शनिवार, 2 अक्तूबर 2010

नई दिल्ली से कॉमनवेल्थ स्पीकिंग .....शेफाली

नई दिल्ली से कॉमनवेल्थ स्पीकिंग .....
 
 
मैं नई दिल्ली से कॉमनवेल्थ बोल रहा हूँ | मुझ पर मीडिया ने और लोगों ने  तरह - तरह के आरोप लगाए | लेट लतीफी और भ्रष्टाचार के कारण मुझे और मेरे परम मित्र काल- दाड़ी को  बदनाम करने में किसी ने कोर कसर नहीं छोड़ी | अब जब खेल शुरू होने में कुछ ही समय बाकी रह गया है, मैं इस बात का खुलासा करना चाहता हूँ कि ऐसा क्यूँ हुआ ? और इसके पीछे  कौन - कौन से कारण जिम्मेवार थे ? 
 
भारत वर्ष में  घोटाले ना हों, भ्रष्टाचार ना हों तो आम जनता के पास बात करने के विषय ख़त्म हो जाएंगे |  हमने आम जनता को बोलने का अवसर प्रदान किया | तमाम लेखकों, व्यंग्यकारों, कार्टूनिस्टों, स्वतंत्र, परतंत्र  पत्रकारों को लिखने का प्लेटफोर्म उपलब्ध कराया | बरसों से कुंद पड़ी हुई कलमकारों की कलमों को  नई  धार मिली | ईमानदार लोगों को खुल कर बेईमान लोगों गाली देने  का  मौका दिया | जिन लोगों की ईमानदारियां सालों से ए. टी. एम्. में पड़ी - पड़ी सड़ रही थीं, जो कि मजबूरियों की  पैदाइश  थीं, क्यूंकि उनके पास खाने - पीने का विभाग नहीं थे, उन लोगों ने इस मौके को जम कर कैश किया  | 
 
हमने देशवासियों को कई महीनों तक मुफ्त नॉन - स्टॉप मनोरंजन प्रदान किया | सोचिये,  अगर कॉमनवेल्थ खेल यूँ ही आते और यूँ ही  चले जाते तो किसी को आनंद नहीं आता |  सच्चा  आननद तभी संभव होता है जब आयोजन में ज्यादा से ज्यादा कमियाँ उजागर हो, विदेशी थू - थू करें | दुनिया तमाशा देखे | चारों ओर से छीछालेदर का कोई मौका ना छूटने पाए  | लानतें, मलामतें भेजने में सब अपना योगदान दें, तभी हमें असीम आनंद की प्राप्ति हो पाती है |  
 
कितना अफ़सोस होगा मेरे देश वालों को, जब अमेरिका भ्रष्टाचार की सूची जारी करे और हमारे देश का कहीं  नामो - निशान तक ना हो | हम भारत का नाम ढूंढते रह जाएं, और हमारा पड़ोसी देश हमसे बाजी मार ले जाए | हमारे सच्चे मेडल  इन्हीं सूचियों में छिपे हुए हैं |
 
 हकीकत तो यह है देशवासियों, वो हम ही हैं जिनके माध्यम से आपने देश के लिए भिखारियों की ज़रुरत और अहमियत को पहचाना |  गौ माताओं  के महत्त्व को स्वीकार किया |  
 
 हम पर इलज़ाम है कि हम खेल गाँव और दिल्ली की गन्दगी को दूर नहीं कर पाए | असल बात तो यह है कि हम भारत वासी सदियों से आत्मा की सफाई के विषय में चिंतित रहा करते हैं | हमने सदैव शारीरिक, मानसिक, सामाजिक विकास की अपेक्षा व्यक्ति के आध्यात्मिक   विकास पर बल दिया है | हमारा मानना है कि अगर आपकी आत्मा साफ़ है तो आपको सर्वत्र साफ़ - सफाई दिखेगी | अगर आत्मा मैली - कुचैली है तो आपको सब तरफ कूड़ा - करकट ही नज़र आएगा | जिस तरह से पश्चिमी देश के  प्रतिनिधियों  ने यहाँ आकर गन्दगी के दर्शन किये इससे यह स्पष्ट हो गया कि उनकी आत्माओं को साफ़ - सफाई एवं शुद्धिकरण की बहुत ज़रुरत है | यहाँ पश्चिमी देशों से मेरा अभिप्राय वे  सभी  देश हैं जो भारत की गन्दगी के विषय में आलोचना कर रहे हैं, चाहे वे किसी भी दिशा में क्यूँ ना स्थित हों | भारत सरकार को चाहिए कि इन मेहमानों की अशुद्ध  आत्माओं को शुद्ध करने  के लिए इनके साथ वापसी में बाबाओं को ज़रूर  भेजा जाए | यह तय है कि हमारे बाबा लोग उनकी और उनके देशवासियों की  आत्माओं की ऐसी सफाई करेंगे कि आने वाले समय में   हमारे देश में और उनके देश में कोई फर्क ढूंढें से भी नहीं मिलेगा |
 
हम पर इलज़ाम है कि हम गन्दगी के ढेर में रहने वाले गरीब मुल्क के वासी हैं, हम क्या ख़ाक मेहमाननवाजी करेंगे | जबकि असलियत यह है कि जब आदमी गरीब होता है, वह बहुत बढ़िया मेहमाननवाज़ होता है |  जैसे - जैसे उसके पास पैसा आता जाता है  वह , मेहमाननवाजी से मुँह मोड़ने लगता है | गरीब की झोंपड़ी में आने वाले मेहमान को छप्पन व्यंजन मिल सकते हैं, चाहे वे उधार लेकर ही क्यूँ ना बनाए गए हों |  इसीलिये राहुल गाँधी ने  सदा गरीब की झोंपड़ी को खाना - खाने के लिए प्राथमिकता दी | गरीब आदमी मेहमान के  जाते समय स्वागत सत्कार में कमी - बेशी  के लिए जहाँ हाथ  - जोड़कर माफी भी मांगता है,  वहीं अमीर आदमी एक कप चाय और दो बिस्किट में मेहमान को टरका देने में संकोच नहीं करता है |
 
 
''अतिथि देवो भव'' आदिकाल से  भारत की परंपरा रही है | चूँकि इस बार कॉमनवेल्थ भारत में हो रहे हैं, इस कारण से तय्यारियों  की सारी कमान स्वयं देवताओं ने संभाली है, ताकि उनके भाई - बंधुओं का उचित प्रकार से स्वागत सत्कार हो सके  | जिसे  लोग कमरे में पाया  गया  मामूली साँप कह कर दुष्प्रचारित कर रहे थे, वह साँप नहीं था, असल में  भगवान् शिव द्वारा भेजा गया उनका प्रतिनिधि सर्प था | आने वाले दिनों में अगर श्वान, वानर, मूषक, उलूक, वृषभ,  भी व्यवस्था का जायजा लेने के लिए आएं  तो कतई आश्चर्य मत कीजियेगा | जानवरों के नाम संस्कृत में लिख देने से उनके आदरणीय हो जाने की  गुंजाइश प्रबल हो गई है  | 
 
मेरा  स्पष्ट रूप से यह मानना है कि भारत के पदक तालिका में सबसे ऊपर आने की संभावनाओं से डरे हुए विदेशी मुल्कों  ने भारत के विषय में कुप्रचार किया | कहा गया कि फुट ब्रिज बनने से पहले ही टूट गया | अन्दर की बात यह है कि  लम्बी कूद के लिए आने वाले  खिलाड़ियों की परख करने के  लिए उसे जान बूजकर तोड़ा गया था | यह भी अफवाह फैलाई गई कि मुक्केबाज बिजेंद्र सिंह पलंग से गिर गए | जबकि वह पलंग ख़ास तौर से उनके लिए बनवाया गया था | वह उनका प्रतियोगिता के लिए क्वालिफाइंग राउंड था | ऐसा चोरी - छिपे इसलिए करना पड़ा क्यूंकि एक बार ओलम्पिक जैसे खेल का मेडल मिल जाए तो कोई भी भारतीय  खिलाड़ी क्वालिफाइंग राउंड पास करना अपनी शान के खिलाफ समझता  है  | 
 
भारत की जनता को को हमारा शुक्रगुज़ार होना चाहिए कि हमारी वजह से लोगों इस साल की रिकोर्ड तोड़ बारिश,  बाढ़,  भूस्खलन, भूकंप ,मलेरिया, डेंगू इत्यादि के विषय में सोचने का मौका ही नहीं मिला | हमारी  वजह से देश में अयोध्या मामले जैसे अति  संवेदनशील मुद्ददे पर भी  साम्प्रदायिक सौहार्द कायम रहा | विभिन्न पार्टियों के नेतागण फ़ैसला आने के बाद होने वाले दंगों का इंतज़ार करते रह गए और आम जनता सुबह - शाम कॉमनवेल्थ - कॉमनवेल्थ रटती रही |
 
 

33 टिप्‍पणियां:

  1. वाह वाह
    बेहद खूबसूरत लेख
    कमाल कर दिया है।
    इसको तो किसी अखबार में भी भेज देना चाहिए था।

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  2. आपकी रचना पढ़कर शरद जोशी याद आ रहे हैं ...
    शानदार ..!

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  3. बहुत बढ़िया व्यंग ..कोई बात नहीं छूती इस व्यंग में ..पुल से लेकर पलंग तक... सर्प से लेकर श्वान तक ..:):)

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  4. हमेशा की तरह धारदार व्यंग्य

    ब्लोगर्स पर भी तो मेहरबानी की
    इस गेम्स ने...कितने लोगों को टॉपिक मिल गया...लिखने का...ब्लोग्गिं सक्रिय रखने के लिए भी शुक्रगुजार होना चाहिए इस आयोजन का...:)

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  5. एक मेडल कारनामों का भी हो। वाह, क्या धुलाई है।

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  6. इसकी एक प्रति हरि की भूमि पर भी भेजनी चाहिए। अब भेज दीजिए।

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  7. बहुत सटीक और धारदार सपीक डाला जी आपने. पर आपके सपीकने का इन पर कोई फ़र्क नही पडने वाला है. बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम

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  8. वैसे एक बात सोचने वाली थी ना कोमन वेल्थ पर मिडिया की नज़रे ना होती तो बाढ़ पीडितो और उसके पीछे की राजनीति और सरकारी निकम्मे पण पर बात करती...अच्छा हें न...ये विषय.

    सुंदर सटीक व्यंग्य हमेशा की तरह
    बधाई

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  9. शानदार व्यंग्य रचना
    धारदार

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  10. ये सही किया कि खेल शुरू करने के पहले दिल्ली का पक्ष रख दिया आपने वर्ना लोगों को पता ही न चलता और खेल खतम हो जाते। पैसा तो खैर हजम हो ही चुका होगा।

    बहुत अच्छा लगा इसे बांचकर बधाई!

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  11. शानदार व्यंग्य है।

    वैसे इस कलमाडी के दिन केवल कॉमनवेल्थ गेम्स तक ही हैं और वह भी खुद यह अच्छी तरह से जान रहा है तभी तो एक दम बिंदास हो गया है कि अब तो चली चला की बेला है :)

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  12. खूब स्पिकवाया है कॉमनवेल्थ से शेफ़ाली जी... बढिया है.

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  13. आशानुकूल सुन्दर व्यंग्य !
    ये घटनाएं घाट रही थीं तभी उम्मीद थी कि अच्छे व्यंग्य आयेंगे !
    लग रहा है कि लखनौ-हाय-कोरट को भी बोल ही देना चाहिए ! :)
    सुन्दर व्यंग्य के लिए पुनः आभार !

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  14. शेफाली बहना,
    कभी ये गाना बड़ा मशहूर हुआ था...मैं अनाड़ी, तू खिलाड़ी...

    अब इस गाने के बोल बदल गए हैं...मैं अनाड़ी, तू कलमाड़ी...

    जय हिंद...

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  15. हमेशा की तरह ही बेहतरीन प्रस्‍तुति !!

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  16. ye to bahi bat ho gayi

    "munni badnaam hui, darling tere liye"

    shaandar vyang, hum bloggersa ko khush hona chahiye ki,itna masala is Diya ki likh likh ke pet nhi bharta, baise aapne kuch paryayebachi shabdo se bhi ru baru karvaya

    Kal-madi, kali dadhi, maza aa gaya

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  17. शेफाली जी मैं वास्तव में ही आपके कॉमनवेल्थ का, कार्टूनिस्ट होने के नाते धन्यवादी हूं :)

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  18. ताजातरीन विषयों पर आपकी पैनी नज़र आपके व्यंग्यों को और भी धारदार और मारक क्षमता से लैस कर उन्हें बेजोड बना देती है...

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  19. Mere shahar haldwani se vyang ki itni sunder dhara bah rahi hai... golju apko sahitya ka namwar jag prashidh hastaksar bana de yehi prarthana hai...kumaon ki cheli tu haija ve saare bharat ki cheli..jee reya khub naam kariya

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  20. बहुत सुन्दर !

    ज़बरदस्त !
    पढ़ कर अच्छा लगा

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  21. शैफाली! ये गलत बात है ..इतनी मेहनत की उन्होंने और तुमने सबपर साबुन लगा कर पानी डाल दिया..:)

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  22. आपका व्यंग्य तो बहुत अच्छा हैं लेकिन में कॉमनवेल्थ गेम्स का समर्थक हूँ.
    मुझे कॉमनवेल्थ गामस में कोई बुराई नहीं नज़र आती हैं.
    कृपया आप एक बार डॉक्टर दराल जी के ब्लॉग (WWW.TSDARAL.BLOGSPOT.COM) पर अवश्य -- अनिवार्य रूप से पधारे आप अपने विचार बदलने को मजबूर हो जायेंगी.
    धन्यवाद.
    WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM

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  23. बहुत अच्छा व्यंग्य लिखा हैं आपने.
    लेकिन, मैं कॉमनवेल्थ गेम्स का समर्थक हूँ.
    मुझे इसमें कोई गलत बात या बुराई नहीं नज़र आती हैं.
    वैसे मेरी माने तो कृपया आप एक बार डॉक्टर दराल जी के ब्लॉग (WWW.TSDARAL.BLOGSPOT.COM) पर अनिवार्य रूप से पधारे, आप अपने विचारों को बदलने पर मजबूर हो जायेंगी.
    धन्यवाद.
    (कृपया सिर्फ एक बार पधारने का कष्ट अवश्य करे.)
    WWW.CHANDERTKSONI.BLOGSPOT.COM

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  24. haan aapki baatein sach to hain zaroor lekin kehte hain na ant bhala to sab bhala....

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  25. व्यवस्था पर कटाक्ष करने में आपका कोई जवाब नहीं ...लाजवाब
    हमेशा की तरह

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  26. हम दुनिया से चले जाने के बाद हर सितारे मै नजर आया करेंगे ..तुम हर रोज दुआ माँगा करना और हम हर रोज टूट जाया करेंगे ..रात के सन्नाटे मै तेरी सासों के साथ गीतों को तेरी याद मै गाया करेंगे ....तुम जैसे ही बुलाओ गी बाहों मै अपनी जूठे से ही हम रूठ जाया करेंगे ..i hv written if like msg 09327336024

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