बुधवार, 11 मार्च 2009

कोई हसीना जब वोट मांगती है तो ..तो ...तो ...

कोई हसीना जब वोट मांगती है तो ..तो ...तो ...

 

कोई हसीना जब वोट मांगती है तो

और भी हसीन हो जाती है

 

जब वो निकले सड़कों पर

बोले सबसे हाथ जोड़ कर

मुझको ही देना सारे वोट

पार्टी में हों चाहे लाखों खोट

 

गर्दन हिलती है और मुँह से

अपने आप हाँ निकल जाती है

 

उसकी एक मुस्कान से

पड़ जाते हैं वोट हज़ार

नज़र भर के देख जो ले

मन जाते कईयों के त्यौहार

 

दिए जलते हैं दिल में और

ईद की सिवईं, होली की नमकीन बन जाती है  

 

हसीनों तुम्हारा क्या कहना

हर पार्टी का बनी हो गहना

दिल में कहें सब डार्लिंग तुमको  

मुँह से निकलता है बहना

  

जिस गली से तुम निकलो  

उसकी तो तकदीर खुल जाती है