सोमवार, 26 अगस्त 2013

प्यार को प्याज मत बनाओ, प्याज को प्यार मत बनाओ….

प्यार को प्याज मत बनाओ, प्याज को प्यार मत बनाओ….

पिछले दिनों प्याज और प्यार के बीच में जंग छिड़ गयी । प्याज को लोग इतना प्यार करते होंगे यह तो प्याज को भी पता नहीं होगा ।

लेकिन साथियों मैं इस बात के बिलकुल खिलाफ हूँ । मुझे पसंद नहीं कि सिर्फ तुक मिलता हो इस वजह से प्याज को प्यार में बदल दिया जाए । हमारे बजट में आजकल प्याज फिट नहीं हो रहा है तो क्या प्यार के तुक में फिट करने से प्रसन्न होकर बजट में आ जाएगा ?  तुकान्त कविताएँ चलन से बाहर हो चुकी हैं, साहित्यिक गलियारों में दम तोड़ चुकी हैं, ऐसे माहौल में प्यार को प्याज के तुक से मिलाना जंचता नहीं ।

चलिए देखते हैं कि ऐसी नौबत क्यूँ आई ? इसका एक ही कारण हो सकता है । पहले हम प्याज के साथ मज़ाक करते हैं । उसे सब्जी में, दाल में, पुलाव में, सलाद में, सिरके में, शराब में, जहाँ चाहा वहां डाल कर खाते हैं । कच्चा खाते हैं , पका  कर खाते हैं । ऐसे ही खाते - खाते  जब हम प्याज के आदी हो जाते हैं तब वह अचानक अपने भाव बढाकर हमारे साथ मज़ाक करने लगता है । हम कुछ नहीं कर पाते तो सोशल साइट्स पर प्याज को लेकर मज़ाक करने लगते हैं । इस प्रकार प्याज और हमारा हंसी - मज़ाक का क्रम निरंतर बना रहता है ।

इस दौरान और सब्जियां भी महंगी हुईं, लेकिन प्याज़ की लोकप्रियता को स्पर्श भी नहीं कर पाईं । गोभी, बीन, यहाँ तक कि थाली का बैंगन तक थाली से गायब हो गया लेकिन किसी को एहसास तक नहीं हुआ ।  कारण यही रहा कि इन सब्जियों को किसी गाने में फिट करने की सुविधा नहीं रही ।

प्याज भाग्यशाली है इस मायने में कि, जब तक दुनिया में प्यार के गाने बनते रहेंगे, तब तक प्याज की लोकप्रियता बनी रहेगी ।

ना प्यार कभी प्याज में बदल सकता है न प्याज कभी प्यार बन सकता है ।

प्याज यथार्थ है जबकि प्यार कल्पना ।

प्याज को इंसान खाता है जबकि प्यार इंसान को खा जाता है ।

कोशिश करते रहें और दिल में सच्चाई हो तो आखिरकार प्यार हासिल हो ही जाता है, जबकि प्याज को लाख कोशिश करने के बाद भी हासिल नहीं किया जा सकता ।

आम आदमी को प्याज न मिले तो राजनीति होने लगती है । सभी पार्टियां अपनी - अपनी रोटियाँ सेंकने लगती हैं । ठेलों पर प्याज बेचा जाने लगता है । प्यार के साथ ऐसा नहीं है । यह आम आदमी को ना मिले तो किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता । किसी की सत्ता पर ख़तरा नहीं मंडराता ।

खेत में प्याज की अतिरिक्त पैदावार हो जाए तो उसे बाँट कर वाहवाही मिलती है, इंसान दरियादिल समझा जाता है,  जबकि दिल में प्यार की अतिरिक्त पैदावार होने पर अगर बाँट दिया जाए तो बदनामी मिलती है ।

प्याज आज महँगा है, कल सस्ता हो जाएगा । लेकिन प्यार करना सदा से महंगा था, महंगा है और आगे भी महंगा ही रहेगा ।

इसीलिये साथियों, प्याज को प्याज ही रहने दो कोई भाव न दो ।

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4 टिप्‍पणियां:

  1. हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} की पहली चर्चा हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती -- हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल चर्चा : अंक-001 में आपका सह्य दिल से स्वागत करता है। कृपया पधारें, आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | आपके नकारत्मक व सकारत्मक विचारों का स्वागत किया जायेगा | सादर .... Lalit Chahar

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  2. हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} किसी भी प्रकार की चर्चा आमंत्रित है दोनों ही सामूहिक ब्लौग है। कोई भी इनका रचनाकार बन सकता है। इन दोनों ब्लौगों का उदेश्य अच्छी रचनाओं का संग्रहण करना है। कविता मंच पर उजाले उनकी यादों के अंतर्गत पुराने कवियों की रचनआएं भी आमंत्रित हैं। आप kuldeepsingpinku@gmail.com पर मेल भेजकर इसके सदस्य बन सकते हैं। प्रत्येक रचनाकार का हृद्य से स्वागत है।

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  3. हा हा हा....जब तक धरती चांद रहेगा, प्याज और प्यार का नाम रहेगा, एक साम्यता देखिये ना, दोनों में उतार चढाव आता रहता है.:)

    सटीक व्यंग.

    रामराम.

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  4. प्याज को प्याज ही रहने दो, नया नाम न दो।

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