बुधवार, 24 दिसंबर 2014

बीते बरस को सलाम

झाड़ू खरीदे गए । झाड़ू बेचे गए । झाड़ू लगाए गए । झाड़ू लगवाए गए । कूड़ा किया गया । कूड़ा साफ़ किया गया । कैमरे के सामने झाड़ू लगाया गया । झाड़ू लगाते समय कैमरे बुलवाए गए । 

धर्म का विवाद रहा । विवादों में धर्म रहा । कहीं लाउडस्पीकर को लेकर विवाद हुआ । कहीं विवाद पैदा करने लिए लाउडस्पीकर का प्रयोग किया गया ।  

साल भड़ास से भरा रहा । वर्ष पर्यन्त भड़ास निकलती रही । फेसबुक से, ट्विटर से, संसद से, मंच से, सभा से, इधर से उधर से,  जिधर से मौका मिला वहीं से, भड़ास की गंगा बहती रही ।   

साल सेल्फ़ियों का रहा । सेलफिशों का रहा । भाँति - भाँति की ट्वीट रही । भाँति - भाँति की बीट रही ।  

काले धन की हर जगह मुख्य रूप से चर्चा रही । हर चर्चा में काला धन मुख्य रहा । देश में ज़्यादा है या विदेश में इस पर सट्टा गर्म रहा । सूची में किसके नाम निकलेंगे,  किसके नहीं निकलेंगे ? इस रहस्य पर से पर्दा उठेगा या नहीं इस पर भी रहस्य बना रहा ।         

दामाद तनाव का कारण बने  रहे । कहीं सास को तनाव रहा । कहीं ससुर को तनाव रहा ।  जिनके वे दामाद थे उन्हें तनाव रहा । जिनके वे दामाद नहीं थे, उनको भी तनाव रहा । 

बयानों की बनी रही । जिनके बयानों की अहमियत थी उन्होंने अहम बयान दिए । जिनके बयानों  की अहमियत नहीं थी उन्होंने ऐसे बयान दिए जिससे उनके बयानों को अहमियत मिली ।  बयानों पर बबाल मचा । बयान वापिस लिए गए । वापिस लेने के लिए बयान दिए गए । बबाल मचाने के लिए बयान दिए गए । 

साल भर टूटने - जुड़ने का क्रम चलता रहा  । गठबंधन टूटे । ठगबंधन जुड़े ।  टूट -टूट कर जुड़े । जुड़ -जुड़ कर टूटे ।  

संबंधों की उठापटक चलती रही । कहीं सम्बन्ध टूटे कहीं मज़बूत हुए । कोई बेटे की वजह से शर्मिंदा हुई किसी को दामाद की वजह से शर्मिंदा होना पड़ा । कहीं चचेरे भाई ने बचाया कहीं चचेरे भाई ने डुबोया । 

यात्राओं में बढ़ोत्तरी हुई । कुछ विदेश यात्रा पर जाने के लिए मंत्री बने । कुछ ने मंत्री बन जाने के बाद विदेश यात्रा करी । कुछ ने जेल की यात्रा करी ।  

लव से लबालब रहा । लव किस में रहा । लव जिहाद में रहा । लव झगड़ों में रहा । लव फसाद में रहा । 

इण्टर पास को लैपटॉप मिला, एफ़. डी मिली । इण्टर पास को मंत्रालय मिला । पदवी मिली ।  जिन हाथों में देश का भविष्य सुरक्षित होता है, उनका भविष्य ज्योतिष के हाथ में सुरक्षित रहा । 

महिलाओं लिए साल बेहतरीन रहा । पाप की खान इस देह से उन्हें वर्षपर्यंत छुटकारा पाने का मौका मिलता रहा । किसी को मार कर पेड़ पर लटकाया गया । कोई खुद पेड़ पर लटक कर मरी । कोई ज़हर गटक कर ख़त्म हो गयी । कोई बलात्कार के बाद मरी । हाई प्रोफाइल वाली भी मरी । लो प्रोफाइल वाली भी मरी । बिना प्रोफाइल वाली भी मारी गयी । 




रविवार, 21 दिसंबर 2014

बरस की बारहखड़ी बरस का ककहरा ----

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बरस की बारहखड़ी बरस का ककहरा ----

अच्छे दिन, अमेज़न, अमित शाह, अडानी, अम्बानी 
आई. एस.,आई फोन -6, आदित्यनाथ, आईसबकेट, आत्मकथा 
इबोला, इंस्टाग्राम, इंच - इंच ज़मीन 
ईशांत शर्मा 
उपवास, उद्धव, उबर टैक्सी 
ऊ ---
ए---- एक्ज़िट पोल, एटनबरो 
ऐ ---
ई कॉमर्स 
ओ. एल. एक्स 
औ-- 
अं--अंतुले, अंतरिक्ष   
अः-- 
श्रीनगर, श्रीनिवासन  

काला धन, केजरीवाल, कैलाश सत्यार्थी, किस ऑफ़ लव, कोल आबंटन ,कमल का फूल, क्योटो, क्वीन, कपिल शर्मा, केन्डी क्रश 
खट्टर, खांसी, खुशवंत सिंह    
गिरिराज सिंह, गुड गवर्नेंस, गोडसे   
घर वापसी, घर - घर मोदी  
चाय वाला, चाइना, चिड़ियाघर 
छप्पन इंच 
जापान, जयललिता, जेल, जनता दल, जन - धन, जेटली, ज्योतिषी, जीतन मांझी 
झाड़ू, झापड़ 
ट्विटर, टमाटर, टीचर्स डे, टाइम पर्सन  
ठाकरे, ठुल्लु  
डिनर, डांडिया, डी. एल. एफ़  
ढोल 
तोगड़िया 
थरूर, थर्ड फ्रंट, थप्पड़ 
देहाती औरत, दही, देवयानी             
धरना, धर्म गुरु, धार्मिक दंगे,धूम 3 
निरंजन ज्योति, नसबंदी, नटवर सिंह, नक्सली हमले, नपुंसक  
पेड न्यूज़, पेड़ की न्यूज़ , पटेल, प्राण, पुतिन, पी. के.    
फेंकू, फ्लिपकार्ट, फणनवीस, फेसबुक, फेलिन  
बनारस, बदायूं, बुलेट ट्रेन, बिग बॉस, बाढ़, बिलावल,   
भैंसे, भूटान, भारत रत्न, भागवत, भगवतगीता   
मोदी, मीडिया, मंगलयान, मलाला, मेरीकॉम, मोतियाबिंद, महाराष्ट्र, मोहनलालगंज, मार्गदर्शक, मफलर, मेक इन इंडिया, मन की बात   
यू टर्न, यू.पी, यादव सिंह, यश चोपड़ा, यू आर अनंतमूर्ति, येल यूनिवर्सिटी, यरवदा जेल  
रामपाल, राहुल, रंजीत सिन्हा, राजदीप, राजनाथ, रामजादे, रघुराम राजन, रोहित शर्मा, रेडियो   
लव जेहाद, लहर, लालू प्रसाद, लाउडस्पीक,एल.जी. 
विपक्ष विहीन, वेद प्रताप वैदिक, वीसा, वाड्रा, विक्टोरिया बग्घी 
स्वच्छता अभियान, स्टडी टूर ,स्मृति ईरानी, स्विस बैंक, सानिया, सुनंदा, साक्षी महाराज, संघ 
शौचालय, शाहरुख़, शरीफ, शिव सेना, शिक्षा मंत्री,
हरियाणा के चुनाव, हरियाणा की लड़कियां, हाफ़िज़ सईद, हैलमेट, हूटिंग, हुदहुद, हिन्दू राष्ट्र 
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ज्ञ -
                                   
                   

शुक्रवार, 19 दिसंबर 2014

शर्मिंदा हूँ मैं , बहुत शर्मिंदा हूँ देशभक्तों !



मेरा गुनाह माफी के काबिल तो नहीं है लेकिन फिर भी मुझे माफ करना देशभक्तों ------------

मैं किसी भी तरह से देशभक्त साबित नहीं हो पा रही हूँ । मैं बहुत शर्मिंदा हूँ अपनी बुजदिली पर । अपने इस कदर कायर होने पर मुझे कभी - कभी ऐसा महसूस होता है कि मैं इस दुनिया में रहने के लायक नहीं हूँ । 

दुश्मनों के देश में, चारों और भविष्य के दुश्मनों का बिखरा हुआ खून देखकर मुझे उल्टी आने लगती है । सिर चकराने लगता है । बेहोशी छाने लगती है । सिर से लेकर पैर तक  दहशत की लहर दौड़ जाती है । 

दुश्मनों के बच्चों की लाशों को देखकर अपने बच्चों की शक्लें याद आने लगती हैं । रातों की नींद उड़ जाती है । मारे गए हैं वो  बच्चे , जिनका मुझसे दूर - दूर तक कोई सरोकार नहीं है और रातों को उठ - उठकर मैं अपने बच्चों की साँसों को टटोलने लगती हूँ । 

दुश्मनों के मरे हुए बच्चों की लाशें देखकर खुश होने के बजाय मेरा दिल हाहाकार करने लगती हूँ । मुझे जश्न मानना चाहिए था । लज़ीज़ दावतें उड़ानी चाहिए थी,  पर मुझसे एक निवाला तक निगला नहीं जाता । 

दुश्मन मुल्क की औरतों को रोता देखकर मैं भी रोने लगती हूँ, जबकि मेरे दिल को सुकून मिलना चाहिए था ।  

दुश्मनों के इस दिलकश मंज़र की मुझे ज़्यादा से ज़्यादा तस्वीरें फेसबुक या वाट्सअप पर साझा करनी चाहिए थी लेकिन मेरा मन फोन छूने तक का नहीं कर रहा । 

दुश्मनों के मुल्क की ऐसी हालत देखकर '' अच्छा हुआ'',''जैसे को तैसा '', '' बोया पेड़ बबूल का आम कहाँ से खाए '' जैसे मुहावरे भी नहीं निकल पा रहे ।  

शर्मिंदा हूँ मैं , बहुत शर्मिंदा हूँ देशभक्तों !