंगुलिया फँसाई, निकल पड़ा, बाकी पैर बाहर रहे या अंदर उसे कोई फर्क नहीं पड़ता | 

हर दीवाली में उनकी चप्पलों पर ही सबकी नज़र रहती है कि कैसे सफाई के नाम पर उनको बाहर किया जाए | दीपावली के सफाई वाले दिनों के दौरान वे अत्यंत चौकन्ने हो जाती हैं | वे अपनी चप्पलों के आस - पास ही मंडराते रहते हैं | जैसे ही उनकी चप्पलों को कबाड़ के सामान के साथ फेंका जाता है, वे बिजली की गति से दौड़ कर आते हैं और हवाई चप्पलों को उठा ले जाते हैं | 

''मेरी मेहनत की कमाई की है''|  
''खून - पसीना लगता है एक -एक पैसा कमाने में'' |  
 
खून - पसीना उनका मनपसंद जुमला है | वे बदल - बदल कर दोनों जुमलों का उपयोग करते हैं | ज़्यादा गुस्सा आने पर खून - पसीना का उपयोग करते हैं | 

राम किशोर को शादी - विवाह या अन्य किसी सामजिक कार्यक्रम में जाना पसंद नहीं आता, क्योंकि तब उन्हें घरवालों के भीषण दबाव का सामना करना पड़ता है जिसके अंतर्गत उन्हें अपनी प्रिय हवाई चप्पल उतार कर सेंडिल या जूते पहनने पड़ते हैं, जिससे बहुत तकलीफ होती है | इससे बचने के लिए उन्होंने सालों से कहीं भी जाना बंद कर रखा है | 

बच्चे चाहते हैं कि उनके पिता कहीं घूमने - फिरने के लिए जाएं | बची हुई ज़िंदगी में कम से कम एक बार हवाई यात्रा का आनंद उठा लें | 
 
बच्चे ----
'' पापा एक बार हवाई जहाज में बैठ जाओ न हमारे कहने से ''| 
''ऊपर से नीचे की दुनिया को देखना पापा | बड़ा मज़ा आता है'' | 
''पापा प्लीज़ जाइये ना, कभी तो हमारा कहना मान लिया करिये ''| 
पत्नी ----
''चलिए हम दोनों साथ घूमने चलते हैं | जवानी में तो तुमने घुमाया नहीं, अब बच्चे टिकट भी करा के दे रहे हैं, अब तो चले चलो  ''| 
राम किशोर ----
''अब मैं बस ऊपर वाले के हवाई जहाज में ही बैठूंगा '' कहकर ऊपर की ओर उंगली उठा देते हैं | 

ऐसी स्थिति में जब पी.एम. अपने 'मन की बात' में कहते हैं कि उनका सपना है कि 'हवाई चप्पल पहिनने वाले भी एक दिन हवाई जहाज में बैठ सकेंगे' तब विश्वास नहीं होता कि राम किशोर अपनी हवाई चप्पलों के साथ हवाई जहाज में बैठने के लिए राज़ी हो पाएंगे |