बुधवार, 20 मार्च 2013

मुंबई की कुञ्ज गलिन में ..........

मुंबई की कुञ्ज गलिन में ..........

साथियों, निरासाराम बापू पिचकारियाँ लेकर खड़े हैं और सरकार है कि पानी ही नहीं दे रही है । यह भी कोई बात हुई भला ? इस तर्क में कोई दम नहीं है कि महाराष्ट्र सूखे की चपेट में है या जगह जगह अकाल पड़ा हुआ है । महाराज और उनके भक्तजनों से पूछो जिनके ह्रदय में प्रेम की फुहारें बरस रही हैं । ह्रदय भीग रहे हैं । होली सिर पर सवार हो गयी है, और पानी का पता नहीं । सूखे रंगों से भी कोई होली खेलता है भला ? महज़ नलों  में बहते रहने के हम नहीं कायल, शरीर से ना टपके तो वो पानी क्या है ?

लोग नहीं जानते कि बाबा कितने चमत्कारी हैं । दिल्ली में बलात्कार होता है तो बाबाजी फरमाते हैं कि अगर लडकी उन बलात्कारियों को भैय्या कह के राखी बाँध देती तो शायद बच जाती । शायद नहीं उन्होंने पक्के दावे के साथ यह बात कही । बाबाजी ने यह भी कहा कि इस तरह के लोगों से बचने के लिए हर लडकी को सरस्वती मन्त्र का जाप करना चाहिए । बाबाजी सांसारिक मोह - माया से दूर रहते हैं । बाबाजी को उनके शिष्य कभी बसों में सफ़र करने ही नहीं देते ।
बाबाजी ने अगर कभी लोकल बसों से सफ़र किया होता तो देखते कि हिन्दुस्तानी लडकियां सबसे भैय्या कहकर ही बात करती हैं, और हर दूसरे लड़के को घर में प्यार से भैय्या ही पुकारा जाता है । असल में भैय्या कहा जाता है समझा नहीं जाता । 

भक्तजनों, बाबाजी चाहें तो क्या मन्त्र शक्ति के द्वारा आकाश से वर्षा नहीं करवा सकते ? वह क्या नहीं कर सकते ? वे चाहें तो पूरे महाराष्ट्र में बारिश करवा दें, बाढ़ ले आएं । उनके पास मन्त्रों की अद्भुत शक्ति है । जिस मन्त्र के जाप से इज्ज़त और जान तक बच सकती है तो क्या बारिश नहीं हो सकती ?  लेकिन नहीं, वे इस सरकार को पूरा मौक़ा दे रहे हैं । बाबा लोग जनता को यह एहसास करवाते हैं कि वे भी उन्हीं की तरह साधारण मानव हैं । 


 साथियों,  जिस तरह पैसा, पैसे को खींचता है और पैसे वाला, पैसे वाले को, उसी प्रकार कलयुग में पानी ही पानी को खींच सकता है । हमने सुना था कि मुंबई की बारिश का कोई भरोसा नहीं,होता होता , पर अब लगता है मुंबई की सरकार का भी कोई भरोसा नहीं । सरकार दूरदर्शी होती तो बापू को पानी देने में ज़रा भी आनाकानी नहीं करती । संत लोग अगर कुछ मांगते भी हैं तो उसे दोगुना करके लौटाते हैं । हमारे गली - मुहल्लों में तक ऐसे संत अक्सर इस ताक में घूमते रहते हैं कि कोई भगवान् का सच्चा भक्त मिले तो उसका रुपया - पैसा, जेवर दोगुना करके लौटा दें । इधर भगवान् के सच्चे भक्तों में भारी कमी आने के कारण बेचारों को अक्सर निराश होना पड़ता है । शक्की इंसानों, उनकी श्वेत दाड़ी पर तो भरोसा किया होता । श्वेत दाड़ी -मूंछ वाले झूठ नहीं बोलते हैं । 

अभी कुछ दिन पहले एक भक्त ने बाबाजी के चरण छूने चाहे थे । उस भक्त को बाबाजी ने लात मार दी । एक बार लात पडी, टी वी पर सौ बार दिखाया गया । भक्त बहुत क्षुब्ध हुआ । उसे पता नहीं होगा कि बाबा लोगों की हर  निराली होती है । उनके लात - घूसों से भी आशीर्वाद की बरसात होती है । साथियों, सिर पर हाथ धरकर तो कोई आम बाबा भी आशीर्वाद दे सकता है । बाबाजी और उनमें कुछ तो अंतर होना ही चाहिए । लात से आशीर्वाद सच्चे महात्मा दिया करते हैं । जितनी गहरी लात, उतना गहरा आशीर्वाद । 

उनके कई करोड़पति भक्त भी होंगे पर बाबा उनको कभी लात से आशीर्वाद नहीं देते होंगे । ऐसी किरपा विरलों पर ही बरसती है । भक्त खामखा ही क्षुब्ध हो गया । भक्त एक क्षुद्र प्राणी होता है, उसे क्षुब्ध होने का कोई हक़ नहीं होता । क्षुब्ध तो अमूमन बाबा लोग होते हैं वह भी हम साधारण मनुष्यों के दुःख दर्दों को देखकर । ये हम जैसे पापी मनुष्यों के दुखों के निराकरण हेतु विभिन्न उपाय सोचते हुए साधनारत रहते हैं । 

हो सकता है कि वाकई बाबा जी के होली खेलने के कार्यक्रम से माया नगरी में माया बरसने लग जाती । इसीलिये मेरी सरकार से अपील है कि बाबा को पानी देने में कतई कंजूसी न करे । 
                                                                              

8 टिप्‍पणियां:

  1. बापू निराशाराम इसे पढ़कर खुश हो जायेंगे।

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  2. कई बार तो लगता है कि कार्टून बनाने के बजाय इसकी तरह कार्टून बन कर ही बैठ जाऊं तो निश्चय ही कहीं ज़्यादा पूछ होगी

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  3. पनघट पर सखी करे ठिठोली ,
    बीता फागुन आ गई होली ।

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  4. बहुत ही श्रेष्ठ बाबा गुण गान किया है आपने, अब तो बाबाजी आपको बहुत आशीर्वाद देंगे.:)

    रामराम.

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  5. आपने बाबा गुण गान कथा में शायद बाबा का एक चमत्कार भूल गई, अभी कुछ ही दिन पहले बाबा हैलीकाप्टर दुर्घटना में भी मंत्र जाप से बच गये थे.:)

    रामराम

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  6. बाबा की होली देखी थी टीवी पर,सब ढकोसला है.बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति.

    "स्वस्थ जीवन पर-त्वचा की देखभाल"

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  7. अगर निरासाराम जी इसे पढ़ लें तो वे खुदै सरम से पानी पानी हो जाएं. उन्हें पानी की फिर कौनो जरूरत नाही होगी... :)

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  8. हा हा, बेहतरीन| आज के ढोंगी अनपढ़ बाबओ की सही स्थिति दिखती है| सब के सब चोर|

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