मंगलवार, 23 अगस्त 2011

''थैंक यू वैरी मच भ्रष्टाचार''

 
 ''थैंक  यू वैरी मच भ्रष्टाचार'' |
 
आम हो गया ख़ास
ख़ास हो गया आम
अन्ना की एक आवाज़ पर
वक्त  का पहिया जाम |
 
देश भक्ति में सब रंगे
झगड़ा, फ़साद ना दंगे  
जहाँ तक पहुचे नज़र
बस तिरंगे ही तिरंगे |
 
हाथ बांधे, खड़े हैं बेबस
बारिश, धूप और उमस 
सिर चढ़ कर  बोल रहा
हौसला, हिम्मत और साहस  |
 
भारत माँ के डटे हैं  लाल
अन्ना की बन रहे हैं  ढाल 
थामे हुए हैं कमान को
बेदी, भूषण, और केजरीवाल |
 
जब उमड़ के आया  जन सैलाब
तब मिल गया मुंहतोड़ जवाब
हर बहाना हुआ बेअसर,
अँधेरे को चीर कर
आएगी अब नई सहर |
 
टूटेगा, मनमोहन का मौन 
सिब्बल का बल 
रोकेगा, भ्रष्टाचार के रथ को 
सवा करोड़  अन्नाओं का दल  | 
 
जब, मैं भी अन्ना, तू भी अन्ना 
ये भी अन्ना, वो भी अन्ना 
तब,  निश्चित है साथियों 
जन लोकपाल का बनना  |
 
ये हौसला, जूनून, ये जज़्बा
भर गया  गली, कूचा, और कस्बा 
भ्रष्टाचार मुक्त वतन की चाहत 
जिन आँखों पर बंधी है पट्टी
उनके लिए विदेशी ताकत |
 
ओ ! जादू की छड़ी ढूँढने वालों !
गद्दी  के लालों !
घोटालों के मतवालों !
बेईमानों के रखवालों !
 
एक भूखे पेट के साथ
यूँ ही नहीं हैं लाखों  हाथ
जब - जब गुज़रा सिर से पानी
राजा ने भी खाई मात | 
 
यूँ ही भरा रहे दिलों में प्यार
हमारी एकता रहे बरकरार
इसीलिये  सब मिलकर गाओ   
''थैंक  यू वैरी मच भ्रष्टाचार''

17 टिप्‍पणियां:

  1. ये हौसला, जूनून, ये जज़्बा
    भर गया गली, कूचा, और कस्बा
    भ्रष्टाचार मुक्त वतन की चाहत
    जिन आँखों पर बंधी है पट्टी
    उनके लिए विदेशी ताकत |
    क्या बात है शेफ़ाली जी. बहुत सुन्दर. वैसे इतने दिनों बाद?

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  2. सटीक और सार्थक पोस्ट ... अब तो मनमोहन जी का मौन टूटे ...

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  3. वाह शैफ़ाली जी जोश बढाती इस सार्थक रचना के लिये बधाई स्वीकारें

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  4. चलो इस बहाने ही सही ,
    भारत माता कि जय!
    घुघूती बासूती

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  5. सच भी है भ्रष्टाचार की बदौलत ही सभी लोग एकजुट हुए हैं और एकस्वर में बोल रहे हैं. आभार.

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  6. सचमुच भ्रष्‍टाचार ने ही हमें एकता के सूत्र में जोड दिया है .. आपके इस खास पोस्‍ट से हमारी वार्ता समृद्ध हुई है!!

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  7. एक भूखे पेट के साथ
    यूँ ही नहीं हैं लाखों हाथ
    जब - जब गुज़रा सिर से पानी
    राजा ने भी खाई मात |

    पूरी कविता वर्तमान परिदृश्य को उजागर करती है ....आपका आभार

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  8. दशकों बाद देश किसी मुद्दे पर सब कुछ पीछे छोड़ एक हुआ है .. सार्थक गीत... व्यंग्य के पुट के साथ !

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  9. रोकेगा, भ्रष्टाचार के रथ को
    सवा करोड़ अन्नाओं का दल |
    सार्थक गीत...आपका आभार

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  10. एअरकंडीशन कमरे में बैठ कर काजू बादाम खा लिए , हो गया समस्या का समाधान ...एक सत्तर वर्षीय वृद्ध दस दिन से बिना कुछ खाए अनशन पर है तो इन्हें क्या ....ये आम जनता का सिरदर्द है!

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  11. सब समान है, सब भ्रष्टाचार के शिकार हैं।

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  12. अन्ना आंदोलन की सार्थक दस्तावेज हैं तुम्हारी इस महीने की सारी कवितायेँ.

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