गुरुवार, 19 मार्च 2009

[अ] मंगलसूत्र ......

[अ] मंगलसूत्र ......

 

यह

जो मेरे गले में

काला नाग बना 

डसता रहा

जिससे

ना मैं बंधी 

ना तू जुड़ा

तेरा भी मंगल नहीं

ना मेरा हुआ भला

यह घोर अमंगल

का प्रतीक, यह सूत्र

फांस बना चुभता रहा

तोड़ना इसको फिर भी

काम सबसे कठिन रहा 

11 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छा लिखा.. कभी कभी संबंध निभाने मुशकिल होते है.. न जोडे बनते हैं न टूट ही पाते हैं.. और कभी कभी ऐसा भी होता है..

    अपनी खुशी में मेरे भी गम को निभाह लो
    इतना हंसों की आंख से आंसू निकल पडें

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  2. bahut jeevat vaali kavita haen bas aesae hi likhti rahen

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  3. एक सच ब्यान किया है आपने ..बहुत पसंद आई आपकी यह कविता ..आप बहुत अच्छा लिखती है

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  4. यह कविता ही है न ?
    कविता ही हो
    यही कामना है।

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  5. बहुत असरदार रचना...महाराष्ट्र में मंगल सूत्र का बड़ा महत्व है...मेरी काम वाली बाई हंस के कहती है...ये कुत्ते का पट्टा है साहेब...
    नीरज

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  6. ये किसी के जीवन का सच भी होता है
    - लावण्या

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  7. Bahut bahut prabhaavshali dil ko chhoti rachna !

    itne kam shabdon me aapne sambandh aur vartmaan yatharth ka poora vivran de diya.

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