गुरुवार, 14 मार्च 2013

एक बार जो बना जमाई.....

सांच को आंच क्या ?
पैरों के तले कांच क्या 
एक बार जो बना जमाई
उस राजा की फिर जांच क्या ?

टीम केजरी का नाच क्या
घोटालों के आकाश में
नित नए पर्दाफाश में 
एक और खुलासे पर तीन - पांच क्या ?

उनका देश, उनकी सरकार
उनका राजा, उनके सिपासालार
सब उनके अपने हैं, 
अपनों में बन्दर -बाँट क्या ?

उनका तराजू, उनका बाट 
उनके कांटे, उनका ठाठ
गोल -मोल है नाप -तोल, 
तोल में इस झोल की काट क्या ?

उनका घर, उनकी ताक
उनका चेहरा, उनकी नाक
रख दी ताक पर कटी नाक
अब घर की अटरिया पर तांक - झाँक क्या ?









12 टिप्‍पणियां:

  1. अपनी रचना के माध्यम से बहुत जबरदस्त कटाक्ष किया है आपने !!

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  2. बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति.

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  3. बहुत सही कहा आपने ...सबकुछ तो उनका है जनता का राज तो कहने भर को है ...

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  4. ये तो खूब जोड़-तोड़ कविता है। सुन्दर व्यंग्य गठबंधन!

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  5. सुचना ****सूचना **** सुचना

    सभी लेखक-लेखिकाओं के लिए एक महत्वपूर्ण सुचना सदबुद्धी यज्ञ


    (माफ़ी चाहता हूँ समय की किल्लत की वजह से आपकी पोस्ट पर कोई टिप्पणी नहीं दे सकता।)

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  6. पहली बार दस्‍तक है आपके दरबार में। प्रणाम। कैसे हैं? देश के हालात पर अत्‍यन्‍त पारदर्शी व्‍यंग्‍य।

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